केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला। राहुल ने केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में आरक्षित शिक्षक पदों को भरने के तरीकों पर सवाल उठाए थे। इस पर प्रधान ने X पर लिखा कि राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस आज देश में झूठ और धोखे के सबसे बड़े ब्रांड एम्बेसडर बन गए हैं। उन्होंने कांग्रेस पर अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों का ऐतिहासिक रूप से उपेक्षा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शाही परिवार ने हमेशा SC, ST और OBC को छला है, मगर शहजादे को अपने ही परिवार का वंचित और दलित विरोधी इतिहास पता नहीं है।।
प्रधान ने खाली पदों पर आंकड़े साझा करते हुए कहा कि 2014 में जब यूपीए सरकार गई, तब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 57% SC, 63% ST, और 60% OBC शिक्षक पद खाली थे। इसके बाद मोदी सरकार ने इन पदों को भरने का काम शुरू किया। उन्होंने बताया कि 2014 में 16,217 शिक्षक पद थे, जो अब बढ़कर 18,940 हो गए हैं।
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यूपीए सरकार के बताए आंकड़े
उन्होंने भर्ती के आंकड़े देते हुए लिखा, ‘2004 से 2014 तक IITs में केवल 83 SC, 14 ST, और 166 OBC शिक्षकों की भर्ती हुई। NITs में 261 SC, 72 ST, और 334 OBC शिक्षक नियुक्त हुए। इसके विपरीत 2014 से 2024 तक IITs में 398 SC, 99 ST, और 746 OBC, जबकि NITs में 929 SC, 265 ST, और 1,510 OBC शिक्षकों की भर्ती हुई।’
प्रधान ने भर्ती नीतियों में बदलाव की सराहना करते हुए कहा, ‘मोदी सरकार ने असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए पीएचडी की अनिवार्यता हटाई, ताकि ज्यादा मौके मिलें।’ राहुल ने 'नॉट फाउंड सूटेबल' (NFS) टैग को आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अधिकारों से वंचित करने का हथियार बताया था। इस पर प्रधान ने कहा, ‘NFS टैग कांग्रेस शासन की देन था, जिसने SC, ST, और OBC के अधिकार छीने।’
मोदी सरकार लागू किया ऐक्ट
प्रधान ने बताया कि मोदी सरकार ने 2019 में सेंट्रल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस (रिजर्वेशन इन टीचर्स काडर) ऐक्ट लागू किया, जिसने गैर-आरक्षित उम्मीदवारों से आरक्षित पद भरने की प्रथा खत्म की। अब आरक्षित पद केवल आरक्षित वर्ग के लिए ही भरे जाते हैं।
राहुल गांधी ने दावा किया था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में 60% से ज्यादा आरक्षित वर्ग के प्रोफेसर के पद खाली हैं, क्योंकि सरकार जानबूझकर इन वर्गों को बाहर रख रही है। इस पर प्रधान ने कहा, ‘कांग्रेस शासन से चली आ रही व्यवस्थागत समस्याओं के कारण कुछ पद खाली हैं, लेकिन सरकार लगातार इन्हें भर रही है।’
राहुल ने बताया था विश्वासघात
राहुल ने NFS लेबल को संविधान पर हमला और सामाजिक न्याय के साथ विश्वासघात बताया। उन्होंने कहा, ‘शिक्षा समानता का सबसे बड़ा हथियार है, जैसा कि बाबासाहेब ने कहा, लेकिन मोदी सरकार इस हथियार को कमजोर कर रही है।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘हम DUSU छात्रों के साथ खड़े हैं और BJP-RSS के हर आरक्षण-विरोधी कदम का संविधान की ताकत से मुकाबला करेंगे।’
प्रधान ने कांग्रेस पर बाबासाहेब आंबेडकर के नाम का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘जो लोग आंबेडकर के नाम पर बोलते हैं और कांग्रेस का समर्थन करते हैं, वे संविधान पर हमला कर रहे हैं।’
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यह विवाद केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षण नीतियों और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर गहरी बहस छेड़ रहा है। राहुल गांधी और कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ाया है, जबकि प्रधान ने आंकड़ों के साथ अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में खाली पदों को जल्द भरने की मांग तेज हो रही है। सरकार का दावा है कि वह सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन विपक्ष इसे लागू करने में नाकामी का आरोप लगा रहा है।