तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में जाव्वदु पहाड़ियों के पास एक पुराना मंदिर है जहां मरम्मत का काम चल रहा था। इस दौरान खुदाई में मंदिर से 100 से अधिक पुराने सोने के सिक्के पाए गए हैं। पुलिस ने बताया कि 3 नवंबर को कोविलूर के शिव मंदिर में मुख्य देवता के गर्भगृह में मरम्मत का काम चल रहा था जहां मिट्टी के घड़े से पुराने सिक्के बरामद किए गए हैं।
PTI को पोलूर पुलिस के सीनियर अधिकारी ने बताया, 'सोमवार को मरम्मत का काम चल रहा था जहां लगभग सोने के 103 सिक्के मिले हैं।' एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि यह मंदिर सदियों पुराना है और माना जाता है कि इसे चोल सम्राट राजराजा चोल 3 के समय में बनाया गया था।
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रेवेन्यू डिपार्टमेंट की कार्रवाई
अधिकारी ने बताया कि जैसे ही हमें इस खोज का पता चला हमने इसकी सूचना राजस्व विभाग, हिंदू धार्मिक और इससे संबंधित विभाग के अधिकारियों को दी है। अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर सिक्कों को अपने कब्जे में ले लिया है। पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया है। अधिकारी ने यह भी बताया है कि सोने के सिक्कों के इतिहास के बारे में पता लगाने की कोशिश की जाएगी।
मंदिर से मिले सिक्के के बारे में अब एक्सपर्ट पता लगाएंगे। एक्सपर्ट की जांच से ही पता चल पाएगा कि इन सिक्कों का ऐतिहासिक मूल्य क्या है। ये सिक्के किस समय बने या उनका सोर्स क्या है? इस खोज से यह साफ पता चलता है कि इस क्षेत्र का कितना समृद्ध इतिहास रहा है। साथ ही यह भी जानने में आसानी होगी कि चोल राजवंश का कितना ज्यादा प्रभावी रहा है।
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चोल राजवंश
चोल राजवंश दक्षिण भारत का एक तमिल राजवंश था। यह नौवीं से तेरहवीं शताब्दी तक अपने चरम पर रहा। यह राजवंश अपनी मजबूत नौसेना और बड़े समुद्री साम्राज्य के लिए जाना जाता था। इस राजवंश ने श्रीलंका से लेकर दक्षिण पूर्व एशिया तक के क्षेत्रों पर शासन किया। राजराज प्रथम और राजेंद्र प्रथम जैसे शासकों के अधीन, चोल साम्राज्य एक प्रमुख सैन्य, आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति बन गया, जो मंदिर निर्माण, कला और प्रशासन में भी प्रभावशाली था।
