यह साल (2025) खत्म होने वाला है और नया साल (2026) हमारे जीवन में दस्तक देने को तैयार है। वर्ष 2025 लोगों के व्यक्तिगत जीवन में कई उतार-चढ़ाव लेकर आया। साथ ही इस साल ने भारत को भी उतार-चढ़ाव का अहसास करवाया। सियासी तौर पर इस साल कई ऐसी घटनाएं घटीं, जिन्होंने लोगों के जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया। यह घटनाएं ऐसी हैं जो सालों तक याद रखी जाएंगी। इन राजनीतिक घटनाओं में चुनावी क्षेत्र से लेकर कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनको लेकर देश का समाज और राजनीति प्रभावित हुई। साथ ही 2025 भारत के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ, जिसमें राज्य स्तरीय चुनावों से लेकर सुरक्षा संबंधी कार्रवाइयों तक कई ऐसी घटनाएं हुईं जिन्होंने राजनीतिक परिदृश्य को आकार दिया।

 

यह साल जाने वाला है और नया साल आने वाला है। ऐसे में हम 2025 में घटी ऐसी 5 बड़ी राजनीतिक घटनाओं की बात करेंगे, जिन्होंने देश की पूरी सियासत को प्रभावित किया है। इन घटनाओं में हालिया बिहार विधानसभा चुनाव से लेकर पहलगाम आतंकी हमला और भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ गतिरोध शामिल है। आइए 2025 की पांच बड़ी राजनीति घटनाओं के बारे में बात करते हैं...

दिल्ली विधानसभा चुनाव (फरवरी 2025)

भाजपा ने 27 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद दिल्ली विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत हासिल किया, आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया। यह विपक्षी एकता के लिए झटका था और राष्ट्रीय राजधानी की राजनीति में बड़ा परिवर्तन लाया।

 

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दिल्ली विधानसभा चुनाव इस साल की शुरुआत में हुए। यह चुनाव आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय भले रहा लेकिन मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच लड़ा गया। एक तरफ तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में 'आप' सरकार के 10 साल में शिक्षा, स्वास्थय और फ्री बिजली के मुद्दे थे तो, दूसरी तरफ बीजेपी के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व और उनकी सरकार में किए गए विकास कार्य थे। बीजेपी ने इस चुनाव में केजरीवाल सरकार के दस साल के शासन में किए गए कथित भ्रष्टाचार, कथित शीशमहल को लेकर घेरा। साथ ही राष्ट्रवादी सियासत के बल पर जनता के बीच आपनी पैठ मजबूत की।

 

बीजेपी और आम आदमी पार्टी पूरे चुनाव में एक दूसरे पर हमलावर रहे। वहीं, कांग्रेस इन दोनों दलों के बीच संघर्ष करती हुई दिखाई दी। जहां, कांग्रेस 2013 के बाद दिल्ली की गद्दी को वापस पाने के लिए कोशिश करती दिखी तो, आम आदमी पार्टी को विश्वास था कि अरविंद केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे। मगर, बीजेपी ने 27 सालों के लंबे इंतजार के बाद दिल्ली विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत हासिल करते हुए आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया।

 

दिल्ली का यह चुनाव विपक्षी एकता के लिए झटका था और राष्ट्रीय राजधानी की राजनीति में बड़ा परिवर्तन लाया। जीत के बाद बीजेपी ने नए महिला चेहरे रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया।

वक्फ संशोधन विधेयक (अप्रैल 2025)

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025, अप्रैल में संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया। यह विधेयक मोदी सरकार बनाम विपक्ष हो गया था। इस विधेयक के जरिए सरकार देशभर में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही लाना चाहती थी। यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करने वाला था, साथ ही 1923 के पुराने कानून को निरस्त करने वाला है। विधेयक में वक्फ की परिभाषा, पंजीकरण और प्रबंधन में सुधार जैसे कई बदलाव शामिल हैं, जिससे अब वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों और महिलाओं को शामिल किया जा सकेगा।

 

 

हालांकि, विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद से लेकर संसद के बाहर तक असहमति जताते हुए विरोध किया। मुस्लिम नेताओं, संगठनों और विपक्षी दलों ने विरोध जताते हुए कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता को खतरे में डालता है। साथ ही इनका कहना था कि यह मुस्लिम धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर करता है, और वक्फ बोर्ड में कुप्रबंधन को खत्म करने के नाम पर सरकार को ज्यादा शक्ति देता है, जिससे भ्रष्टाचार और अतिक्रमण बढ़ने की आशंका है।

 

इस विधेयक के कानून बनने के बाद देश में राजनीति तेज हो गई। कई दलों ने इस मुद्दों को लेकर मुसलमानों पर हमला बताया। कई चुनावों में भी मुस्लिमों के बीच इस मामले को मुद्दा बनाया गया, लेकिन सरकार ने कहा कि इस विधेयक से मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं होगा।

पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर (अप्रैल-मई 2025)

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुन फायरिंग करके 27 बेगुनाह पर्यटकों की हत्या कर दी। इस हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। मोदी सरकार में 2014 के बाद से यह सबसे बड़े आतंकवादी हमलों में से एक था। ममूचे विपक्ष ने इस हमले की निंदा करते हुए सरकार पर सिक्योरिटी नाकामी पर गंभीर सवाल उठाए। मगर, इस मुद्दे पर विपक्ष सवाल उठाने से ज्यादा सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा नजर आया है। आखिरकार तमाम हाई लेवल की जांच के बाद भारतीय सेना ने 7 मई 2025 की रात को पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर दिया।

 

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ऑपरेशन सिंदूर को लॉन्च करते हुए भारती की वायु सेना ने पाकिस्तान के 150 किलोमीटर तक अंदर घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इसमें की वो भी आतंकी ठिकाने शामिल थे, जहां से पहलगाम हमले की रणनीति बनाई गई थी। ऑपरेशन सिंदूर के तिलमिलाए पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई में सैन्य हमला किया। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया और कूटनीतिक संकट पैदा हो गया।

 

 

इस मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में विपक्ष ने साफ शब्दों में कहा कि वह सरकार के हर फैसले के साथ में है। सरकार जो कदम उठाना चाहे उसमें विपक्ष की हामी रहेगी। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कथित दावे और भारत-पाकिस्तान के DGMO लेवल की द्विपक्षीय बातचीत के बाद यह गतिरोध खत्म हो गया। 10 मई की शाम को अचानक से भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई को रोक दिया। ट्रंप ने युद्ध को खत्म करने को लेकर दावा किया।

 

विपक्ष ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार ट्रेड के नाम पर भारत को धमकाने को लेकर मोदी सरकार को घेर लिया। साथ ही किसी तीसरे देश के दबाव में अपनी सैन्य कार्रवाई रोकने का आरोप लगाकर मोदी सरकार पर हमला बोला। सरकार इस मुद्दे पर सफाई देती रही कि भारत ने किसी भी तीसरे देश के दबाव में सैन्य कार्रवाई नहीं रोकी, मगर इसी बीच ट्रंप अपना दावा दोहराते रहे। विपक्ष ने ट्रंप के दावे को लेकर संसद से लेकर संसद के बाहर तक सरकार को घेरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संसद के अंदर इस मुद्दे को लेकर सफाई पेश की। मगर, ऑपरेशन सिंदूर, डोनाल्ड ट्रंप के दावे और सैन्य कार्रवाई को रोकने को लेकर आज भी राजनीति हो रही है।

उपराष्ट्रपति चुनाव (सितंबर 2025)

21 जुलाई 2025 की देर शाम अचानक से देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र सौंपा। यह इस्तीफा संसद के ठीक मॉनसून सत्र (21 जुलाई) के पहले दिन दिया गया था, और 22 जुलाई को राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया। धनखड़ का कार्यकाल मूल रूप से 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन वे कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देने वाले पहले उपराष्ट्रपति बने।

 

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने देश की राजनीति में एकाएक भूचाल ला दिया, जिसने कई बड़ा सवाल खड़े कर दिए। समूचे विपक्ष ने धनखड़ के इस्तीफे को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर बड़ा हमला किया था। जैसे कि धनखड़ ने अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य बताया था, लेकिन विपक्ष का कहना था कि स्वास्थ्य सिर्फ औपचारिक बहाना है, असली कारण जगदीप धनखड़ पर राजनीतिक दबाव और सरकार से टकराव था। विपक्ष ने इस्तीफे की टाइमिंग और कारणों की पारदर्शिता पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा।

 

 

वहीं, इसके बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए एक बार फिर से चुनाव हुए। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने तमिलनाडु से आने वाले महाराष्ट्र के गवर्नर सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया। राधाकृष्णन महाराष्ट्र से पहले झारखंड और गुजरात के भी गवर्नर रह चुके थे। एनडीए के मुकाबले में कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने बी सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार घोषित किया।

 

हालांकि, लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों में एनडीए की संख्याबल को देखते हुए सीपी राधाकृष्णन की जीत तय मानी जा रही थी। 9 सितंबर को जब परिणाम घोषित किए गए तो एनडीए के सीपी राधाकृष्णन ने 452 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की, जबकि इंडिया के बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट ही मिले। राधाकृष्णन 152 वोटों से जीतकर देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने।

बिहार विधानसभा चुनाव (अक्टूबर-नवंबर 2025)

इसी साल नवंबर महीने में बिहार में दो चरणों (6 और 11 नवंबर) को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हुई। बिहार चुनाव ने पूरे देश की राजनीति को दिशा देने का काम किया। चुनाव में एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए खेमा था तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन। दोनों गठबंधनों ने एड़ी-चोटी का दम लगाकर चुनावी प्रचार किया। पूरे चुनाव में एनडीए ने पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के जंगलराज को याद दिलाते हुए बिहार में युवाओं को नौकरियां देने और राज्य का विकास करने की बात कही।

 

 

दूसरी तरफ महागठबंधन ने एनडीए की नीतीश कुमार सरकार पर बेरोजगारी फैलाने, राज्य में उद्योग धंधे नहीं लगाने, पलायन, वोट चोरी और अपराध बढ़ाने का आरोप लगाया। तेजस्वी यादव ने अपनी हर रैली में इन मुद्दों को लेकर बीजेपी और जेडीयू को घेरा। मगर, 14 नवंबर को आए बिहार के नतीजों ने जो तस्वीर पेश की उसने इतिहास रच दिया। चुनाव में एनडीए को बंपर जीत मिली तो महागठबंधन को मूंह की खानी पड़ी।

 

बिहार की कुल 243 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। बीजेपी को 89, जेडीयू को 85, एलजेपी (आर) को 19, 'हम' को 5 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4 सीटें मिलीं। इस तरह से एनडीए ने कुल मिलाकर 202 सीटें जीतीं। वहीं, महाठबंधन ने कुल मिलाकर महज 35 सीटें ही जीत सकी। आरजेडी 25 सीट और कांग्रेस 6 सीट पर सिमटकर रह गई। एनडीए ने महागठबंधन को हराकर सत्ता बरकरार रखी, नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। तेजस्वी यादव की हार ने विपक्षी गठबंधन में दरारें पैदा कीं और 2029 के लोकसभा चुनावों की दिशा तय की।

 

ये घटनाएं न केवल आंतरिक राजनीति को प्रभावित करने वाली रहीं, बल्कि विदेश नीति और सामाजिक सद्भाव पर भी असर डाला।