केरल के हरि देवगीथ ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) सेवाओं को मौलिक अधिकार घोषित कराने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। वर्तमान में भारत में ये अधिकार केवल पुरुषों और महिलाओं को हासिल हैं। हरि देवगीथ एक ट्रांस मैन हैं और अपने एग सेल्स को क्रायो-प्रिजर्व करना चाहते हैं। भारत में बने ART नियमों के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अभी तक ऐसे अधिकार प्राप्त नहीं हैं।
केरल हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है, ऐसा जेंडर आधारित वर्गीकरण मनमाना है और याचिकाकर्ता की अपना बच्चा पैदा करने की इच्छा में दखल देता है।
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ART एक्ट क्या कहता है?
ART एक्ट में एक नियम साफ लिखा है कि केवल कपल या महिला (सिंगल) ही यह प्रक्रिया करा सकती है। कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ART एक्ट की धारा 21 में ट्रांस-मैन और वुमन को पूरी तरह से बाहर रखा गया है। ट्रांसजेंडर लोगों के बच्चा पैदा करने के अधिकारों को जिसमें फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन भी शामिल है, नकारा गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह नियम मनमाना, गैरकानूनी और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करता है।
सरकार का कहना है कि ट्रांसजेंडर लोग सोरगेसी (रजिस्ट्रेशन) एक्ट, 2021 की परिभाषा में शामिल नहीं है। सरकार ने कहा, 'प्राकृतिक तरीके से बच्चा पैदा करने का अधिकार मौलिक अधिकार है। ART सेवाओं का अधिकार, जिसमें तकनीकी साधन, थर्ड पार्टी व्यवसायिक इकाइयां और लेन-देन शामिल हैं, मौलिक अधिकार नहीं सिर्फ एक वैधानिक अधिकार है।'
भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए बच्चा गोद लेने और पैदा करने (सरोगेसी/ART) को लेकर कानूनी स्थिति जटिल और सीमित है। वर्तमान कानून मुख्य रूप से जोड़ों या सिंगल महिला को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। भारत में गोद लेने की प्रक्रिया जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट 2015 और सेंट्रल एडोप्शन रिसोर्स ऑथोरिटी (CARA) के नियमों के तहत नियंत्रित होती है।
1. सिंगल ट्रांसजेंडर के रूप में गोद लेना: ट्रांसजेंडर व्यक्ति सिंगल व्यक्ति के रूप में बच्चा गोद लेने के लिए अप्लाई कर सकते हैं। JJ Act, 2015 सिंगल पैरेंट्स को गोद लेने की अनुमति देता है। हालांकि, मद्रास हाई कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाया था कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति फिलहाल सीधे तौर पर बच्चों को गोद नहीं ले सकते हैं और कानून में बदलाव की आवश्यकता है।
2. शादीशुदा ट्रांसजेंडर जोड़े के रूप में गोद लेना: वर्तमान भारतीय कानून समलैंगिक शादी या जोड़े को कानूनी मान्यता नहीं देते हैं। गोद लेने के लिए 'दंपति' की परिभाषा में कानूनी रूप से शादीशुदा जोड़े ही शामिल होते हैं। इसलिए, ट्रांसजेंडर या समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं है।
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बच्चा पैदा करने (सरोगेसी/ART) के नियम
भारत में सरोगेसी और ART के नियम सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 और एआरटी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के अंतर्गत कंट्रोल होते हैं। ये कानून ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए बहुत सीमित अवसर प्रदान करते हैं।
1. सरोगेसी अधिनियम 2021 के अनुसार, सरोगेसी का विकल्प केवल निम्नलिखित को ही उपलब्ध है:
- कानूनी रूप से विवाहित पुरुष और महिला।
- एक विधवा या तलाकशुदा महिला (35 से 45 वर्ष की आयु में)।
- यह कानून स्पष्ट रूप से सिंगल मेल, समलैंगिक जोड़ों, और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सरोगेसी का विकल्प चुनने से रोकता है।
2. एआरटी (ART) सेवाएं
ART एक्ट 2021 के तहत, IVF जैसी सहायक प्रजनन सेवाएं भी केवल शादीशुदा कपल और एकल महिलाओं को ही उपलब्ध हैं। यह अधिनियम भी एकल पुरुषों या ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को प्रजनन सेवाओं (जैसे गेमेट संरक्षण) तक पहुंचने की अनुमति नहीं देता है।
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एग/ स्पर्म को फ्रीज कराने के संबंध में साइंस क्या कहता है?
ट्रांसजेंडर व्यक्ति अपने स्पर्म या एग को फ्रीज करा सकते हैं। साइंस न केवल इसकी अनुमति देता है, बल्कि इसे उन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प मानता है जो अपना जेंडर बदलने से पहले अपनी फर्टिलिटी को सुरक्षित रखना चाहते हैं।
क्यों फ्रीजिंग जरूरी है?
ट्रांसजेंडर व्यक्ति आमतौर पर हार्मोन थेरेपी या सर्जरी करवाते हैं। ये थेरेपी अक्सर प्रजनन क्षमता को स्थायी रूप से कम या समाप्त कर देते हैं। एस्ट्रोजन या टेस्टोस्टेरोन थेरेपी शुरू करने से उनके अंदर पेंरेंट्स बनने की क्षमता खत्म होने लगती है। इसलिए हार्मोन थेरेपी शुरू करने से पहले एग या स्पर्म को फ्रीज करना भविष्य में उनके मां-बाप बनने का एकमात्र तरीका है।
अमेरिकन सोसाइटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन (ASRM) और अन्य वैश्विक चिकित्सा संगठन इस बात की सख्ती से सिफारिश करते हैं कि जेंडर बदलने के लिए ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले सभी ट्रांसजेंडरों को इसके बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
