दुनिया भर में नए साल के जश्न की तैयारियां चल रही हैं। आमतौर पर 1 जनवरी को नए साल की शुरुआत माना जाता है लेकिन क्या पूरी दुनिया में सभी धर्मों के लोग इसी दिन से अपना नया साल शुरू करते हैं? इसका जवाब है- नहीं। दरअसल, नए साल की शुरुआत सिर्फ 1 जनवरी से ही नहीं होती। अलग-अलग धर्म और संस्कृतियों में नए साल की तारीख अलग-अलग होती है। दुनिया के कई हिस्सों में लोग अपने धार्मिक और सांस्कृतिक कैलेंडर के अनुसार नया साल मनाते हैं। आज 31 दिसंबर 2025 है और आने वाले कुछ दिनों में विभिन्न धर्मों के नववर्ष शुरू होने वाले हैं।
कुछ धर्म चंद्र कैलेंडर (लूनर) के आधार पर तो कुछ सूर्य कैलेंडर (सोलर) के अनुसार नया साल मनाते हैं। आइए जानते हैं कि किस धर्म में नए साल की शुरुआत किस आधार पर की जाती है।
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हिंदू धर्म:
भारत के अधिकांश हिस्सों में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (मार्च-अप्रैल) को 'विक्रम संवत' के अनुसार नया साल शुरू होता है। महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा और दक्षिण भारत में उगादि कहते हैं। पंजाब, असम और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सौर कैलेंडर के अनुसार बैसाखी (अप्रैल) के आसपास नया साल मनाया जाता है। गुजरात में दीपावली के अगले दिन 'बेस्तू वरस' के रूप में नया साल मनाया जाता है।
इस्लाम (हिजरी कैलेंडर):
इस्लामी नववर्ष चंद्र चक्र पर आधारित होता है इसलिए यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुकाबले हर साल लगभग 10-11 दिन पीछे खिसकता रहता है। यह मुहर्रम महीने की पहली तारीख से शुरू होता है।
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पारसी (नवरोज):
पारसी समुदाय में दो बार नया साल मनाने की परंपरा है। एक 'जमशेदी नवरोज' (21 मार्च) और दूसरा अगस्त के महीने में (शहंशाही कैलेंडर के अनुसार), जिसे भारत में पारसी न्यू ईयर कहा जाता है।
बौद्ध धर्म:
बौद्ध परंपराओं में अलग-अलग क्षेत्रों (थाईलैंड में सोंगक्रान, तिब्बत में लोसार) के अनुसार नए साल की तिथियां अलग होती हैं, जो अक्सर फरवरी से अप्रैल के बीच पड़ती हैं।
भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर 'शक संवत' पर आधारित है, जिसका पहला महीना 'चैत्र' होता है और यह सामान्यतः 22 मार्च (लीप वर्ष में 21 मार्च) को शुरू होता है।
