चंडीगढ़ के आईपीएस वाई पूरन कुमार की आत्महत्या का मामले में जांच तेज हो गई है। इस मामले की जांच कर रही चंडीगढ़ पुलिस टीम ने हरियाणा सरकार से 32 दस्तावेज मांगे थे। हालांकि, इनमें से कुछ ही दस्तावेज अब तक सरकार की ओर से मुहैया कराए गए हैं। कुछ दस्तावेज अब भी बकाया हैं।
वाई पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ में अपने आवास पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उनके पास से एक कथित सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें उन्होंने कई सीनियर अफसरों पर जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद उनकी पत्नी और आईएएस अफसर अमनीत पी. कुमार की शिकायत पर 9 अक्टूबर को FIR दर्ज की गई थी। इस मामले की जांच के लिए हरियाणा सरकार ने SIT का गठन किया था।
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क्या-क्या दस्तावेज मांगे?
पूरन कुमार की सुसाइड केस की जांच कर रही चंडीगढ़ पुलिस ने हरियाणा सरकार से 32 दस्तावेज मांगे थे।
9 अक्टूबर को FIR दर्ज करने के बाद 10 अक्टूबर को चंडीगढ़ पुलिस ने 29 दस्तावेज मांगे थे। बाद में तीन और दस्तावेज की मांग की गई थी। इस तरह से कुल 32 दस्तावेज मांगे गए थे। इनमें से कुछ ही अब तक मुहैया कराए गए हैं।
चंडीगढ़ पुलिस ने जो 32 दस्तावेज मांगे हैं, उनमें 29 अगस्त 2024 को अमिताभ ढिल्लों के खिलाफ भेजी गई एक शिकायत भी है, जिसमें उनपर कोई कार्रवाई न किए जाने की बात कही गई थी।
इन दस्तावेजों में वाई पूरन कुमार की ओर से 21 अगस्त से 25 सितंबर 2024 के बीच भेजे गए पत्रों की मांग भी की गई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि शिकायतकर्ता को सुने बगैर ही शिकायतों का निपटारा कर दिया गया था।
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क्यों अहम हैं ये दस्तावेज?
चंडीगढ़ पुलिस ने उन सभी पत्रों की मांग की है, जो वाई पूरन कुमार ने डीजीपी, गृह विभाग, मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव को लिखे थे। पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में आरोप लगाया था कि बार-बार शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए चंडीगढ़ पुलिस की जांच के लिए ये दस्तावेज अहम हैं।
