दिल्ली से तकरीबन 13 हजार किलोमीटर दूर अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक जगह है, जिसे 'डेथ वैली' कहा जाता है। यह दुनिया की अब तक की सबसे गर्म जगह मानी जाती है। इस जगह का नाम डेथ वैली इसलिए पड़ा, क्योंकि 1849 में यहां तेज गर्मी के कारण 10 से 15 लोगों की मौत हो गई थी। 10 जुलाई 1913 को डेथ वैली में पारा 56.7 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था। यह अब तक के इतिहास में पहली और आखिरी बार था, जब दुनिया में कोई जगह इतनी ज्यादा गर्म हुई थी।


यह सारी बात इसलिए, क्योंकि अब भारत भी उसी तरफ बढ़ रहा है। पिछले कुछ सालों से भारत के कई हिस्सों में तापमान 50 डिग्री को पार कर जा रहा है। अभी अप्रैल शुरू हुआ ही है और गर्मी रिकॉर्ड तोड़ने लगी है। अनुमान है कि इस साल गर्मी सारे रिकॉर्ड तोड़ देगी। इस साल हीटवेव के दिन भी बढ़ने की संभावना है।

अभी से सताने लगी है गर्मी

मौसम विभाग के मुताबिक, मंगलवार को दिल्ली में तापमान 41 डिग्री के पार चला गया था। इतना ही नहीं, मंगलवार-बुधवार की रात इस सीजन में अब तक की सबसे गर्म थी। इस रात तापमान 25.6 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था। मौसम विभाग का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में तापमान सामान्य से 6 डिग्री ऊपर चला गया है।


यह हालात सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में ही नहीं हैं, बल्कि राजस्थान भी जबरदस्त तप रहा है। मंगलवार को राजस्थान के बाड़मेर में तापमान 45.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। बाड़मेर के अलावा जैसलमेर में 45.4 डिग्री, चित्तौड़गढ़ में 44.4 डिग्री, बीकानेर में 44.3 डिग्री और कोटा में 44.1 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंच गया था।


मौसम विभाग ने बताया है कि हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिमी यूपी, मध्य प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के कई इलाकों में तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। देश के कई इलाके ऐसे हैं, जहां तापमान सामान्य से 5-6 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है।

 

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गर्मी क्यों बढ़ रही है?

ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत की धरती ही तप रही है, बल्कि दुनियाभर में बढ़ती गर्मी अब डराने लगी है। आमतौर पर ठंडे माने जाने वाले यूरोपीय देशों में भी अब तापमान तेजी से बढ़ रहा है।


अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की रिपोर्ट बताती है कि पृथ्वी अब जितनी तेजी से गर्म हो रही है, उतनी तेजी से तो 10 हजार सालों में भी नहीं हुई। NASA का कहना है कि पृथ्वी के लगभग 8 लाख सालों में करीब 8 बार ऐसा हुआ है, जब पृथ्वी बहुत ठंडी हो गई और फिर बहुत गर्म हो गई। पृथ्वी पर बदलते इस मौसम की वजह से ही कई प्रजातियां भी खत्म हो गईं। 


NASA के मुताबिक, आज हम जिस क्लाइमेट में जी रहे हैं, उसकी शुरुआत करीब 11,700 साल पहले हुई थी। उसकी वजह से ही इंसानी सभ्यता की शुरुआत भी हुई। हालांकि, 1800 के दशक के बाद जब इंडस्ट्रियलाइजेशन हुआ तो तापमान भी तेजी से बढ़ने लगा। वह इसलिए, क्योंकि इसके कारण ऐसी गैसें ज्यादा निकलने लगीं, जिसने तापमान बढ़ाना शुरू कर दिया। इस बढ़ती हुई गर्मी ने न सिर्फ जमीन को गर्म किया, बल्कि समंदर के समंदर गर्म कर दिए और बर्फ को पिघलाना शुरू कर दिया। कुल मिलाकर, आज जो गर्मी बढ़ रही है, उसकी सबसे बड़ी वजह हम इंसान ही हैं।

 

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इंसानों की आदतें कैसे बढ़ा रही गर्मी?

1. गाड़ियांः इनकी वजह से वातावरण में कार्बन डायऑक्साइड (CO2) की मात्रा बढ़ रही है। क्लाइमेट चेंज पर काम करने वाली अमेरिकी संस्था नैचुरल रिसोर्स डिफेंस काउंसिल (NRDC) के मुताबिक, जब पेट्रोल-डीजल जलता है तो बड़ी मात्रा में CO2 निकलती है। एक कार हर साल औसतन 4.6 मीट्रिक टन CO2 छोड़ती है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के मुताबिक, दुनिया में 24% CO2 गाड़ियों से ही होता है।

  • कैसे बढ़ रही गर्मी?: अगर कोई व्यक्ति हर दिन 20 किलोमीटर कार चलाता है तो इससे सालभर में 1.2 टन CO2 निकलती है। भारत में गाड़ियों की संख्या हर साल बढ़ रही है। परिवहन मंत्रालय के मुताबिक, अभी देश में 39.22 करोड़ से ज्यादा गाड़ियां हैं। 2022 में 2.15 करोड़ गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हुआ था, जबकि 2024 में 2.62 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हुआ।


2. बिजलीः अब लगातार बिजली की मांग बढ़ती जा रही है। घरों में एसी, फ्रीज, वॉशिंग मशीन, टीवी, लाइट, पंखा और कई सारे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स होते हैं, जो बिजली की खपत काफी खपत करते हैं। अब ज्यादातर बिजली कोयले से बनती है। भारत में ही 72 फीसदी से ज्यादा बिजली कोयले से बनाई जाती है। कोयले को जलाकर बिजली बनती है। कोयला जलाने से CO2 और सल्फर डायऑक्साइड जैसी गैस निकलती है।

  • कैसे बढ़ रही गर्मी?: भारत में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। 2019-20 में बिजली की पीक डिमांड 183 गीगावॉट थी जो 2023-24 में बढ़कर 249 गीगावॉट तक पहुंच गई। इस साल बिजली की मांग 270 GW तक पहुंचने की उम्मीद है। अब जाहिर है जब डिमांड बढ़ेगी तो इसके लिए कोयले से बिजली भी ज्यादा बनेगी। कोयला जलेगा तो गर्मी बढ़ेगी ही बढ़ेगी।


3. खेती-बाड़ीः चावल की खेती से बड़ी मात्रा में मीथेन गैस निकलती है। भारत में 10 करोड़ हेक्टेयर एरिया से ज्यादा में चावल की खेती होती है। एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर साल चावल की खेती से 50 लाख टन मीथेन गैस निकलती है। इसके अलावा, अब खेती में फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल भी काफी बढ़ गया है। फर्टिलाइजर्स के कारण नाइट्रस ऑक्साइड गैस निकलती है। नाइट्रस ऑक्साइड को CO2 से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है।

  • कैसे बढ़ रही गर्मी?: 2023-24 में भारत में 1,378 लाख मीट्रिक टन चावल की पैदावार हुई थी। अगर एक हेक्टेयर में चावल की खेती होती है तो इससे सालाना 100-150 किलो मीथेन निकलती है। इसी तरह अगर किसी खेत में 200 किलो फर्टिलाइजर का इस्तेमाल होता तो इससे 3 किलो तक नाइट्रस ऑक्साइड गैस आती है।


4. गाय-भैंस पालनाः भारत समेत दुनियाभर में अब भी खेती-बाड़ी या बाकी काम के लिए गाय-भैंस को पाला जाता है। गाय-भैंस जब खाना पचाती हैं तो वे मीथेन गैस छोड़ती हैं। इनके गोबर से भी मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड निकलती है। भारत में हर साल जितनी मीथेन निकलती है, उसमें से 48% का सोर्स यह मवेशी ही होते हैं।

  • कैसे बढ़ रही गर्मी?: एक अनुमान के मुताबिक, भारत में करीब 30 करोड़ पशु हैं, जो हर साल 1 करोड़ टन मीथेन छोड़ते हैं। अगर किसी फार्म में 50 गायें हैं तो वे सालभर में 5 हजार किलो मीथेन छोड़ती हैं। इससे इतनी गर्मी बढ़ेगी, जितनी 1.25 लाख किलो CO2 के निकलने से बढ़ेगी।


5. इंडस्ट्रियलाइजेशनः गर्मी बढ़ाने में सबसे बड़ा हाथ इंडस्ट्रियलाइजेशन यानी औद्योगिकीकरण का ही है। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में दिनभर कोयला जलता है और मशीनें चलती हैं, जिससे खतरनाक गैसें निकलती हैं। सीमेंट, स्टील और केमिकल बनाने में ही अरबों टन CO2 निकलती है। IPCC के मुताबिक, सीमेंट बनाने से हर साल दुनियाभर में 2.5 अरब टन CO2 निकलती है।

  • कैसे बढ़ रही है गर्मी?: औद्योगिकीकरण की वजह से हजारों-लाखों टन CO2, नाइट्रस ऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसें निकलती हैं, जो वातावरण को गर्म करती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल सीमेंट बनाने की वजह से 15 करोड़ टन CO2 निकलती है। 

6. कांच की बिल्डिंगः कुछ सालों में बड़े-बड़े शहरों में कांच की ऊंची-ऊंची इमारतें बनकर खड़ी हो गईं। यह दिखने तो अच्छी लगती हैं लेकिन इससे गर्मी बढ़ती है। कांच की बिल्डिंग सूरज की गर्मी को सोख लेती हैं, जिससे अंदर और बाहर, दोनों तरफ तापमान बढ़ता है। कांच की इमारतें सूरज से आने वाली 70-80% गर्मी को सोख लेती है, जबकि ईंट या पत्थर की इमारतें सिर्फ 20 फीसदी तक सोखती हैं।

  • कैसे बढ़ रही है गर्मी?: कांच की बिल्डिंग सूरज की गर्मी बाहर रिफ्लेक्ट करती हैं, जिससे तापमान बढ़ता है। कांच की बिल्डिंग बाहरी तापमान को 4-5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा देती हैं। IIT मद्रास की स्टडी बताती है कि कांच की बिल्डिंग के पास ग्रामीण इलाकों की तुलना में तापमान 4-5 डिग्री ज्यादा होता है।

और कैसे हम खुद बढ़ा रहे हैं गर्मी?

इसके अलावा और हमारी कई ऐसे काम हैं, जिनके कारण गर्मी बढ़ रही है। NRDC की रिपोर्ट कहती है कि आप जितनी देर तक घर या दफ्तर में रहेंगे, उतनी ज्यादा गैसें निकलेंगी। क्योंकि जब आप घर या दफ्तर में रहते हैं तो बिजली की खपत बढ़ती है और इससे CO2 निकलती है। उससे भी चिंता वाली बात यह होती है कि ज्यादातर बिजली बर्बाद हो जाती है।


खाना पकाने की वजह से भी गर्मी बढ़ रही है। LPG से खाना बनाने से CO2 निकलती है। एक अनुमान के मुताबिक, एक भारतीय परिवार में सालाना औसतन 200 किलो LPG का इस्तेमाल होता है, जिस कारण 600 किलो CO2 निकलती है। और तो और, मांस खाने से भी गर्मी बढ़ती है। मांसहारी खाना तैयार करने पर शाकाहारी खाने की तुलना में 10 गुना ज्यादा गैस निकलती है। 


इतना ही नहीं, खाने की बर्बादी भी गर्मी बढ़ाती है। भारत में हर साल 6.5 करोड़ टन से ज्यादा खाना बर्बाद हो जाता है। यह खाना सड़कर मीथेन छोड़ता है। एक टन खाने के सड़ने पर 50 से 100 किलो तक मीथेन निकलती है।

 

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गर्मी रोकने के लिए कर कुछ नहीं रहे?

दुनियाभर में गर्मी तेजी से बढ़ती जा रही है। NASA का कहना है कि 19वीं सदी के बाद से धरती की सतह का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। बढ़ती गर्मी ने समंदरों को भी गर्म कर दिया है। 1969 के बाद समंदर के ऊपरी 100 मीटर के हिस्से का तापमान 0.67 डिग्री बढ़ गया है। बढ़ते तापमान के कारण पिछली एक सदी में समुद्री स्तर 8 इंच बढ़ गया है।


ग्लेशियरों पर भी इसका असर दिख रहा है। 1993 से 2019 के बीच ग्रीनलैंड में हर साल औसतन 279 अरब टन बर्फ पिघल गई है। इसी दौरान अंटार्कटिका में भी सालाना औसतन 148 अरब टन बर्फ पिघली है।


ऐसा अनुमान है कि इस सदी के आखिर तक दुनियाभर में तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। भारत में ही इस सदी के आखिर तक तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है। 


मगर इसके बाद भी कुछ ठोस कदम उठाए नहीं जा रहे हैं। शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के लिए तेजी से जंगलों और पेड़ों को काटा जा रहा है। पेड़ और जंगल इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि यह CO2 सोखते हैं और ऑक्सीजन सोखते हैं। ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच की पिछले साल आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में 2000 से 2023 के बीच 23.3 करोड़ हेक्टेयर के जंगल खत्म हो गए हैं। इस कारण सालाना 5 करोड़ टन CO2 हवा में जम रही है, जिससे गर्मी बढ़ रही है।


धरती के बढ़ते तापमान को रोकने के लिए वैसे तो कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन उनका असर फिलहाल नहीं दिख रहा है। इसके लिए 2015 में पेरिस समझौता भी हुआ था। इसका मकसद 2100 तक पृथ्वी के तापमान को 1.5 डिग्री से ज्यादा बढ़ने से रोकना है। कुल मिलाकर, अपनी सुख-सुविधाओं और फायदे के लिए हम जो कर रहे हैं, उससे गर्मी बढ़ रही है लेकिन इसे रोकने के लिए फिलहाल कोई ठोस काम नहीं किया जा रहा है।