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'मैं बंगाल का ओवैसी हूं', TMC के मुस्लिम वोटों पर हुमायूं कबीर की नजर

मुर्शिदाबाद के विधायक हुमायूं कबीर ने दिसंबर के अंत तक नई पार्टी बनाने की घोषणा की है। खुद को 'बंगाल का ओवैसी' बताते हुए  AIMIM चीफ के साथ मिलकर बंगाल में पार्टी का विस्तार करने का भी ऐलान कर दिया है।  

Humayun Kabir & Owaisi

हुमायूं कबीर और ओवैसी, Photo Credit- Social Media

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद शहर में बाबरी मस्जिद की नींव रखने वाले और तृणमूल कांग्रेस (TMC) से निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि वे दिसंबर के अंत तक एक नई पार्टी की स्थापना करेंगे। MLA ने यह भी बताया कि वह ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर बंगाल में पार्टी का विस्तार करेंगे। उन्होंने खुद को 'बंगाल का ओवैसी' तक कहा।


हुमायूं कबीर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'मैंने ओवैसी से बात की है। ओवैसी ने मुझसे वादा किया है कि वह हैदराबाद के ओवैसी हैं और मैं बंगाल का ओवैसी हूं।'

 

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बंगाल में मुस्लिम वोट बैंक

बंगाल के 27 प्रतिशत मुस्लिम वोट का एक बड़ा हिस्सा TMC को जाता है। हुमायूं कबीर का कहना है कि वह एक नई पार्टी बनाएंगे जो केवल मुसलमानों के लिए काम करेगी। हुमायूं ने कहा, 'मैं एक नई पार्टी बनाऊंगा जो मुसलमानों के लिए काम करेगी। मैं 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारूंगा। मैं बंगाल चुनाव में गेम-चेंजर बनूंगा। तृणमूल का मुस्लिम वोट बैंक खत्म हो जाएगा।'


MLA ने आगे कहा, 'मैं 10 दिसंबर को कोलकाता जाऊंगा और अपनी पार्टी की कमेटी बनाऊंगा और 22 दिसंबर को लाखों सपोर्टर्स के साथ अपनी पार्टी लॉन्च करूंगा।' हालांकि TMC का वोट बैंक काटना इतना आसान भी नहीं है। ओवेसी के साथ मिलकर यह करना मुश्किल होगा। 

ओवेसी- 'अभी फैसला नहीं किया'

इधर हुमायूं सभी को बता रहे हैं कि उनकी ओवैसी से बातचीत हो चुकी है और वे बंगाल में AIMIM के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन इस पर अभी तक ओवैसी या उनकी पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। मीडिया के सवालों पर ओवैसी ने कहा था कि उन्होंने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। ओवैसी ने कहा, 'हमें बैठकर फैसला करना होगा, लेकिन अभी मुझे लगता है कि यह कहना बहुत जल्दी होगा।'

 

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बंगाल चुनाव और बिहार में AIMIM 

AIMIM ने 2021 में बंगाल की सात सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह किसी भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सकी। बिहार में मिले शानदार नतीजों के आधार पर AIMIM चीफ बंगाल में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर सकते हैं। बिहार में AIMIM ने 2020 में जीती हुई सभी पाँच सीटें बरकरार रखीं और एक सीट पर दूसरे नंबर पर रही। इसके अलावा, पार्टी ने नौ निर्वाचन क्षेत्रों में जीत के अंतर से अधिक वोट हासिल कर नतीजों को प्रभावित किया था। इनमें से 67% सीटें NDA के खाते में गईं, जबकि 33% सीटें ग्रैंड अलायंस ने जीतीं।

 

अगर AIMIM के साथ मिलकर हुमायूं कबीर चुनाव लड़ते हैं तो अनुमान लगाया जा सकता है कि राजनीतिक परिस्थिति में कुछ बदलाव आ सकता है। इस हिसाब से मुस्लिम वोटों का बंटना या हिंदू वोटों का एकजुट होना BJP के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। इसी कारण विपक्षी दलों ने ओवैसी को BJP की 'B टीम' कहा है।

 

हुमायूं 135 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। ये वे सभी सीटें हैं जहां मुस्लिम जनसंख्या निर्णायक भूमिका निभाती है। बंगाल में मुस्लिम वोट पारंपरिक रूप से ममता बनर्जी के पक्ष में माना जाता है। ऐसे में यदि हूमांयू इस 27 प्रतिशत वोट बैंक में से 5 से 6 फीसदी भी अपनी ओर खींचने में सफल होते हैं, तो यह ममता बनर्जी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।


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