पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिवार की भारत में मौजूद जमीन बिक गई है। यह जमीन उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के कोताना गांव में थी। नीलाम की गई जमीन लगभग 13 बीघा थी, जिसे 1.38 करोड़ रुपये में खरीदा गया है। इस जमीन को बड़ौत के पंकज ठेकेदार और मनोज गोयल और गाजियाबाद की जेके स्टील ने खरीदा है।
यह जमीन परवेज मुशर्रफ के भाई जावेद मुशर्रफ की थी, जिसे 15 साल पहले शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था। शत्रु संपत्ति असल में वह संपत्ति होती है, जिसके मालिक 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे। गृह मंत्रालय के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 5,688 शत्रु संपत्तियां हैं।
बताया जा रहा है कि मुशर्रफ के परिवार की जमीन को लेकर सितंबर 2024 में बोली लगाई गई थी। हालांकि, अब जाकर इन संपत्तियों की रजिस्ट्री हुई है। शत्रु संपत्ति की देखरेख करने वाले पर्यवेक्षक प्रशांत सैनी ने शनिवार को बड़ौत पहुंचकर इन जमीन के बैनामे कराए हैं। प्रशांत सैनी ने बताया कि सत्यापन के बाद रजिस्ट्री हो गई है। कंपनी का मालिकाना हक अब नए खरीदारों को मिल गया है। सारे रिकॉर्ड भी अब उसी के हिसाब से अपडेट किए जा रहे हैं।
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हवेली और खेती की जमीन थी
परवेज मुशर्रफ का परिवार कोताना गांव में रहता था। 1943 में उनका परिवार यहां से दिल्ली चला गया था। इसके बाद 1947 में बंटवारे के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था।
जानकारी के मुताबिक, कोताना गांव में मुशर्रफ के परिवार की एक हवेली थी और कुछ बीघा खेती की जमीन थी। 78 साल से इस जमीन का कोई मालिक नहीं था। अब इस जमीन को नया मालिक मिल गया है।
39 लाख रुपये थी कीमत
15 साल पहले गृह मंत्रालय ने मुशर्रफ के परिवार की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया था। इसके बाद से ही इसे बेचने की कवायद शुरू हो गई थी। सितंबर 2024 में जब इस जमीन की नीलामी की गई, तब इसकी कीमत 39 लाख रुपये लगाई गई थी। हालांकि, आखिरी बोली इस कीमत से तीन गुना ज्यादा लगी। आखिरकार इस जमीन को 1.38 करोड़ रुपये में नीलाम कर दिया गया।
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क्या होती है शत्रु संपत्ति?
शत्रु संपत्ति का मतलब उस संपत्ति से है, जो भारत में उन लोगों या संस्थाओं की है, जिन्हें सरकार ने 'शत्रु' माना है। यह संपत्ति उन लोगों की है, जो 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे या फिर 1965 और 1971 की जंग के बाद पाकिस्तान के नागरिक बन गए।
अगर कोई व्यक्ति बंटवारे या 1965 और 1971 की जंग के बाद पाकिस्तान चला गया है, तो भारत में उसकी संपत्ति को 'शत्रु संपत्ति' घोषित कर दिया जाता है। इन संपत्तियों को 1968 के शत्रु संपत्ति कानून के तहत नियंत्रित किया जाता है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, भारत में 13 हजार से ज्यादा शत्रु संपत्ति है। ऐसी संपत्तियां सबसे ज्यादा 5,688 उत्तर प्रदेश और 4,354 पश्चिम बंगाल में है। इनके बाद दिल्ली तीसरे नंबर पर है, जहां 633 शत्रु संपत्तियां हैं।