पश्चिम बंगाल की सियासत में 'अवैध घुसपैठियों' का मुद्दा छाया है। भारतीय जनता पार्टी, एक अरसे से कहते आ रही है कि राज्य में बांग्लादेश से आने वाले अवैध घुसपैठियों की संख्या बढ़ गई है, उनके नाम वोटर लिस्ट तक में शामिल हैं, जिसकी वजह से राज्य के चुनावों में असर पड़ रहा है। चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) किया है, जिसका ड्राफ्ट वोटर लिस्ट अब जारी हो चुका है। कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) का कहना है कि बीजेपी का यह दावा पूरी तरह से नाकाम हो चुका है, पश्चिम बंगाल में घुसपैठिए नहीं हैं।

पश्चिम बंगाल में SIR ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के बाद कांग्रेस और CPI(M) नेताओं ने दावा किया है कि अब BJP का 'बढ़ते घुसपैठिए' वाला नैरेटिव कमजोर पड़ गया है।​ SIR ड्राफ्ट रोल में 58 लाख वोटरों के नाम हटाए गए हैं। लेफ्ट, कांग्रेस और TMC का कहना है कि ये आंकड़े साबित करते हैं कि बीजेपी का 1 करोड़ घुसपैठिए वाला दावा गलत है। CPI(M) के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम और कांग्रेस के नेता गुलाम अहमद मीर दोनों ने कहा कि ड्राफ्ट लिस्ट से साफ है कि घुसपैठियों का मुद्दा सिर्फ सियासत के लिए बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। 

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SIR में क्या निकलकर सामने आया?

16 दिसंबर 2025 को इसकी ड्राफ्ट लिस्ट जारी हुई। इसमें कुल 58 लाख नाम हटाने का प्रस्ताव दिया गया है। इनमें से करीब 24.16 लाख लोग मर चुके हैं, 32.65 लाख लोग जगह बदल चुके हैं या लापता हैं, 1.38 लाख नाम ऐसे हैं, जो डुप्लिकेट हैं। SIR से ज्यादातर उन्हीं लोगों के नाम कटे हैं, जिनकी या तो मौत हो चुकी है, या ठिकाना बदल चुके हैं या वे फर्जी वोटर हैं। 

 

CPI (M) क्या कह रही है?

CPI(M) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि बीजेपी के नेता अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए बहुत उत्साहित थे, लेकिन ड्राफ्ट लिस्ट आने के बाद उनका उत्साह ठंडा पड़ गया। उन्होंने बताया कि मुस्लिम बहुल इलाकों में वोटर लिस्ट की मैपिंग पहले से बेहतर हुई है।

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मोहम्मद सलीम, CPI (M):-
BJP मुसलमानों को घुसपैठिए या रोहिंग्या कहकर लोगों को इंसानियत से बाहर करने की कोशिश करती है। यह हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा नहीं है। भारत में कई कमजोर तबके से लोग आते हैं। आदिवासी, महिलाएं, किराए पर रहने वाले, सड़क पर रहने वाले लोग, जिनके पास सही दस्तावेज नहीं होते। SIR की वजह से ऐसे लोग लिस्ट से बाहर हो सकते हैं।

मोहम्मद सलीम ने कहा, 'BJP और RSS सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी अल्पसंख्यकों, कमजोर जातियों और महिलाओं के खिलाफ हैं। जो वैध नागरिक हैं लेकिन ड्राफ्ट में नाम नहीं है, उन्हें कैसे शामिल किया जाएगा?'

पश्चिम बंगाल में SIR की ड्राफ्ट लिस्ट। Photo Credit PTI



मोहम्मद सलीम ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा कि राष्ट्रीय जनगणना क्यों नहीं कराई जा रही, क्योंकि जनगणना सभी भारतीयों को गिनती है। 

कांग्रेस ने क्या कहा है?

कांग्रेस के नेता गुलाम अहमद मीर ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, 'BJP ने पश्चिम बंगाल में एक करोड़ से ज्यादा घुसपैठिए होने की अफवाह फैलाई थी, लेकिन अब यह झूठ साबित हो गया। मैं BJP से पूछता हूं कि इनमें कितने घुसपैठिए हैं?'

गुलाम अहमद मीर ने कहा, 'अगर पश्चिम बंगाल में कुछ बिना दस्तावेज वाले लोग मिल भी जाएं, तो वे ज्यादातर बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हैं जो मानवीय कारणों से आए हैं। हम SIR के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसे जल्दबाजी में किया गया है।'

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BJP के घुसपैठिए वाले नैरेटिव का क्या होगा?

पश्चिम बंगाल में बीजेपी लंबे समय से घुसपैठिए का मुद्दा उठाती रही है। बीजेपी का दावा है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार इन लोगों को वोट बैंक के लिए संरक्षण देती है। चुनाव आयोग की ड्राफ्ट लिस्ट से विपक्षी दल कह रहे हैं कि BJP का दावा खोखला साबित हुआ है। मुस्लिम बहुल जिलों में नाम हटाने की दर कम है, जबकि शहरी इलाकों और हिंदी बोलने वाले क्षेत्रों में ज्यादा नाम हटे हैं। 

कब आएगी अंतिम वोटर लिस्ट?

अंतिम वोटर लिस्ट 14 फरवरी 2026 को आएगी। कई लोग चिंतित हैं कि गरीब और कमजोर वर्ग के वैध मतदाता कहीं लिस्ट से बाहर न हो जाएं। अभी आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं। 

SIR क्या है?

चुनाव आयोग की वह प्रक्रिया है, जिसके तहत वोटर लिस्ट की जांच हो रही है। इसके तहत कुछ नाम हटाए जाते हैं, नए नाम जोड़े जाते हैं और गलत एंट्री सुधारी जाती हैं। नकली वोटरों के नाम खारिज किए जाते हैं। पश्चिम बंगाल में यह प्रक्रिया 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले की जा रही है।