भारत ने मौसम का अंदाजा लगाने वाला एक नया सिस्टम तैयार किया है। इससे मौसम के पूर्वानुमान अब पहले से ज्यादा सटीक मिलेंगे। यह 6 किलोमीटर इलाके में भी मौसम की भविष्यवाणी कर देगा। ऐसा सिस्टम तैयार करने वाला भारत पहला देश बन गया है। अभी भारत इकलौता है, जिसके पास यह सिस्टम है।
इसे भारत फोरकास्टिंग सिस्टम (BFS) नाम दिया गया है। इसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटियरोलॉजी (IITM) ने तैयार किया है। अर्थ साइंस मिनिस्टर डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि BFS इसी मॉनसून से काम करना शुरू कर देगा।
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क्यों खास है यह सिस्टम?
भारत फोरकास्टिंग सिस्टम (BFS) यह पता लगाएगा कि 6 किलोमीटर के दायरे में मौसम कैसा रहने वाला है। यूरोप, ब्रिटेन और अमेरिका के पास जो मॉडल हैं, वे 9 से 14 किलोमीटर के रिजॉल्यूशन पर काम करते हैं। इसका मतलब है कि BFS ज्यादा बारीक और सटीक जानकारी दे सकता है।
अर्थ साइंस मिनिस्ट्री के सचिव एम. रविचंद्रन ने बताया कि मौसम का पैटर्न बहुत तेजी से बदलता है, इसलिए हाई रिजॉल्यूशन वाले मॉडल की जरूरत थी। उन्होंने बताया कि पहले 4 गांवों के लिए पूर्वानुमान जारी होता था लेकिन BFS की मदद से हर गांव के लिए अलग-अलग अनुमान जारी किया जा सकेगा।
6 किलोमीटर रिजॉल्यूशन दुनिया में सबसे छोटा है। अभी तक कोई भी देश इतने छोटे ग्रिड पर मौसम का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम नहीं है। छोटे ग्रिड की वजह से BFS ज्यादा सटीक भविष्यवाणी कर सकता है।
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मौजूदा सिस्टम से कितना अलग
अभी मौसम विभाग 12 किलोमीटर के दायरे में मौसम की भविष्यवाणी करता है लेकिन BFS के जरिए अब 6 किलोमीटर के दायरे में मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा।
इससे फायदा क्या होगा?
- बारिश, तापमान और तूफान की सटीक जानकारी मिलेगी।
- बाढ़, चक्रवाती तूफान और भारी बारिश की जल्दी चेतावनी मिलेगी।
- सटीक डेटा मिलेगा, जिससे उड़ानें और सैन्य ऑपरेशन ज्यादा सुरक्षित होंगे।
- गांव और छोटे इलाकों में भी मौसम का सटीक अनुमान लगा सकेंगे।
- अगले दो घंटे के मौसम की भविष्यवाणी भी इसकी मदद से हो सकेगी।
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काम कैसा करेगा यह सिस्टम?
भारत का BFS 6X6 किलोमीटर ग्रिड पर काम करता है। यानी हर 6 किमी के दायरे में मौसम की अलग-अलग भविष्यवाणी कर सकता है। इससे छोटे-छोटे इलाकों, जैसे एक गाँव या शहर के हिस्से, का मौसम भी सटीक पता चलता है।
नए सुपरकम्प्यूटर 'Arka' ने BFS को तैयार करने में मदद की है। BFS को तैयार करने वाले वैज्ञानिकों में शामिल पार्थसारथी मुखोपाध्याय ने बताया कि पहले का सुपरकम्प्यूटर 'Pratyush' डेटा प्रोसेस करने में 10 घंटे लेता था लेकिन 'Arka' सिर्फ 4 घंटे में ही डेटा प्रोसेस कर सकता है।
एम. रविचंद्रन ने बताया कि 40 डॉप्लर वेदर रडार से मिले डेटा लेकर BFS काम करेगा। उन्होंने बताया कि भविष्य में ऐसे 100 रडार होंगे, जिससे नाउकास्ट (अगले 2 घंटे की भविष्यवाणी) पूरे देश में मुमकीन होगा।