भारत में अधिकारियों और अकूत दौलत के बीच सीधा कनेक्शन बनता जा रहा है। जरा से काम पर आम जनता को टहलाने वाले अधिकारी घूस के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं। आसान सी प्रक्रिया को इतना जटिल बना देते हैं कि आम इंसान को रिश्वत का सहारा लेना ही पड़ता है। अगर आपको थाने में एक शिकायत दर्ज करानी है तो इसके बेहद काम चांस हैं कि बिना घूस के आपका काम बन जाए। हाल ही में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पंजाब पुलिस के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर को 8 लाख रुपये की रिश्वत मामले में गिरफ्तार किया है। यह रकम केस निपटाने के बदले मांगी गई थी।
सीबीआई की टीम ने उनके आवास और दफ्तर की तलाशी ली तो सन्न रह गई। उनके ठिकानों से 5 करोड़ की नकदी, करीब 1.5 किलो जेवरात, संपत्तियों के दस्तावेज, दो लग्जरी कारों की चाबियां, 22 महंगी घड़ियां, लॉकर की चाबियां, 40 लीटर विदेशी शराब, एक डबल बैरल बंदूक, एक पिस्टल, एक रिवॉल्वर और एक एयरगन मिली। यहां हरचरण सिंह भुल्लर सिर्फ एक उदाहरण हैं। देशभर में न जाने ऐसे कितने अफसरों की गाथाएं हैं, जिनके ठिकानों पर अकूत दौलत मिल चुकी है।
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उत्तर प्रदेश के कानपुर में आलोक दुबे को कानूनगो से डिमोट करके लेखपाल बनाया गया। इनका कारनामा सामने आया तो न केवल यूपी सरकार बल्कि विपक्ष के नेता अखिलेश यादव भी दंग रहे। साल 1993 में आलोक को लेखपाल की नौकरी मिली थी। अब वह करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। एक अनुमान के मुताबिक आलोक के पास 100 करोड़ रुपये की संपत्ति का अनुमान है। उनके खिलाफ विजिलेंस की जांच चल रही है। दरअसल, कानपुर में रिंग रोड का निर्माण होना था। आलोक को इस प्रोजेक्ट की जानकारी थी। उसने उन्हीं गांव के आसपास औने-पौने दाम पर 41 संपत्तियां खरीदीं, जहां से रिंग रोड निकलना था। अब यह संपत्ति बेशकीमती हो गई।
हाल ही में बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग के इंजीनियर विनोद कुमार राय के पास करीब 100 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ। आर्थिक अपराध इकाई ने जब उनके आवास पर छापेमारी की तो 52 लाख रुपये कैश और 26 लाख के जेवरात मिले। इस बीच कुछ रकम को जलाने की कोशिश भी गई। इंजीनियर ने करीब 39 लाख रुपये पानी की टंकी में छिपा रखे थे। इसके अलावा 10 लाख रुपये से ऊपर अधजले नोट के बंडल मिले। कितने जल गए, उसका कोई हिसाब नहीं।
एक ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश में सामने आया। यहां लोक निर्माण विभाग के सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर जीपी मेहरा के पास लोकायुक्त की छापेमारी में बड़ी दौलत मिली। भोपाल में स्थित उनके आवास से तीन करोड़ रुपये का सोना और 36 लाख रुपये की नकदी बरामद हुई। नर्मदापुर जिले के सैनी गांव में 100 एकड़ से अधिक जमीन पर फैला उनका लग्जरी फॉर्म हाउस देखकर अधिकारी भी हैरान हैं। यह तो भ्रष्टाचार से जुड़े कुछ उदाहरण है। देश में हर दूसरे दिन अकूत दौलत के मालिक अधिकारियों की खबरें आती रहती हैं।
कहां से आती अकूत संपत्ति
- रिश्वतखोरी और कमीशन
- राजनीतिक संबंधों से
- घोटाले और गबन
- जबरन वसूली
- मनी लॉन्ड्रिंग
- सरकारी खरीद में घपलेबाजी
जिन्हें भारी पड़ा भ्रष्टाचार
- साल 1997 में सतर्कता संगठन कश्मीर ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हबीबुल हसन बेग के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था। लंबी सुनवाई के बाद इसी साल हसन को दोषी पाया गया। अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निरोधक) फैजान-उल-हक इकबाल की कोर्ट ने एक साल की सजा और 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
- 2023 में विशाखापत्तनम स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में आयकर अधिकारी अकेला वेंकट सुब्रमण्य शास्त्री को दोषी ठहराया। अदालत ने अधिकारी को एक लाख रुपये का जुर्माना और पांच साल की जेल की सजा सुनाई। आयकर अधिकारी के पास ज्ञात सोर्स से करीब 48 लाख रुपये अधिक की चल और अचल संपत्ति मिली।
- इसी साल जुलाई महीने में जोधपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के प्रबंधक को चार साल की सजा सुनाई। 41.65 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। दोषी अधिकारी सुरेंद्र कुमार सोनी के पास ज्ञात आय से 116 फीसद अधिक संपत्ति मिली थी। 30 जुलाई 2013 को सीबीआई ने सुरेंद्र के खिलाफ मामला दर्ज किया और अगले साल 2014 में आरोपपत्र दाखिल किया था।
- पिछले साल यानी 2024 में मुंबई की सिटी सिविल एवं सत्र कोर्ट ने पूर्व सीजीएसटी अधीक्षक प्रसिद्ध नारायण दुबे और उनकी पत्नी विमला दुबे को चार साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई दी। सीबीआई ने साल 2018 में प्रसिद्ध दुबे के खिलाफ केस दर्ज किया था। जांच में उनके पास ज्ञात सोर्स से 77.18 फीसद अधिक संपत्ति मिली थी।
एशिया में सबसे खराब भारत की नौकरशाही
साल 2012 में हांगकांग स्थित पॉलिटिकल एंड इकोनॉमिक रिस्क कंसल्टेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की। इसमें उन्होंने भारत की नौकरशाही को एशिया में सबसे खराब बताया। रिपोर्ट में देशों को 1 से 10 तक अंक के आधार पर मापा गया। भारत को 9.21 अंक मिले। वह तालिका में चीन, फिलीपींस, इंडोनेशिया और वियतनाम से भी नीचे रहा। रिपोर्ट में भारत की नौकरशादी में व्यक्त भ्रष्टाचार को भी एक कारक माना गया। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि भारत में करीब 53 फीसद लोगों ने सरकारी सेवाओं के बदले रिश्वत देने की बात कही। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत का 100 में 39वां स्थान है।
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तो 25 फीसद IAS भ्रष्ट!
पूर्व आईएएस अधिकारी और आरबीआई गवर्नर रहे डी. सुब्बाराव ने फॉर्च्यून इंडिया से बातचीत में कहा था कि देश में लगभग 25% आईएएस अधिकारी या तो भ्रष्ट या अयोग्य हैं। 25 फीसद ही सही मायने में काम कर रहे हैं। 50 फीसद आईएएस ने शुरुआत तो अच्छी की, लेकिन अब लापरवाह हैं।
रक्षा से अधिक सरकारी कर्मचारियों पर खर्च, फिर भी रिश्वत की मांग
भारत सरकार ने साल 2017 में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर 125 अरब डॉलर की रकम खर्च की। यह देश की जीडीपी का लगभग 8.15 फीसद है। आवंटन के लिहाज से यह धनराशि रक्ष, शिक्षा, स्वास्थ्य को मिलने वाले बजट से अधिक है। बावजूद इसके अफसरशाही भ्रष्टाचार में लिप्त है।