उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कथित अपहरण से जुड़े एक मामले की जांच जारी रखने पर लगाया गया है। पीड़िता का कहना था कि वह अपनी मर्जी से दिल्ली गई थी लेकिन इसके बावजूद यूपी सरकार मामले की जांच करती रही।
जस्टिस अब्दुल मोइन और जस्टिस बबीता रानी की बेंच ने यह जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने उम्मेद उर्फ उबैद खान की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह जुर्माना लगाया है। उम्मेद के खिलाफ बहराइच में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 140 के तहत केस दर्ज किया गया था। हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उम्मेद ने अपने खिलाफ दर्ज केस को रद्द करने की मांग की थी।
कोर्ट ने पाया कि लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में कहा था कि वह अपनी मर्जी से घर छोड़कर दिल्ली गई थी, क्योंकि उसका पति उसके साथ मार-पीट करता था। इस मामले में धर्मांतरण का कोई एंगल नहीं था।
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क्या है पूरा मामला?
13 सितंबर को बहराइच जिले के मातेरा पुलिस थाने में FIR दर्ज हुई थी। इसमें उम्मेद उर्फ उबैद खान समेत 5 लोगों को आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने अपहरण और फिरौती के मामले में BNS की धारा 140 के तहत केस दर्ज किया था।
यह केस महिला के पति की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था। पति का आरोप था कि उसकी पत्नी 8 सितंबर को गहने और कैश लेकर घर से चली गई थी। उसने आरोप लगाया था कि वह जिन लोगों के बहकावे में आकर घर छोड़कर गई है, वे लोग धर्मांतरण रैकेट चलाते हैं।
केस दर्ज होने की बात पता चलने के बाद महिला खुद से ही घर लौट आई थी। उसने 19 सितंबर को मजिस्ट्रेट के समाने बयान दर्ज कराया था और कहा था घरेलू हिंसा से तंग आकर वह घर जाकर छोड़कर चली गई थी। उसनें धर्मांतरण की बात को खारिज कर दिया था।
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हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया?
महिला के पति की शिकायत के बाद उम्मेद को गिरफ्तार कर लिया गया था। वह लगभग एक महीने तक जेल में रहा। उसने अपने खिलाफ दर्ज केस रद्द करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट का रुख किया था।
30 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने आदेश जारी कर यूपी सरकार पर 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही कोर्ट ने FIR भी रद्द करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जांच के दौरान महिला ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराया था और कहा था कि वह खुद घर छोड़कर गई थी, क्योंकि उसका पति मारपीट करता था।
कोर्ट ने कहा कि महिला के बयान के बावजूद पुलिस ने मामले की जांच जारी रखी और याचिकाकर्ता को जेल में रखा। अदालत ने कहा कि इस जांच को जारी रखने का कोई औचित्य ही नहीं है।
अदालत ने अपने आदेश में यूपी सरकार पर 75 हजार रुपये का जुर्माना देने को कहा है। इसमें से 50 हजार रुपये उम्मेद को दिए जाएंगे। बाकी बचे 25 हजार रुपये लीगल ऐड सर्विस में जमा कराने को कहा है। कोर्ट ने 13 सितंबर को दर्ज FIR रद्द करने और उम्मेद को रिहा करने का आदेश दिया है।
