UPI के चलन के बाद भी चेक से भुगतान करने वालों की एक बड़ी संख्या है जिसमें बड़े संस्थान और बिजनेस शामिल हैं। बड़ी रकम के भुगतान  के लिए आज भी अधिकतर लोग चेक का इस्तेमाल करते हैं। चेक बाउंस हो जाए तो इसका खामियाजा भी चेक जारी करने वाले को भुगतना पड़ सकता है। चेक बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है और इसके बाउंस हो जाने पर चेक देने वाले को सजा भी मिल सकती है। इन्हीं नियमों की वजह से चेक बाउंस के केस में कर्नाटक के उडुपी की एक स्थानीय अदालत ने एक व्यवसायी पर लाखों का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर व्यवसायी ने जुर्माना नहीं भरा तो उसे जेल भी जाना पड़ सकता है। 

 

कर्नाटक के उडुपी के दो व्यापारियों को स्थानीय अदालत ने अलग-अलग चेक बाउंस के मामलों में दोषी ठहराया और सजा सुनाई है। इन मामलों में एक साल पहले एफआईआर दर्ज की गई थी। केन इंटरप्राइजेज ने चेक बाउंस का एक मामला विश्व कंस्ट्रक्शन के प्रकाश आचार्य के खिलाफ दर्ज करवाया था। आचार्या ने जो चेक विश्व कंस्ट्रक्शन के जारी किया था उससे संबंधित अकाउंट में पर्याप्त पैसे नहीं थे। इस मामले में जस्टिस शिल्पा की कोर्ट ने प्रकाश आचार्य को 14 लाख 40 हजार रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया है। अगर आचार्य जुर्माना नहीं भरते, तो उन्हें 6 महीने के लिए जेल भी जाना पड़ सकता है। अदालत ने कुल जुर्माने में से 14 लाख 35 हजार रुपये शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया है।

 

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रवि कुमार को भी सुनाई सजा


कर्नाटक की इसी अदालत ने बुधवार को चेक बाउंस के केस में उडुपी के एक दूसरे व्यवसायी रवि कुमार को भी सजा सुनाई है। रवि कुमार के खिलाफ भी विश्व कंस्ट्रक्शन ने ही 2024 में केस दर्ज करवाया था। इस मामले में अदालत ने रवि कुमार पर 4 लाख 5 हजार का जुर्माना लगाया है। यदि रवि जुर्माना नहीं भरते तो उन्हें 4 महीने जेल में बिताने पड़ सकते हैं। इस जुर्माने की राशि में से 4 लाख रुपये शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे। ये दोनों ममाले 2024 में दर्ज किए गए थे और एक साल के अंदर ही दोनों का निपटारा हो गया। 

 

चेक बाउंस क्या है?


चेक बाउंस हो जाने का मतलब है कि आपने किसी को चेक दिया या आपको किसी ने चेक दिया लेकिन बैंक ने उस चेक के बदले में पैसे देने से इनकार कर दिया। ऐसी स्थिति में वह चेक बाउंस माना जाएगा। भुगतान न करने के पीछे अक्सर कुछ कारण होते हैं जिसमें चेक जारी करने वाले के खाते में पर्याप्त पैसे न होना, तारीख गलत होना, सिग्नेचर का न मिलना या फिर चेक जारी करने वाले के भुगतान न करने की रिक्वेस्ट शामिल हैं। अगर कोई चेक बाउंस होता है तो चेक जारी करने वाले को कई नुकसान हो सकते हैं जिसमें 2 साल तक की जेल भी हो सकती है। 

 

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चेक बाउंस होने पर क्या सजा हो सकती है?


चेक बाउंस होने पर जारी करने वाले को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। उसका क्रेडिट स्कोर खराब होगा, बैंक जुर्माना लगा सकता है। इसके अलावा अगर बैंक में पर्याप्त धनराशि न होने के कारण बाउंस हो तो इसे नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट ऐक्ट 1881 की धारा 138 के तहत एक आपराधिक गतिविधि है। इस कानून के अनुसार, चेक बाउंस होने पर अगर जुर्म साबित हौ जाता है तो चेक जारी करने वाले को चेक की राशि की दोगुनी राशि जुर्माने के रूप में देनी पड़ सकती है। अदालत चाहे तो दोषी को दो साल तक जेल की सजा भी सुना सकती है। इसके अलावा, धोखाधड़ी या विश्वासघात का मुकदमा भी चलाया जा सकता है।