'Not Found Suitable अब नया मनुवाद', राहुल गांधी ने छेड़ दी नई बहस
हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी गए राहुल गांधी ने वहां के स्टूडेंट्स से बातचीत में प्रोफेसर की भर्ती से जुड़ा सवाल उठाते हुए कहा है कि अब 'Not Found Suitable' ही नया मनुवाद है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के साथ राहुल गांधी, Photo Credit: Congress
कुछ दिन पहले ही कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दिल्ली यूनिवर्सिटी पहुंचे थे। उनके अचानक दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) जाने को लेकर विवाद भी हुआ था। अब राहुल गांधी ने DU के स्टूडेंट्स से अपनी मुलाकात और बातचीत का वीडियो जारी किया है। इसी वीडियो के साथ राहुल गांधी ने आरक्षण को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। राहुल गांधी ने कहा है कि ‘Not Found Suitable’ अब नया मनुवाद है और इसके जरिए अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के युवाओं को शिक्षा और नेतृत्व से दूर रखने की कोशिश की जा रही है। राहुल गांधी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी का जिक्र करके कहा है कि प्रोफेसर के 60 पर्सेंट से ज्यादा पद खाली रखे गए हैं और इसके लिए आवेदन करने वालों को Not Found Suitable बता दिया गया है।
राहुल गांधी 22 मई को अचानक दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस पहुंचे थे। बाद में दिल्ली यूनिवर्सिटी ने इस पर आपत्ति जताई थी कि राहुल गांधी बिना किसी पूर्व सूचना के ही कैंपस में आ गए। जब वह कैंपस में गए थे तब उनके साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष रौनक खत्री के अलावा NSUI के तमाम कार्यकर्ता और छात्र-छात्राएं भी थीं। रौनक खत्री पिछले कई महीनों से चर्चा में रहे हैं। वहीं, दिल्ली यूनिवर्सिटी में NSUI के प्रतिद्वंद्वी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने राहुल गांधी के इस दौरे को नाटक करार दिया था।
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क्या बोले राहुल गांधी?
राहुल गांधी ने अपने X प्रोफाइल पर इस मुलाकात और बातचीत का वीडियो पोस्ट किया है। उन्होंने इस वीडियो के साथ लिखा है, '‘Not Found Suitable’ अब नया मनुवाद है। SC/ST/OBC के योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर ‘अयोग्य’ ठहराया जा रहा है - ताकि वे शिक्षा और नेतृत्व से दूर रहें। बाबासाहेब ने कहा था: शिक्षा बराबरी के लिए सबसे बड़ा हथियार है लेकिन मोदी सरकार उस हथियार को कुंद करने में जुटी है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में 60% से ज़्यादा प्रोफ़ेसर और 30% से ज़्यादा असोसिएट प्रोफ़ेसर के आरक्षित पदों को NFS बताकर खाली रखा गया है। यह कोई अपवाद नहीं है - IITs, Central Universities, हर जगह यही साज़िश चल रही है।'
राहुल गांधी ने आगे लिखा है, 'नॉट फाउंड सूटेबल यानी NFS संविधान पर हमला है। NFS सामाजिक न्याय से धोखा है। यह सिर्फ़ शिक्षा और नौकरी की नहीं- हक़, सम्मान और हिस्सेदारी की लड़ाई है। मैंने DUSU के छात्रों से बात की। अब हम सब मिलकर BJP/RSS की हर आरक्षण-विरोधी चाल को संविधान की ताक़त से जवाब देंगे।'
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प्राइवेटाइजेशन पर बरसे राहुल गांधी
इसी वीडियो में राहुल गांधी ने यह दावा भी किया कि 'हिंदुत्व प्रोजेक्ट' का मकसद दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्गों के इतिहास को मिटाना है। राहुल गांधी ने यूट्यूब पर अपने पोस्ट में कहा कि निजीकरण का असली मतलब है संस्थाओं से दलितों और ओबीसी को अलग रखना। उन्होंने ने आरोप लगाए कि नई शिक्षा नीति पिछड़े, दलित, आदिवासी युवाओं से प्रतिस्पर्धा का लाभ छीनने का प्रयास है और शिक्षण संस्थाओं का निजीकरण करके शिक्षा महंगी की जा रही है और इससे भारत का एक बहुत बड़ा वंचित वर्ग अच्छी शिक्षा तक पहुंच नहीं पा रहा
जातिगत जनगणना और आरक्षण सीमा बढ़ाने का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा, 'हमारी लड़ाई इसी बढ़ती असमानता के खिलाफ़ है। इसका जवाब है जाति जनगणना, आरक्षण पर से 50 प्रतिशत की सीमा हटाना, अनुच्छेद 15(5) से निजी संस्थाओं में भी आरक्षण, एससी-एसटी सब प्लान जो दलित आदिवासी नीतियों को उचित आर्थिक सहायता दिलवाए। तब जा कर होगा न्याय!'
Not Found Suitable क्या है?
अप्रैल 2025 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने एक संसदीय समिति के सामने यह बात कही थी कि जानबूझकर SC/ST समुदाय के लोगों का हाशिए पर धकेला जा रहा है। दरअसल, तब अनुसूचित जाति और अनुसुचूति जनजाति कल्याण मामलों की संसदीय समिति ने दिल्ली यूनिवर्सिटी का दौरा किया था। इस कमेटी में लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर कुल 20 सांसद थे। इन लोगों ने लगभग 80 लोगों से बातचीत की थी, जिसमें SC-ST समुदाय के शिक्षक, स्टूडेंट और नॉन टीचिंग स्टाफ शामिल थे।
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तब डेमोक्रैटिक टीचर्स फ्रंट ने इस संसदीय समिति के सामने 'नॉट फाउंड सूटेबल' का मुद्दा भी उठाया था। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, डेमोक्रैटिक टीचर्स फ्रंट के ज्वाइंट सेक्रेटरी मितुराज धुसिया ने कहा था, 'जब योग्य उम्मीदवार उपलब्ध थे और कइयों को शॉर्टलिस्ट कर लिया गया, तब भी कई उम्मीदवारों को नॉट सूटेबल बता दिया गया। यह दिखाता है कि उन्हें जानबूझकर अलग रखा जा रहा है।'
उन्होंने आरोप लगाए थे कि हिंदी विभाग में NFS का इस्तेमाल करके OBC शिक्षकों को बाहर रखा जा रहा है। इन शिक्षकों ने संसदीय समिति को इसके बारे में एक ज्ञापन सौंपकर मांग की थी कि भर्ती प्रक्रिया को सुधारने की दिशा में कदम उठाए जाएं।
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