कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही रस्साकशी के बीच उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार दिल्ली जा रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि वे एक शादी और पार्टी के कार्यक्रम की तैयारी के लिए जा रहे हैं, इसका कोई राजनीतिक मतलब नहीं है। लेकिन उनके इस दिल्ली दौरे पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने तंज कसा और कहा, 'वह जाएं, मैं तभी जाऊंगा जब बुलावा आएगा। अभी तक कोई फोन नहीं आया है।'
कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार को सत्ता में आए ढाई साल हो चुके हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दोनों बड़े नेताओं के बीच खींचतान की खबरें लगातार आ रही हैं। हालांकि बाहर से दोनों नेता अच्छे संबंध दिखा रहे हैं। हाल ही में बेंगलुरु में दोनों ने एक-दूसरे के घर पर नाश्ता करके एकजुटता का संदेश दिया था।
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क्या बोले शिवकुमार?
दिल्ली रवाना होने से पहले डीके शिवकुमार ने पत्रकारों से कहा, 'आज दिल्ली एक निजी कार्यक्रम में जा रहा हूं। इसमें कोई राजनीति नहीं है।' वहीं सिद्धारमैया ने पत्रकारों के सवाल पर मुस्कुराते हुए कहा, 'उन्हें जाने दो। मुझे बुलावा आएगा तभी मैं जाऊंगा। अभी तक कोई कॉल नहीं आई है।'
इसी बीच सिद्धारमैया मैंगलुरु पहुंचे, जहां सामाजिक सुधारक श्री नारायण गुरु की महात्मा गांधी से मुलाकात के शताब्दी समारोह में वह शामिल हुए। वहीं कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भाषण दिया और बाद में मुख्यमंत्री के साथ लंच भी किया। सिद्धारमैया ने कहा कि अगर पार्टी हाईकमान दिल्ली बुलाना चाहेगा तो वेणुगोपाल ही मैसेज देंगे।
रामलीला में कार्यक्रम
दूसरी तरफ डीके शिवकुमार ने दिल्ली जाने के अपने प्लान को और साफ किया। उन्होंने बताया, 'एक शादी में जाना है और 14 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘वोट चोरी’ अभियान का बड़ा कार्यक्रम है। हर जिले से कम से कम 300 कार्यकर्ता जा रहे हैं। इसके लिए तैयारियां करनी हैं।'
सिद्धारमैया ने दी प्रतिक्रिया
जब पत्रकारों ने सिद्धारमैया के वेणुगोपाल के साथ लंच करने के बारे में पूछा तो शिवकुमार ने हंसते हुए कहा, 'मुख्यमंत्री वेणुगोपाल, राहुल गांधी या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलें तो क्या गलत है?' मैंगलुरु एयरपोर्ट पर उनके समर्थकों के ‘डीके-डीके’ के नारे लगाने पर भी उन्होंने कहा, 'दस साल से लोग ‘डीके-डीके’ चिल्ला रहे हैं, इसमें नया क्या है? कोई ‘मोदी-मोदी’, कोई ‘राहुल-राहुल’, कोई ‘सिद्दू-सिद्दू’ बोलता है। प्यार से नारे लगते हैं, इसे अच्छे तरीके से लेना चाहिए। इसमें कुछ गलत नहीं है।'
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कुल मिलाकर बाहर से सब शांत दिख रहा है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों नेताओं के बयानों से साफ है कि कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर अंदरूनी तनाव अभी खत्म नहीं हुआ है। दिल्ली आने-जाने का सिलसिला और हाईकमान से मुलाकातें जारी हैं। देखना यह है कि पार्टी आलाकमान इस मामले को कब और कैसे सुलझाता है।
