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जिस महिला को बांग्लादेश डिपोर्ट किया, उसी को वापस क्यों ला रही है सरकार?

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि सुनाली खातून और उनके बच्चे को केवल मानवीय आधार पर ही वापस लाया जा रहा है।

Supreme Court

सांकेतिक तस्वीर। Photo Credit: Sora

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि असम से बांग्लादेश डिपोर्ट की गई गर्भवती महिला सुनाली खातून और उनके 8 साल के बेटे को वापस भारत लाया जाएगा। दोनों को अवैध बांग्लादेशी मानकर डिपोर्ट किया गया था, लेकिन अब यह दावा किया जा रहा है कि वे भारतीय नागरिक हो सकते हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि मानवीय आधार पर भी उन्हें वापस लाने का फैसला लिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या इन दोनों को वापस लाया जा सकता है, क्योंकि इनका मामला बाकी डिपोर्ट किए गए लोगों से अलग है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'अगर ये लड़की भोडू की बेटी है, तो इसे पूरी तरह अलग नजरिए से देखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को निर्देश दिया है कि सुनाली खातून को गर्भावस्था के दौरान मुफ्त इलाज दिया जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र में क्या कहा है?

केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सुनाली खातून और उसके 8 वर्षीय बेटे साबिर को वापस भारत लाया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच के सामने कहा कि उन्हें वापस लाया जाएगा। 

तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार सुनाली खातून और उनके बेटे साबिर को भारत वापस लाएगी, उन्हें निगरानी में रखा जाएगा। कोर्ट ने पिछले दिनों सरकार से पूछा था कि क्या महिला और उसके बेटे को मानवीय आधार पर वापस लाया जा सकता है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सहमति जताई है। 

सुनाली खातून को मुफ्त इलाज देना होगा

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सुनली खातून को दिल्ली से हिरासत में लिया गया था, इसलिए उन्हें वापस दिल्ली लाया जाएगा। हालांकि, उनके वकील ने सुझाव दिया कि उन्हें पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में उनके पिता के पास ले जाना उचित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि महिला की गर्भावस्था को देखते हुए, मुफ्त इलाज दिया जाए।

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मामला क्या है?

कलकत्ता हाई कोर्ट ने कुछ निर्वासित लोगों को वापस लाने का निर्देश दिया था, जिस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र में अपील दायर की थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस बागची ने यह भी कहा कि अगर सुनाली खातून के पिता भारतीय नागरिक हैं तो उनका बेटा भी भारतीय नागरिकता ले सकता है। केस की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी। 

18 जून को बांग्लादेश डिपोर्ट हुईं सुनाली खातून

सुनाली खातून के पिता का कहना है कि उनका परिवार दिल्ली में पिछले 20 साल से रह रहा है। उनका परिवार रोहिणी सेक्टर 26 में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करता है। पुलिस ने 18 जून को उन्हें बांग्लादेशी होने के शक में पकड़कर 27 जून को सीमा पार कराकर बांग्लादेश भेज दिया था।


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