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एक्साइज ड्यूटी बढ़ी फिर भी महंगा नहीं हुआ पेट्रोल-डीजल, इसकी वजह समझिए

केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली 2 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है। हालांकि, इसके बाद भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ीं हैं। मगर ऐसा क्यों हुआ? क्या यह एक तरह का मास्टरस्ट्रोक है? समझते हैं।

petrol diesel

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है। सरकार ने एक लीटर पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है। पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में लगभग तीन साल बाद बदलाव हुआ है। आखिरी बार मई 2022 में एक्साइज ड्यूटी में बदलाव हुआ था। तब सरकार ने एक्साइज ड्यूटी को घटा दिया था।


सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली स्पेशल एडिशन एक्साइज ड्यूटी (SAED) को बढ़ाया है। अब हर एक लीटर पेट्रोल पर 11 रुपये की बजाय 13 रुपये SAED लगेगी। जबकि, एक लीटर डीजल पर SAED 8 रुपये से बढ़कर 10 रुपये हो गई है।


इस तरह से, अब एक लीटर पेट्रोल पर केंद्र सरकार की तरफ से लगने वाला कुल टैक्स 19.90 रुपये से बढ़कर 21.90 रुपये हो गया है। डीजल पर अब 15.80 रुपये की बजाय 17.80 रुपये का टैक्स लगेगा। बढ़ी हुई एक्साइज ड्यूटी 8 अप्रैल से लागू हो गई हैं।

सरकार के इस फैसले का क्या असर होगा?

  • केंद्र सरकार परः पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि हर साल देश में 16,000 करोड़ लीटर पेट्रोल और डीजल की खपत होती है। 2-2 रुपये एक्साइज ड्यूटी से बढ़ने से सरकार को 32 हजार करोड़ का टैक्स ज्यादा मिलेगा।
  • आम लोगों परः पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ने का फिलहाल आम लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। एक्साइज ड्यूटी बढ़ने के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ेंगी। इसका मतलब हुआ कि अब तक आप जितने में पेट्रोल-डीजल खरीद रहे थे, अभी भी उतने में ही मिलेगा।
  • तेल कंपनियों परः सरकार के इस फैसले का सीधा असर तेल कंपनियों पर पड़ेगा। वह इसलिए, क्योंकि बढ़ी हुई एक्साइज ड्यूटी का बोझ तेल कंपनियां उठाएंगी। एक्साइज ड्यूटी बढ़ी है लेकिन कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की रिटेल प्राइस न बढ़ाने का फैसला लिया है। हालांकि, इससे कंपनियों के रेवेन्यू पर असर पड़ेगा।

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क्यों नहीं बढ़ाई गई आखिर कीमत?

होता यह है कि 2010 तक पेट्रोल की कीमत सरकार ही तय करती थी। बाद में इसे तय करने का अधिकार तेल कंपनियों को मिल गया। 2014 में डीजल की कीमतें तय करने का अधिकार भी तेल कंपनियों को मिल गया। जब तक सरकार के पास यह अधिकार था, तब तक हर 15 दिन में कीमतें तय होती थीं। मगर जब कंपनियों को इसका अधिकार मिला तो हर दिन के हिसाब से पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय होने लगीं।


तेल कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों के आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करती हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमतें तीन बातों पर निर्भर करती हैं। पहली- कच्चे तेल की कीमत क्या है? दूसरी- रुपये के मुकाबले डॉलर का भाव क्या है? और तीसरी- केंद्र और राज्य सरकारें कितना टैक्स ले रहीं हैं?

 


चूंकि, भारत की जरूरत का 85 फीसदी तेल बाहर से आता है, इसलिए हमारे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करने में इसकी अहम भूमिका होती है।


अब इसे मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक कहें या टाइमिंग कहें कि ऐसे समय में एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है, जब कच्चे तेल की कीमत अप्रैल 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर हैं। सोमवार को कच्चे तेल की कीमत 65.01 डॉलर प्रति बैरल होती है। एक बैरल में 159 लीटर होता है। इस हिसाब से एक लीटर कच्चे तेल की कीमत हुई 0.40 डॉलर। अब इसे रुपये में देखा जाए तो करीब 35 रुपये में एक लीटर कच्चा तेल मिल रहा है।


पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के मुताबिक, एक साल में क्रूड ऑयल की कीमत 27 फीसदी से ज्यादा कम हुई है।

 

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तो कंपनियों की कमाई नहीं घटेगी?

सरकारी तेल कंपनियों ने साफ किया है कि एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने के बावजूद भी पेट्रोल-डीजल महंगा नहीं होगा, क्योंकि वे इनकी रिटेल प्राइस नहीं बढ़ाएंगी। 2-2 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ने के बाद तेल कंपनियों ने रिटेल प्राइस में 2 रुपये घटा दिए हैं। इस कारण पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ी हैं।


इससे साफ है कि तेल कंपनियों की कमाई पर असर पड़ेगा, क्योंकि अब उन्हें एक लीटर पर पेट्रोल पर 2 रुपये कम मिलेंगे।


हालांकि, सरकार ने थोड़ी राहत देते हुए सरकार ने घरों में इस्तेमाल होने वाले LPG सिलेंडर की कीमत 50 रुपये बढ़ा दी है। इससे अब एक गैस सिलेंडर की कीमत बढ़कर 853 रुपये हो गई है। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि LPG की बिक्री से तेल कंपनियां घाटे में हैं, इसलिए गैस सिलेंडर की कीमत और एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर इसकी भरपाई की जा रही है।

 


उन्होंने बताया कि फरवरी 2025 में गैस की कीमत बढ़कर 629 डॉलर प्रति टन पहुंच गई है, जो जुलाई 2023 में 385 डॉलर प्रति टन थी। इस हिसाब से दिल्ली में 14.2 किलो वाले सिलेंडर की कीमत 1,028.50 रुपये होनी चाहिए लेकिन मामूली बढ़ोतरी ही की गई है।


LPG सिलेंडर को कम कीमत पर बेचने के कारण 2024-25 में सरकारी तेल कंपनियों को 41,338 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। 


अब तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल पर तो रिटेल प्राइस में कटौती कर दी है, ताकि आम लोगों पर इसका बोझ न पड़े। मगर दूसरी तरफ गैस सिलेंडर की कीमत 50 रुपये बढ़ा दी है। इससे पेट्रोल-डीजल पर होने वाली कम कमाई की भरपाई गैस सिलेंडर से की जाएगी।

 

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क्या मोदी सरकार का यह मास्टरस्ट्रोक है?

मोदी सरकार के 11 साल के कार्यकाल में कई बार एक्साइज ड्यूटी ऐसे समय पर बढ़ाई गई है, जब कच्चे तेल की कीमत काफी कम रही हैं।


नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच सरकार ने 9 बार एक्साइज ड्यूटी तब बढ़ाई थी, जब क्रूड ऑयल की कीमतें गिर रही थीं। इन 15 महीनों में एक्साइज ड्यूटी बढ़कर पेट्रोल पर 11.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर हो गई थी। नतीजा यह हुआ कि 2014-15 में सरकार को एक्साइज ड्यूटी से 99 हजार करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। 2016-17 में यह कमाई बढ़कर 2.42 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई।

 


जुलाई 2019 में सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर 2-2 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी थी। मार्च 2020 में सरकार ने इसमें 3 रुपये की बढ़ोतरी कर दी थी। फिर मई 2020 में 3 रुपये ड्यूटी बढ़ गई थी। हालांकि, जब मई 2022 में कई जगहों पर पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये को पार कर गई थी, तो सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटा दी थी। हालांकि, इसका सीधा असर सरकार की कमाई पर पड़ा।


2021-22 में सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी से 3.63 लाख करोड़ रुपये कमाए थे। 2022-23 में यह घटकर 2.87 लाख करोड़ रुपये हो गई। 2023-24 में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी से 2.73 लाख करोड़ की कमाई की। 2024-25 के 9 महीनों यानी अप्रैल से दिसंबर के बीच सरकार ने एक्साइज ड्यूटी से 1.87 लाख करोड़ रुपये कमाए हैं।


सरकार को उम्मीद है कि एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से उसे 32 हजार करोड़ रुपये की कमाई होगी। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के समय एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर सरकार ने एक तरह से मास्टरस्ट्रोक चल दिया है, क्योंकि इससे जनता पर बोझ डाले बिना कमाई बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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