हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव संजीव कौशल को राज्य सरकार ने एक नई जिम्मेदारी दी है। उन्हें राज्य वित्त आयोग का चेयरमैन नियुक्त किया है। नई जिम्मेदारी मिलने के बाद वह बुधवार को राज्य के मुख्यमंत्री नायब सैनी से मिले। इस मुलाकात में उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी को फाइनेंस कमीशन के काम करने के तरीके, पंचायती राज व्यवस्था और शहरी निकाय के बारे में जानकारी दी। 

 

राज्य सरकार ने दो दिन पहले ही उन्हें फाइनेंस कमीशन का चेयरमैन नियुक्त किया है। इससे पहले उन्हें रिटायरमेंट के बाद हरियाणा पावर जनरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPGCL) का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। वह 31 जुलाई 2024 को IAS के पद से रिटायर हुए थे। संजीव कौशल को हरियाणा के सबसे काबिल और मेहनती अधिकारियों में गिना जाता था और उन्होंने प्रशासनिक सुधारों और स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

 

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कौन हैं संजीव कौशल?

संजीव कौशल हरियाणा के नौकरशाही तबके में एक बड़ा चेहरा रहे हैं। उन्होंने अमृतसर की गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से BSC की डिग्री हासिल की और इसके बाद वह UPSC के 1986 बैच में बतौर IAS चुने गए। जुलाई 2024 में रिटायर होने से पहले उन्होंने बतौर IAS राज्य के कई अहम पदों पर सेवाएं दी हैं। वह हरियाणा के कई जिलों के जिला कलेक्टर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने वित्तायुक्त के तौर पर सेवाएं दी हैं। साल 2014 में जब हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनी तो वह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रधान सचिव भी रहे।

 

राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया, खासकर 'लाल डोरा मुक्ति योजना' को लागू करने में, जिसे हरियाणा सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जाता है। उन्होंने वित्त, योजना, कृषि, सहकारिता, आबकारी जैसे विभागों में अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में काम किया। संजीव कौशल ने 30 नवंबर 2021 से हरियाणा के 35वें मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया। 

 

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अब क्या काम करेंगे संजीव कौशल?

हरियाणा सरकार ने राज्य सरकार के वित्त आवंटन की समीक्षा के लिए 7वें राज्य वित्त आयोग का गठन किया है। इस आयोग का उद्देश्य राज्य सरकार और स्थानीय स्वशासी निकायों, जैसे कि पंचायती राज संस्थानों (PRI) और शहरी स्थानीय निकायों (ULB), के बीच वित्तीय संसाधनों के बंटवारे की समीक्षा करना और सिफारिशें देना है। आयोग यह देखेगा कि गांवों की ग्राम पंचायतों, ब्लॉक की पंचायत समितियों, जिला परिषदों और शहरों की नगर पालिकाओं या नगर निगमों को सरकार से कितना पैसा मिलना चाहिए ताकि वह अपने इलाके में सड़क, पानी, सफाई, स्कूल, अस्पताल जैसी सुविधाएं दे सकें। 


यह कमीशन यह भी बताएगा कि किन करों और शुल्कों को पंचायती राज संस्थाओं को सौंपा जा सकता है। इसके अलावा, यह कमीशन राज्य के कंसोलिडेटेड फंड से पंचायती राज संस्थाओं को दिए जाने वाले अनुदानों और उनकी वित्तीय स्थिति को सुधारने के उपायों पर भी सिफारिश करेगा। इस कमीशन को 31 मार्च 2026 तक अपनी रिपोर्ट हरियाणा के राज्यपाल को देनी है। इस रिपोर्ट में 2026-27 से 2030-31 तक के लिए सुझाव होंगे। इससे स्थानीय शासन को और मजबूती मिलेगी ताकि वह अपने इलाके की जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा कर सकें।