क्या है कार्तिगई दीपम जिसे लेकर तमिलनाडु में उठ खड़ा हुआ विवाद, पढ़ें पूरी कहानी
तमिलनाडु में कार्तिगई दीपम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी नेता के अन्नामलाई ने इस पर डीएमको को घेरने की कोशिश की है।

तिरुपरनकुंद्रम हिल (प्रतीकात्मक तस्वीर) । Photo Credit: AI Generated
तमिलनाडु के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तिरुपरनकुंद्रम में इस बार कार्तिगई दीपम का पर्व शांति के बजाय तनाव और प्रदर्शन के साथ लेकर आया। भगवान मुरुगन के छह पवित्र निवास स्थानों (आरुपड़ै वीडु) में से एक तिरुपरनकुंद्रम की पहाड़ी पर कार्तिगई दीपम का दीया कहां जलाया जाए, इसी बात को लेकर हिंदू कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हो गई। पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया, जिसमें तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन भी शामिल हैं।
बीजेपी के कद्दावर नेता के. अन्नामलाई ने इसी मुद्दे को शुक्रवार को चेन्नई में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उठाया और डीएमके सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, 'तिरुपरनकुंद्रम का पवित्र स्थल आज सिर्फ और सिर्फ डीएमके सरकार की वजह से संकट में है। पिछले साल डीएमके सरकार ने चरमपंथी मुस्लिम संगठनों को पहाड़ी का नाम ‘सिकंदर हिल’ रखने की इजाज़त दी, वहां बकरी की कुर्बानी करने दी, रामनाथपुरम के सांसद को मंदिर के ऊपरी हिस्से में चिकन बिरयानी खाने की इजाजत दी। ये सारी अपमानजनक हरकतें डीएमके सरकार को राजनीतिक फायदा पहुंचाती हैं, इसलिए वे चुपचाप तमाशा देखती रही।'
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ब्रिटिश काल का दिया उदाहरण
अन्नामलाई ने आगे कहा कि 1923 में ब्रिटिश काल में हुए मुकदमे और 1930 में प्रिवी काउंसिल के फैसले में साफ-साफ लिखा है कि पहाड़ी का ऊपरी हिस्सा और मंदिर परिसर पूरी तरह भगवान मुरुगन के मंदिर का है, जबकि दरगाह और कब्रिस्तान का हिस्सा सिर्फ निचले इलाके तक सीमित है। सौ साल से कार्तिगई दीपम ‘उच्चि पिल्लैयार’ नाम के स्थान पर जलाया जा रहा था, लेकिन इस बार मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने स्पष्ट आदेश दिया कि दीपम प्राचीन ‘दीपथून’ स्तंभ पर भी जलाया जाए।
जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने 1 दिसंबर को अपने आदेश में कहा था, 'घर में सिर्फ पूजा घर में ही दीया नहीं जलाते, पूरे घर में जलाते हैं। इसी तरह इस साल से दीपथून पर भी कार्तिगई दीपम जलना चाहिए। इससे दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि मंदिर के अधिकार सुरक्षित रहेंगे।' कोर्ट ने पुलिस को भी निर्देश दिया कि कोई रोके-टोके नहीं।
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दीपक जलाने में धक्का-मुक्की
लेकिन 3 दिसंबर की शाम जब याचिकाकर्ता राम रविकुमार और अन्य भक्त दीपथून पर दीया जलाने गए तो मंदिर के कार्यकारी अधिकारी और पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद जस्टिस स्वामीनाथन ने खुद अवमानना याचिका स्वीकार की और शाम 6 बजे तक दीया जलाने का अंतिम मौका दिया, वरना 6:05 बजे अवमानना की कार्रवाई शुरू हो जाएगी। फिर भी प्रशासन नहीं माना।
4 दिसंबर को मामला डिवीजन बेंच के सामने गया। दो जजों की बेंच ने भी कहा कि अवमानना हुई है और याचिकाकर्ता को सीआईएसएफ सुरक्षा देकर दीया जलाने की इजाजत है। इसके बावजूद जब भक्त पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश करने लगे तो पुलिस ने फिर रोका और धारा 144 लगा दी। इस दौरान हिंदू मुन्नानी और बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं के साथ धक्का-मुक्की हुई, जिसमें दो पुलिसकर्मी घायल भी हुए।
अन्नामलाई ने कहा, 'सौ साल से दरगाह की तरफ से कोई आपत्ति नहीं आई, लेकिन मंदिर का कार्यकारी अधिकारी ही कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहा है। उसका काम मंदिर की रक्षा करना है, उजाड़ना नहीं। डीएमके सरकार जानबूझकर हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव पैदा करना चाहती है ताकि वोट बैंक की राजनीति चमक सके।'
क्या है कार्तिगई दीपम?
कार्तिगई दीपम तमिलनाडु का बहुत पुराना और पवित्र त्योहार है जो कि कार्तिगई मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की अग्नि रूप में पूजा की जाती है। तिरुवन्नामलई में लाखों लोग महादीपम देखने आते हैं। इसी तरह हर मुरुगन मंदिर में भी यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। घर-घर दीये जलाए जाते हैं, इसलिए इसे 'दीयों का त्योहार' भी कहते हैं। इस साल कार्तिगई दीपम 4 दिसंबर को था।
तिरुपरनकुंद्रम की पहाड़ी पर भगवान सुब्रह्मण्य स्वामी (मुरुगन) का प्राचीन मंदिर है और उसी पहाड़ी पर सिकंदर बादशाह दरगाह भी है। सैकड़ों साल से दोनों समुदाय शांति से रहते आए हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में कुछ संगठनों ने पहाड़ी का नाम बदलने, कुर्बानी करने जैसे कदम उठाए, जिससे हिंदू संगठनों में गुस्सा भड़का।
बीजेपी बोली- सनातन विरोधी
अब कोर्ट ने साफ कह दिया है कि दीपथून पर दीया जलाना मंदिर का हक है, फिर भी डीएमके सरकार के अधीन हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती (HR&CE) विभाग अपील पर अपील कर रहा है। बीजेपी ने इसे 'सनातन धर्म के खिलाफ खुली दुश्मनी' करार दिया है।
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अन्नामलाई ने अंत में कहा, 'तमिलनाडु के हिंदू अभी भी संयम बनाए हुए हैं। हम कोर्ट के रास्ते ही चलेंगे, लेकिन अगर सरकार इसी तरह हिंदुओं के धार्मिक अधिकार छीनती रही तो जनता सड़कों पर उतरेगी। डीएमके को हिंदुओं के खिलाफ काम करने के बजाय मंदिरों की संपत्ति और परंपराओं की रक्षा करनी चाहिए।'
फिलहाल मदुरै में तनाव बना हुआ है। प्रशासन ने पहाड़ी के आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया हुआ है। हिंदू संगठन और बीजेपी कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से कोर्ट के अगले आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
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