तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने अनुसूचित जातियों को तीन ग्रुप में बांट दिया है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने X पर लिखा, 'तेलंगाना भारत का पहला राज्य है, जिसने अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण के क्रांतिकारी फैसले को लागू किया है। भारत रत्न डॉ. बीआर आंबेडकर की जयंती के अवसर पर तेलंगाना सरकार ने वर्गीकरण की लंबे समय से लंबित मांग को ध्यान में रखते हुए इस कानून को लागू कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है।'


तेलंगाना सरकार ने सोमवार को SC जातियों के वर्गीकरण का आदेश भी जारी कर दिया है। अब तक तेलंगाना में SC की 59 जातियों को सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में 15% आरक्षण मिलता था। मगर अब इन 59 जातियों को तीन अलग-अलग ग्रुप में बांट दिया है। इसके साथ ही अलग-अलग ग्रुप में अलग-अलग आरक्षण भी कर दिया गया है।

 

यह भी पढ़ें-- कर्नाटक में मुस्लिमों को 4% आरक्षण की पूरी कहानी क्या है?

क्यों लिया यह फैसला?

इससे पहले तेलंगाना सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस शमीम अख्तर की अगुवाई में एक आयोग का गठन किया था। आयोग ने सिफारिश की थी कि SC की 59 जातियों को मिलने वाले 15% आरक्षण को तीन ग्रुप में बांटा जाना चाहिए। 

 


यह फैसला पिछले साल आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया था। पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकारें SC की उपजातियों के वर्गीकरण कर सकती है, बशर्ते वह डेटा पर आधारित हो।


सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया था कि अगर राज्य सरकार को लगता है कि SC की कुछ उपजातियां सामाजिक, आर्थिक या शैक्षणिक रूप से पिछ़ड़ी हैं, तो वह उनके लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा था कि वर्गीकरण 'समानता' को बढ़ावा देता है, क्योंकि यह समाज के सबसे वंचित लोगों को फायदा पहुंचाता है।

 

यह भी पढ़ें-- लिमिट 50%, फिर तमिलनाडु में 69% आरक्षण कैसे? तेजस्वी कर रहे इसका वादा

तो अब क्या हुआ है?

आयोग की सिफारिश के आधार पर तेलंगाना सरकार ने 59 जातियों को तीन अलग-अलग ग्रुप में बांट दिया है। पहले ग्रुप में SC के 15 समुदाय शामिल हैं, जिन्हें 1% आरक्षण मिलेगा। दूसरे ग्रुप में 18 समुदाय हैं, जिनके लिए 9% आरक्षण की व्यवस्था की गई है। वहीं, तीसरे ग्रुप में 26 समुदायों को रखा गया है, जिन्हें 5% आरक्षण दिया जाएगा।

किस आधार पर हुआ है यह बंटवारा?

इस बंटवारे को करते समय दो बातों का ध्यान रखा गया है। पहली- किस उपजाति की आबादी कितनी है? और दूसरी- कोई समुदाय सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक रूप से कितना पिछड़ा है?


पहले ग्रुप में जिन 15 समुदायों को रखा गया है, उनकी आबादी 3.29% है। इस ग्रुप में बावुरी, बेदा (बुडगा) जंगम, चाचाती, दक्कल या डोक्कलवार, जग्गाली, कोलुपुलवंदलुा या पंबाडा या पंबांडा या पंबाला, मांग, मांग गरोड़ी, मन्ने, मष्टी, मातंगी, मेहतर, मुंडाला, सांबन, सप्रू शामिल की गई हैं। इन्हें पूरी तरह से वंचित माना गया है।


दूसरे ग्रुप में 18 समुदाय हैं, जिनकी आबादी 62.75% है। इस समूह में अरुंधतिया, बिंदला, चमार या मोची या मुची या चमार-रविदास या चमार-रोहिदास, चंभर, चांडाल, दंदासी, डोम या डोम्बारा या पैदी या पानो, एल्लामालावर या येल्लम्मालवंडलू, गोदारी, जाम्बुवुलु, मडिगा, मडिगा दासू या मश्तीन, पामिडी, पंचमा या परिया, समागरा, सिंधोलू या चिंडोलू, यताला और वल्लुवन हैं। माना गया है कि इन जातियों को आरक्षण का थोड़ा-बहुत लाभ मिल जाता है।


वहीं, तीसरे ग्रुप में शामिल 26 जातियों की आबादी 33.96% है। इनमें आदि आंध्र, आदि द्रविड़, अनामुक, अरय माला, अरवा माला, बारिकी, बयागारा या ब्यागारी, चलवाडी, ढोर, घासी या हड्डी या रेली या चचंदी, गोसांगी, होलेया, होलेया दसारी, मदसी कुरुवा या मदारी कुरुवा, महार, माला या माला अयावारु, माला दसारी, माला दासू, माला हन्नाई, मालाजंगम, माला मस्ती, माला सेल या नेटकणी, माला संन्यासी, मीठा अय्यलवार, पाकी या मोती या थोटी और रेली हैं। माना गया है कि इन जातियों को आरक्षण का अच्छा-खासा लाभ मिल जाता है।

 

यह भी पढ़ें-- भारत कैसे भाषा पर लड़ने लगा? पढ़ें हिंदी विरोध की पूरी कहानी

इसका असर क्या होगा?

अनुसूचित जातियों में कई सारी अलग-अलग उपजातियां होती हैं। तेलंगाना में 59 उपजातियां हैं। अब तक इन सभी पर 15% आरक्षण लागू होता था। अब तक होता यह था कि सभी उपजातियों के लिए 15% कोटा है तो कई उपजातियों को उसका सही तरह से लाभ नहीं मिल पाता था।


अब सरकार ने उपजातियों के पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण को बांट दिया गया है। इसका असर यह होगा कि अब सबसे ज्यादा जरूरतमंद को भी इसका फायदा मिल सकेगा। जस्टिस शमीम अख्तर आयोग ने भी माना था कि कुछ उपजातियां ऐसी हैं, जो आज भी बहुत पिछड़ी हैं। उदाहरण के तौर पर मडिगा समुदाय लंबे वक्त से मांग कर रहा था कि माला जैसे समुदायों को आरक्षण का ज्यादा फायदा मिल रहा है।


अब यह होगा कि तेलंगाना सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में SC आरक्षण इन तीन ग्रुप के हिसाब से मिलेगा। कुल मिलाकर, ग्रुप-I में शामिल जातियां आबादी में भले ही कम हों लेकिन उनका 1% का कोटा तय हो गया है। इसी तरह ग्रुप-II में शामिल उपजातियों की आबादी सबसे ज्यादा है और उन्हें 9% हिस्सा मिलेगा। इसी तरह, ग्रुप-III में रखे गए समुदायों का हिस्सा अब 5% होगा, क्योंकि उन्हें आरक्षण का बहुत फायदा मिल गया है।


उदाहरण के लिए, अगर किसी कॉलेज में 100 सीटें हैं तो 15% आरक्षण के हिसाब से SC के लिए 15 सीटें तय होती थीं। अब तक SC में शामिल सभी 59 उपजातियों के लिए 15% सीटें आरक्षित थी। मगर अब ज्यादा पिछड़ी जातियों के लिए 1, थोड़ी कम पिछड़ी के लिए 9 और अच्छी-खासी संपन्न उपजातियों के लिए 5 सीटें होंगी।