उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में कथावाचक की पिटाई और बाल छिलने का मामला तूल पकड़ चुका है। मामला यहां तक पहुंच गया है कि पिछले तीन-चार दिनों से यूपी की सियासत इसी के ईर्द-गिर्द घूम रही है। कुल मिलाकर मामले ने अब सियासी रंग ले लिया है और अब यह विवाद यादव बनाम ब्राह्मण हो गया है। प्रदेश में अगड़ा बनाम पिछड़ा की होने लगी है। जहां मुख्य विपक्षी पार्टी कथावाचक की पिटाई को लेकर मुखर है तो वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी पूरे मामले पर खामोश है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इसको लेकर लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया है, जिसमें उन्होंने बीजेपी सरकार पर न्याय देने में भेदभव करने का आरोप लगाया।  

 

बात जब कथा कहने गए कथावाचकों की पिटाई तक पहुंची है तो इसमें श्रीमद्भभागवत कथा, धर्म, जाति, दान-दक्षिणा, इतिहास, ब्राह्मण, यादव और पिछड़ा की होने लगी है। आखिर 21 जून को सामने आए इस मामले में ऐसा क्या है जिसकी वजह से राज्य की सियासत यादव बनाम ब्राह्मण हो गई है। साथ ही इस विवाद में ऐसा क्या है जिसकी वजह से राज्य के दो प्रमुख राजनीतिक दल एक दूसरे के आमने सामने हैं? 

 

आइए समझते हैं कि आखिर इटावा में कथावाचक की पिटाई का मामला कैसे उत्तर प्रदेश में गर्म मुद्दा बना हुआ है...

 

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क्या है पूरा मामला? समझें

दरअसल, 21 जून इटावा के बकेवर इलाके के दान्दरपुर गांव में कथा वाचक मुकुट मणि और संत सिंह यादव अपने सहयोगियों के साथ कथा कहने पहुंचे थे। इस दौरान उनके और उनके साथियों से मारपीट की गई। कानपुर के रहने वाले मुकुट मणि सिंह के मुताबिक, ब्राह्मणों ने पहले उनकी जाति पूछी। जब उन्होंने बताया कि वे यादव बिरादरी से हैं, तो उन पर दलित होने का आरोप लगाते हुए उन्हें धमकाया गया। उन्होंने बताया है कि उन्हें कहा गया कि ब्राह्मणों के गांव में भागवत पाठ करने की हिम्मत कैसे की। इसके बाद उनकी चोटी काट दी गई और सिर मुंडवा दिया गया। 

 

उनके बाल कटवाने के बाद उनकी नाक एक महिला के पैरों में रगड़वाई और इलाके की शुद्धि कराई गई। कथावाचक का आरोप है कि वह भागवत कथा कहने आए थे लेकिन कुछ लोगों ने इसका विरोध किया, जाति पूछी और यादव होने पर उनके साथ मारपीट की। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल है, जिसमें कथावाचक का सिर मुड़वाकर महिला का पैर छूकर नाक रगड़वाया जा रहा है। 

 

अब मामले में इटावा के एसएसपी के आदेश पर कोतवाली में चार नामजद और 50 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इस मामले में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एसएसपी से 10 दिन में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा इटावा पुलिस में दूसरे पक्ष की एक महिला ने दोनों कथा वाचकों पर केस दर्ज कराया है। इसमें उन पर धोखाधड़ी जालसाजी करने का आरोप लगाया गया है, जिसने राजनीतिक रूप ले लिया है।

सपा सुप्रीमो का मामले में कड़ा रुख

हालांकि, घटना 21 जून की है लेकिन इसका वीडियो सोशल मीडिया पर 22 जून को वायरल हो गया। जब मामले ने तूल पकड़ा तो 23 जून को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने घटना पर कड़ा रुख अपनाया। 

 

उन्होंने 23 जून को ही पीड़ित कथावाचकों और उनके साथियों को लखनऊ में पार्टी कार्यालय बुलाया। अखिलेश ने उन्हें नया ढोलक और हारमोनियम के साथ-साथ 21-21 हजार रुपए देकर सम्मानित किया। पूर्व सीएम ने सभी को 51-51 हजार रुपये और देने का वादा किया। इस मैके पर अखिलेश यादव ने कहा कि प्रभुत्ववादी सीमाएं लांघ गए हैं। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा, 'भागवत कथा सबके लिए है, जब सब सुन सकते हैं तो सब बोल क्यों नहीं सकते?' साथ ही कहा कि वर्चस्ववादी और प्रभुत्वादी लोग लगातार PDA परिवार के लोगों को डरा रहे हैं, धमका रहे हैं।

 

फ्रंट फुट पर अखिलेश यादव

उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि वर्चस्ववादी लोग सिर तक मुड़वा कर रातभर पीट रहे हैं। इन वर्चस्ववादी और प्रभुत्ववादी लोगों को ताकत कहां से मिल रही है। उन्होंने कहा कि अगर पीडीए समाज से इतना ही परहेज है तो घोषित कर दें कि परंपरागत रूप से कथा कहने वाले वर्चस्वादी, पीडीए समाज द्वारा दिया गया चढ़ावा, चंदा, दान, दक्षिणा कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

 

उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी को लगता है कि कथा कहने पर एक वर्ग विशेष का ही अधिकार है तो वो इसके लिए भी कानून बनाकर दिखा दे, जिस दिन पीडीए समाज ने अपनी कथा अलग से कहना शुरू कर दी, उस दिन इन परम्परागत शक्तियों का साम्राज्य ढह जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश सरकार हर असंवैधानिक काम का समर्थन करती है।

 

अखिलेश यादव ने आगे कहा कि कुछ प्रभुत्वादी लोग, कथवाचन में अपना एकाधिकार बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'बीजेपी राज में पीडीए समाज को हेय दृष्टि से देखा जाता है। देश के राष्ट्रपति भी हेय दृष्टि का सामना कर चुके है। सच तो यह है जैसे-जैसे पीडीए समाज पर चेतना और जागरूकता बढती जा रही है, वैसे वैसे मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए पीडीए समाज पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है।'

 

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सीएम योगी ने एसएसपी का फटकारा

दूसरी तरफ इस घटना के सामने आने के बाद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में  मुख्यमंत्री योगी ने 'जातीय संघर्ष की साजिशों' पर अधिकारियों के साथ चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि पिछले कुछ समय से प्रदेश में कुछ अराजक तत्व जातीय विद्वेष फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। इटावा , कौशांबी, औरैया जैसी घटनाएं इसका उदाहरण हैं।

 

 

समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इटावा के एसएसपी ब्रजेश श्रीवास्तव को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि कुछ लोग यूपी में जातीय हिंसा करना चाहते हैं और पुलिस इसे रोक नहीं पा रही है। उन्होंने औरैया और कौशांबी जिलों के एसपी को भी फटकारा। यूपी के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक में सीएम योगी ने कहा कि जिस जिले में ऐसी घटनाएं होंगी, वहां अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

बीजेपी का क्या है स्टैंड?

हालांकि, बैठक के अलावा मुख्यमंत्री योगी ने मीडिया, अपने किसी भी सोशल मीडिया पर इटावा कथावाचकों की पिटाई को लेकर कहीं कोई बयान नहीं दिया है। इसके अलावा बीजेपी के यूपी 'एक्स' हैंडल पर भी पार्टी की तरफ से घटना को लेकर कोई बयान नहीं दिया गया है। इसके अलावा यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, दोनों उपमुख्यमंत्री ब्रिजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्या भी इस मामले पर कोई टिप्पणी देने से बच रहे हैं। 

 

कुल मिलाकर इटावा कथावाचकों की पिटाई मामला यादव बनाम ब्राह्मण हो गया है। दोनों पार्टी और उसके नेता अपने नफा-नुकसान को देखते हुए बोल और बच रहे हैं। यही वजह है कि एक पार्टी इस मुद्दे पर मुखर है तो दूसरी पार्टी चुप्पी साधे हुए है। हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में जो देखा गया वो दुनिया के सामने है लेकिन जो नहीं देखा गया वो पुलिस जांच का विषय है, जो समय पर सामने आएगा।