logo

ट्रेंडिंग:

बिहार चुनाव 2025: प्रचार खत्म होने और वोटिंग से पहले क्या-क्या होता है?

चुनाव होने से 48 घंटे पहले का साइलेंस पीरियड शुरू हो जाता है ताकि वोटर बिना किसी प्रभाव के शांतिपूर्वक सोचकर मतदान कर सकें।

Election Commission of India

भारत निर्वाचन आयोग, Photo Credit- Social Media

बिहार में पहले चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार आज खत्म हो जाएगा। चुनाव से 48 घंटे पहले जिसे साइलेंस पीरियड या प्री-इलेक्शन साइलेंस कहा जाता है, उस दौरान कैंपेन या चुनाव से जुड़ी सभी ऐक्टिविटी रोक दी जाती है। इसमें न केवल पार्टियां बल्कि लोग, मीडिया किसी को भी ऐसी किसी गतिविधि में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं होती। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि वोटर को वोटिंग करने से पहले शांति से सोचने का मौका मिले और वे वोट देते समय सोच-समझकर फैसला ले सकें। साइलेंस पीरियड में कई कामों पर रोक और कई तरह की पाबंदियां शामिल हैं। 

 

रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल ऐक्ट 1951 (RPA) के तहत चुनाव से जुड़े सभी ऐक्टिविटी, जिनके कारण नतीजों पर असर हो सकता है, उसे इस दौरान करने पर सख्त मनाही होती है। इनमें से ज्यादातर नियम इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) के नोटिफिकेशन के जरिए लागू किए जाते हैं।

 

यह भी पढ़ें- 'कम से कम एक बीवी के साथ तो रहता हूं', पवन सिंह को खेसारी का जवाब

साइलेंस पीरियड में सख्त मनाही

1. शराब बेचना या बांटना

वोटिंग एरिया के आस पास होटल, दुकानों, रेस्टोरेंट वगैरह जैसी जगहों पर, चाहे वे पब्लिक हों या प्राइवेट, शराब बेचना या बांटना मना है। बिहार में तो वैसे भी शराबबंदी लागू है।

 

2.  पब्लिक मीटिंग या जुलूस

इस दौरान, किसी को भी चुनाव से जुड़ी कोई भी पब्लिक मीटिंग या जनसभा में शामिल होने या उसे संबोधित करने की इजाजत नहीं है। इसके अलावा कोई भी किसी भी तरह का थिएटर परफॉर्मेंस, म्यूजिकल कॉन्सर्ट वगैरह, इस इरादे से अरेंज नहीं कर सकता कि लोगों को किसी पॉलिटिकल पार्टी के कैंडिडेट के पक्ष या विपक्ष में वोट देने के लिए प्रभावित किया जा सके।

 

3. कॉन्फ्रेंस और इंटरव्यू

कैंडिडेट्स और पॉलिटिकल पार्टियों को प्रेस कॉन्फ्रेंस या इंटरव्यू के जरिए चुनाव से जुड़े मामलों पर मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं है। इसका उल्लंघन करने पर दो साल तक की जेल और/या जुर्माना हो सकता है।

 

4. विज्ञापन

ECI ने कहा है कि खबरों का विज्ञापन से साफ तौर पर अलग दिखाया जाना चाहिए। इसके लिए डिस्क्लेमर ऐसे फॉर्मेट में सेट किया जाना चाहिए जो इससे अलग दिखे। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में निर्देश दिया था कि कोई भी, जिसमें पॉलिटिकल पार्टियां/कैंडिडेट, व्यक्ति शामिल हैं, चुनाव के दिन और चुनाव से एक दिन पहले प्रिंट मीडिया में कोई भी विज्ञापन पब्लिश नहीं कर सकता।

 

5. प्रेस की जिम्मेदारी

किसी को भी ऐसी कोई भी खबर ब्रॉडकास्ट करने की इजाजत नहीं है जिसमें ऐसा कोई भी मटेरियल हो जिसे चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने वाला माना जा सकता है। इसमें किसी भी ओपिनियन पोल, स्टैंडर्ड डिबेट, एनालिसिस, विजुअल्स और साउंड-बाइट्स, पैनलिस्ट या पार्टिसिपेंट्स के विचार या अपील वगैरह का डिस्प्ले शामिल है।

 

6. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए गए सभी पॉलिटिकल कंटेंट के लिए प्री-सर्टिफिकेशन जरूरी है। ECI नोटिफिकेशन के अनुसार सोशल मीडिया में विकिपीडिया, ट्विटर जैसे ब्लॉग और माइक्रो ब्लॉग, यूट्यूब जैसी कंटेंट कम्युनिटी, फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स आदि शामिल हैं।

 

यह भी पढ़ें- MSP पर बोनस, महिलाओं को 30 हजार..., प्रचार के आखिरी दिन तेजस्वी ने किए एलान

 

7.  लाउडस्पीकर

साइलेंस पीरियड के दौरान किसी भी लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसे किसी भी गाड़ी, बिल्डिंग वगैरह पर नहीं लगाया जा सकता है, और अगर कोई ऐसा करता है तो यह मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (MCC) का उल्लंघन होगा।

 

8.  ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल

चुनाव के हर चरण में साइलेंस पीरियड के दौरान किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में किसी भी ओपिनियन पोल, एग्जिट पोल या किसी अन्य पोल सर्वे के नतीजों सहित चुनाव से जुड़ा कोई भी मामला पब्लिश करने की इजाजत नहीं हैखास तौर पर एग्जिट पोल के संबंध में, पोल के लिए तय समय और पोल खत्म होने के आधे घंटे बाद तक, किसी को भी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या किसी अन्य तरीके से कोई भी एग्जिट पोल करने या उसके नतीजे फैलाने की इजाजत नहीं है।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap