हरियाणा सरकार ने प्रदेश में स्वास्थ्य और अन्य 'आवश्यक सेवाओं' से संबंधित कर्मचारियों के अगले 6 महीने तक हड़ताल पर जाने पर रोक लगा दी है। सरकार ने कहा है कि गंभीर रूप से बीमार और अन्य रोगियों की देखभाल, देख-रेख तथा जनसाधारण को आवश्यक चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टरों या अन्य श्रेणी के कर्मचारियों द्वारा किसी भी तरह की हड़ताल पर रोक आवश्यक है। आदेश में कहा गया है कि यह प्रतिबंध छह महीने की अवधि के लिए लागू रहेगा, जिसे आवश्यक होने पर आगे बढ़ाया जा सकता है।

 

सरकार का कहना है कि यह कदम इसलिए लिया गया क्योंकि किसी भी आपात या सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा की स्थिति में हड़ताल से जन स्वास्थ्य व सार्वजनिक जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। उक्त आदेश जारी होने के साथ ही हरियाणा में डॉक्टरों की संभावित हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया गया है।

 

यह भी पढ़ेंकौन हैं जस्टिस स्वामीनाथन, जिनके एक फैसले के चलते महाभियोग लाएगा विपक्ष?

 

इससे पहले 8–9 दिसंबर 2025 को लगभग 3000 सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे। वे अपनी मांग विशेषज्ञ डॉक्टरों हेतु अलग कैडर (स्पेशलिस्ट कैडर), वरिष्ठ मेडिकल अधिकारियों (एसएमओ) की सीधी भर्ती बंद करने तथा एक ऐक्टिव 'एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (ACP)' योजना लागू करने  को लेकर सरकार से नाखुश थे।

अन्य राज्यों में भी हुआ लागू

ऐसा नही है कि इस तरह का फैसला हरियाणा ने ही लिया है बल्कि इसके पहले अक्टूबर 2023 में राज्य सरकार ने भी पैरा मेडिकल स्टाफ जैसे- नर्स, फार्मासिस्ट, टेक्नीशियन इत्यादि के हड़ताल पर रोक लगाई थी।

 

इसके अलावा उत्तराखंड में भी नवंबर 2025 में राज्य की सभी जरूरी सेवाओं के लिए हड़ताल पर 6 महीने के लिए रोक लगा दी गई थी ताकि आवश्यक सेवाओं को सभी के लिए निर्बाध तरीके से उपलब्ध कराया जा सके।

 

यही नहीं कर्नाटक ने भी इस साल जुलाई में सड़क परिवहन निगमों के कर्मचारियों की हड़ताल पर 1 जुलाई से लेकर 31 दिसंबर तक के लिए रोक लगा दी थी। यह रोक ऐसे समय में लगाई गई थी जब जब केएसआरटीसी की संयुक्त कार्रवाई समिति ने अपनी माँगें पूरी न होने पर 5 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है।

क्या ऐसा करना कानूनी है?

जनता के हित में सरकार आवश्यक सेवाओं वाली संस्था में काम कर रहे कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने पर रोक लगा सकती है। केंद्र सरकार व राज्य सरकारें ऐसा Essential Services Maintenance Act (ESMA) के तहत कर सकते हैं। 

 

ESMA के तहत सरकार यह निर्धारित करती है कि किन सेवाओं को 'आवश्यक सेवा' (essential service) घोषित किया जाए। एक बार सेवा को आवश्यक घोषित कर देने के बाद, उस सेवा में काम कर रहे कर्मचारियों द्वारा यह कानून लागू होने के बाद हड़ताल करना गैरकानूनी हो जाता है।

यह भी पढ़ेंः क्या है कार्तिगई दीपम जिसे लेकर तमिलनाडु में उठ खड़ा हुआ विवाद, पढ़ें पूरी कहानी

 

यदि हड़ताल होती है या इसकी कोशिश की जाती है, तो सरकार ESMA कानून के तहत कार्रवाई कर सकती है। हड़ताल अवैध घोषित होती है और इस पर जुर्माना या कानूनी दंड लग सकता है।