हार्ट ट्रांसप्लांट में समय की अत्याधिक अहमियत होती है। ऐसे में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक इसे तुरंत पहुंचाना बहुत जरूरी होता है। वैसे तो हार्ट को सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने के लिए कई प्रक्रिया का इस्तेमाल हो रहा है। जैसे ग्रीन कॉरिडोर का उपयोग, यह एक तरीके का विशेष ट्रैफिक-फ्री मार्ग है जो पुलिस द्वारा तैयार किया जाता है।

 

इसमें डोनर अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक का रास्ता पूरी तरह से खाली कराया जाता है ताकि एंबुलेंस या अन्य वाहन कम समय में यात्रा कर सके। यह ट्रांसपोर्टेशन में लगने वाले समय को कई गुना कम कर देता है। इसी कड़ी में हैदारबाद से एक खबर आ रही है जहां महज 13 मिनट के अंदर हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए दिल को अस्पताल पहुंचाया गया। 

हैदराबाद मेट्रो रेल

हैदराबाद मेट्रो रेल ने सफलतापूर्वक एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया, जिससे 13 स्टेशनों को कवर करते हुए मात्र 13 मिनट में 13 किलोमीटर की दूरी पर हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए दिल को अस्पताल पहुंचाया गया।

 

हैदराबाद मेट्रो रेल की एक विज्ञप्ति के अनुसार, 17 जनवरी को रात लगभग 9 बजकर 30 मिनट पर एलबी नगर के कामिनेनी अस्पताल से ग्लेनीगल्स ग्लोबल अस्पताल तक डोनर हार्ट को पहुंचाया गया। हैदराबाद मेट्रो रेल, चिकित्सा पेशेवरों और अस्पताल अधिकारियों की देख-रेख में इस योजना को पूरा किया गया। 

 

13 मिनट, 13 स्टेशन और 13 किलोमीटर

हैदराबाद की मेट्रो ने हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए ग्रीन कॉरिडोर की सुविधा प्रदान की गई है। इस कॉरिडोर ने एलबी नगर के कामिनेनी अस्पताल से ग्लेनीगल्स ग्लोबल अस्पताल तक हार्ट को सुरक्षित  पहुंचाया। मेट्रो ने 13 स्टेशनों से गुजरते हुए 13 किलोमीटर की दूरी 13 मिनट में तय की। इससे जीवन रक्षक मिशन में समय की महत्वपूर्ण बचत हुई है। 

 

 

बता दें कि यह मामला 17 जनवरी का है और आप वीडियो में देख सकते है कि कैसे कामिनेनी अस्पताल की टीम एक मेडिकल बॉक्स में डोनर हार्ट को रखे हुए है और मेट्रो के जरिए ग्लेनीगल्स ग्लोबल अस्पताल तक पहुंच रहे है। इसी अस्पताल में हार्ट ट्रांसप्लांट होना था। 

 

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हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए इन मार्गों का भी होता इस्तेमाल

एंबुलेंस ट्रांसपोर्ट:

हार्ट को अक्सर एंबुलेंस में पहुंचाया जाता है, जो ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से तेजी से चलती है।

एंबुलेंस में मॉनिटरिंग के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर या ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर मौजूद होता है।

एयर ट्रांसपोर्ट (हेलीकॉप्टर/चार्टर्ड फ्लाइट):

अगर दूरी अधिक हो, तो हार्ट को विशेष चार्टर्ड फ्लाइट या हेलीकॉप्टर के जरिए ले जाया जाता है। इसे एयर एंबुलेंस भी कहा जाता है।

हवाई यात्रा के दौरान भी तापमान और स्थिति को मॉनिटर किया जाता है।

ड्रोन तकनीक का उपयोग

हाल ही में, हार्ट जैसे महत्वपूर्ण अंगों को ड्रोन के जरिए भी ट्रांसपोर्ट किया जाने लगा है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से ट्रैफिक वाले क्षेत्रों में उपयोगी है और समय की बचत करती है।