दुनिया में भारत की तट रेखा काफी लंबी मानी जाती है। तीन तरफ से समुद्र से घिरा भारत न सिर्फ व्यापारिक दृष्टिकोण से काफी महत्त्वपूर्ण हो जाता है बल्कि टूरिज़म के क्षेत्र में भी काफी संभावनाएं हैं। भारत की लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा, 12 बड़े पोर्ट और 200 से अधिक छोटे पोर्ट हैं। इसके साथ भारत समुद्री परिवहन, व्यापार और पर्यटन, तीनों क्षेत्रों में विशाल संभावनाएं रखता है। परंतु लंबे समय तक यह क्षमता केवल व्यापार और मछलीपालन तक सीमित रही। पर्यटन, विशेषकर क्रूज़ टूरिज़म में अब तक अपेक्षित बढ़ोत्तरी नहीं देखी गई है। हालांकि, सरकार अब इस पर फोकस कर रही है।

 

क्रूज़ भारत मिशन जैसी सरकारी पहल, मध्यम वर्ग की बढ़ती आय और तटीय राज्यों में बढ़ते पर्यटन निवेश ने मिलकर क्रूज टूरिजम को भारत का सबसे तेजी से उभरता हुआ पर्यटन क्षेत्र बना दिया है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपने एक भाषण में कहा था कि क्रूज के जरिए प्रति 3-4 यात्री में एक नौकरी पैदा होती है। इस तरह से क्रूज़ टूरिज़म के जरिए देश में लगभग ढाई लाख तक नौकरियां पैदा की जा सकती हैं। तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत की तटरेखा वास्तव में क्या टूरिज़म इडस्ट्री के लिए सोने की खान यानी कि ‘टूरिज़म गोल्डमाइन’ बन सकती है? खबरगांव इसी पर आज विचार करेगा।

 

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क्या कहते हैं आंकड़े

यदि हम आंकड़ों पर नज़र डालें, तो पिछले पांच वर्षों में क्रूज टूरिजम में काफी बढ़ोत्तरी देखी गई है। वित्तीय वर्ष 2023–24 में भारत ने लगभग 4.7 लाख क्रूज टूरिस्ट दर्ज किए गए। यह संख्या 2019–20 में दर्ज 4.2 लाख यात्रियों से अधिक है, जबकि महामारी के बाद यह उम्मीद नहीं की जा रही थी कि क्रूज टूरिज़म इतनी जल्दी उभरेगा। दिलचस्प बात यह है कि यह वृद्धि केवल अतर्राष्ट्रीय क्रूज ट्रैवलर की वजह से नहीं रही, बल्कि 85% से अधिक घरेलू क्रूज डिमांड की बदौलत हुई है।

 

2019–20 में जहां लगभग 4 लाख घरेलू क्रूज पैसेंजर थे, वहीं 2023–24 में यह संख्या 4.7 लाख तक पहुंच गई। इसी अवधि में विदेशी क्रूज ट्रैवलर्स की संख्या भी तीन गुना बढ़कर लगभग 29,000 से बढ़कर लगभग 98,000 तक पहुंच गई। हालांकि अंतर्राष्ट्री सेगमेंट अभी भी छोटा है और कुल बाजार का लगभग 20% ही है, लेकिन वर्ष 2023–24 के बाद इसमें धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी की शुरुआत हो चुकी है।

 

एक अनुमान के मुताबिक भारत में क्रूज टूरिज़म बाजार जो 2022 में 68 मिलियन डॉलर यानी कि लगभग 610 करोड़ रुपये का था, 2028 तक लगभग उसी के लगभग 135 मिलियन डॉलर यानी कि लगभग 1212 करोड़ रुपये तक पहुंचकर दोगुनी हो सकती है। यह वृद्धि उन देशों की तरह नहीं है जहां क्रूज टूरिज़म अरबों डॉलर का उद्योग है, लेकिन क्रूज टूरिज़म की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह काफी बड़ा अवसर साबित हो सकता है।

लॉन्च किया सीबीएम

क्रूज टूरिजम को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 30 सितंबर 2024 को क्रूज भारत मिशन (CBM) लॉन्च किया गया। CBM का उद्देश्य है क्रूज यात्री की संख्या को 2029 तक दोगुना करना, क्रूज कॉल्स (यात्रा के दौरान क्रूज जहां पर रुकता है) की संख्या को 2024 के 254 से बढ़ाकर 2030 तक 500 करना, 2047 तक यात्रियों की संख्या 5 मिलियन (50 लाख) तक पहुंचाना।

 

खास बात यह है कि सरकार की यह योजना सिर्फ समुद्री क्रूज के लिए ही नहीं है, बल्कि पूरे ‘ब्लू-इकॉनमी टूरिज़म इकोसिस्टम’ पर फोकस करता है। इसमें कोस्टल क्रूज के अलावा रीवर क्रूज, इनलैंड वॉटरवेज़ क्रूज और आइलैंड क्रूज को भी शामिल किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण बदवाव है, क्योंकि भारत के पास नदियों, बैक वॉटर्स और इनलैंड वॉटरवेज़ का काफी बड़ा नेटवर्क है, जिसे अब तक टूरिजम की मुख्यधारा में अच्छे तरीके से जोड़ा नहीं गया है।

 

सरकार ने 6 बड़े अंतरराष्ट्रीय क्रूज हब- मुंबई, गोवा, कोच्चि, चेन्नई, न्यू मैंगलोर और विशाखापत्तनम- को विकसित करने की योजना बनाई है। इन शहरों में आधुनिक क्रूज-टर्मिनल, तेज कस्टम्स प्रोसेसिंग, ई-वीज़ा और इमीग्रेशन सुविधा, लास्ट-माइल कनेक्टिविटी सुधार, और हॉस्पिटैलिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा 35 से अधिक छोटे क्रूज जेट्टी भी विकसित किए जा रहे हैं, ताकि क्रूज शिप छोटे कोस्टल शहरों और सीनिक रीवर स्ट्रेच तक पहुंच सकें।

 

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क्या है योजना

भारत का क्रूज टूरिजम मॉडल दुनिया के कई देशों से अलग है क्योंकि यहां तीन प्रकार की क्रूज कैटेगरी एक साथ विकसित की जा रही हैं-


1. कोस्टल/समुद्री क्रूज

ये क्रूज मुख्यतः समुद्री यात्रा के लिए प्रयोग किए जाते हैं, जिन्हें लोग मुंबई से गोवा, कोच्चि से लक्षद्वीप, चेन्नई से अंडमान या विशाखापत्तनम से ओडिशा तक के लिए चुनते हैं। घरेलू क्रूज इस क्षेत्र में सबसे बड़ा योगदान दे रहे हैं। मध्यम वर्ग की बढ़ती आय और खर्च की प्रवृत्ति व वीकेंड टूरिज़म कल्चर कोस्टल क्रूज डिमांड को बढ़ा रहे हैं।


2. रीवर या इनलैंड क्रूज

भारत में लगभग 5,000 किलोमीटर से ज्यादा नेविगेबल वाटरवेज़ हैं। असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल जैसे राज्यों में रीवर क्रूज चल रहे हैं। खासकर ब्रह्मपुत्र, गंगा और केरल के बैकवॉटर्स जैसे लोकप्रिय जलमार्ग काफी टूरिस्ट को अपनी तरफ खींच रहे हैं। रीवर क्रूज काफी तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि यह लक्जरी-टूरिजम और कल्चरल-टूरिजम दोनों को जोड़ता है।

 

3. आइलैंड क्रूज

अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप और गुजरात से दमन-दीव जैसे द्वीपों में आइलैंड-टूरिज़म पहले से काफी लोकप्रिय था, पर क्रूज टूरिजम के आने से इन द्वीपों में इकोनॉमिक ऐक्टिविटी कई गुना बढ़ सकती है। लाइट हाउस टूरिजम, कोरल टूरिजम, एडवेंचर टूरिजम इस सेगमेंट में बड़ी संभावनाएं हैं।

 

इन तीनों सेगमेंट को जोड़कर भारत वास्तव में एक बहु-स्तरीय क्रूज टूरिजम मॉडल विकसित कर रहा है, जो अमेरिका, यूरोप या दक्षिण-पूर्व एशिया मॉडल से काफी अलग है और अत्यधिक संभावनाओं से भरा हुआ है।

क्या बनेगा ग्रोथ इंजन

क्रूज टूरिजम की बढ़ती लोकप्रियता सिर्फ पर्यटन क्षेत्र को ही नहीं, बल्कि तटीय राज्यों की अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा दे सकती है। सबसे पहले तो इससे लाखों रोजगार पैदा हो सकते हैं। क्रूज टूरिज़म सिर्फ क्रूज शिप तक सीमित नहीं हैं। इसमें हॉस्पिटैलिटी, पोर्ट ऑपरेशन, लॉजिस्टिक्स, कैटरिंग, एंटरटेनमेंट, ट्रांसपोर्टेशन, टैक्सी सर्विस, लोकल हैंडीक्राफ्ट, क्रूज मेंटेनेंस और शोरलाइन सर्विस इत्यादि जैसे सेक्टर्स में तमाम नौकरियों की संभावनाएं बढ़ेंगी। अनुमान है कि क्रूज भारत मिशन के तहत आने वाले दशक में लाखों नए रोजगार तटीय राज्यों में उत्पन्न होंगे।

 

इसका दूसरा प्रभाव तटीय क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के बूम के रूप में देखने को मिलेगा। मुंबई, गोवा, कोच्चि, चेन्नई, विशाखापत्तनम और मैंगलोर जैसे बड़े पोर्ट-शहर क्रूज टूरिजम से भारी निवेश आकर्षित कर रहे हैं। इनमें नए क्रूज टर्मिनल्स, बेहतर सड़कों का निर्माण, समुद्रतटीय कैफे, एंटरटेनमेंट जोन इत्यादि के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

 

इसके अलावा ब्लू-इकॉनमी में भी बड़ा योगदान देखने को मिलेगा। भारत ब्लू-इकॉनमी को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने की ओर अग्रसर है। क्रूज टूरिजम इस लक्ष्य का एक प्रमुख स्तंभ बन सकता है क्योंकि इससे तटीय क्षेत्रों में रहने वाली कम्युनिटीज़ जैसे मछुवारे इत्यादि को बड़ा बाज़ार मिल सकता है।

क्या हैं चुनौतियां?

भले ही क्रूज टूरिजम के अवसर बहुत बड़े दिखते हों, लेकिन इसकी कुछ गंभीर चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। जैसे- ग्लोबल क्रूज मार्केट में भारत की हिस्सेदारी अभी एक प्रतिशत से भी कम है। यह बताता है कि अभी काफी लंबा सफर तय करना है, लेकिन यह एक उम्मीद की किरण भी है कि हमारे लिए अभी बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं।

 

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इसके अलावा कई पोर्ट्स पर अभी भी वर्ल्ड-क्लास सुविधा नहीं है। हाई-एंड क्रूड ट्रैवलर्स के लिए बेहतर एक्सपीरिएंस जरूरी है, जो कि हर जगह एक जैसा नहीं है। कुछ एक्सपर्ट्स एनवायरमेंटल चिताएं भी जाहिर करते हैं कि इसकी वजह से तटीय क्षेत्र में जैव विविधता को नुकसान पहुंच सकता है और वेस्ट मैनेजमेंट भी एक बड़ी समस्या के रूप में उभर सकता है। इसलिए किसी भी तरह से इसे हमें सस्टेनेबल बनाना होगा नहीं तो यह घाटे का सौदा बन सकता है।

 

अगर कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत के पास क्रूज इकॉनमी के क्षेत्र में काफी क्षमता है और विकास की काफी संभावनाएं हैं, लेकिन चुनौतियां भी बड़ी हैं। अगर दोनों के बीच संतुलन साधा जा सके तो निश्चित रूप से क्रूज इकॉनमी भारत के लिए गोल्ड माइन साबित हो सकती है।