हरियाणा के फरीदाबाद में 38वां सूरजकुंड मेला आयोजित किया गया। यह मेला 7 फरवरी से शुरू हुआ था और आज यानी 23 फरवरी यह मेला खत्म हो जाएगा। भारत और दुनियाभर से 2500 से अधिक कारीगर हथकरघा, हस्तशिल्प समेत कई महारत इस मेले में अपनी कला को पेश कर रहे हैं। लोक संगीत और नृत्य इस मेले को मंत्रमुग्ध करने वाला यह मेला वोकल फॉर लोकल पहल के सिद्धांतों को बढ़ावा देने का एक मंच है। यह जमीनी स्तर पर एंटरप्रेन्योरशिप को प्रोत्साहित करता है। 

 

इस साल, ओडिशा और मध्य प्रदेश थीम राज्य हैं, जहां उनकी समृद्ध विरासत को प्रदर्शित किया गया हैं। जैसे ही आप मेले के गेट नबंर 1 से अंदर आते हैं वैसे ही आपको भव्य छत्तीसगढ़ ‘डोकरा आर्ट’ गेट नजर आएगा। एंट्री गेट को ओडिशा के रघुराजपुर गांव की पट्टचित्र पेंटिंग और पिपली एप्लिक लालटेन और हैंगिंग से सजाया गया है। मध्य प्रदेश के लिए, बेहतरीन चंदेरी और बाघ प्रिंट और कुनो नेशनल पार्क से चीतों की एक प्रभावशाली झांकी मुख्य आकर्षण हैं। 

 

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सूखे मेवे से तैयार मंडप

मेले में एंट्री करते ही छोटे और स्थानीय व्यवसायों की उद्यमशीलता की भावना देखने को मिलेगी। यहां सूखे मेवे, अचार, नमकीन, जूस और अन्य हर्बल उत्पादों से एक मंडप तैयार किया गया है। वहीं, विशाल पहियों के साथ, कई छोटे उद्यमियों ने बांस के पौधे, संगीत वाद्ययंत्र, हैंडबैग, स्थानीय स्नैक्स, आइसक्रीम और बहुत कुछ के साथ छोटी दुकानें लगाई हैं। हर साल सूरजकुंड मेला सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाने के लिए किसी देश के साथ भागीदारी करता है। इस साल मेले ने बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (BIMSTEC) देशों- बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका के साथ भागीदारी की है। 

 

मेले में इन देशों के लोग भी मौजूद 

अंतर्राष्ट्रीय मंडप सबसे बड़े आकर्षणों में से एक है, जिसमें दुनिया भर की कला और शिल्प प्रदर्शित किए जाते हैं। यहां लोग सीरियाई कांच के लैंप, जैतून की लकड़ी से बने ट्यूनीशियाई हस्तशिल्प, तंजानियाई संगीत वाद्ययंत्र, थाई वस्त्र, अफगान सूखे मेवे और नेपाली रुद्राक्ष की माला और कई अन्य हथकरघा, पेंटिंग, कला और शिल्प देख सकते हैं। ईरान, मेडागास्कर, सेशेल्स और मलावी जैसे देशों ने भी अपने अनूठे शिल्प का प्रदर्शन किया है। यह वैश्विक भागीदारी भारत के 'वसुधैव कुटुम्बकम' का उल्लेखनीय विस्तार करती है। 

 

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मेले का मुख्य आकर्षण महिलाएं

मेले का एक प्रमुख आकर्षण महिलाएं है। देशभर की महिला उद्यमी की मेले में मौजदगी से ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिला है। इसी में से एक गीता देवी और उनके बेटे जैसे कारीगर है, जो फतेहाबाद में मधुमक्खी पालन का व्यवसाय चलाते हैं। इस मेले में उन्होंने पहली बार एक स्टॉल लगाया है, जिसमें मधुमक्खी पालन और शहद प्रोसेसिंग में अपनी 12 साल की यात्रा को शेयर किया है। पंचकूला के उन्नत महिला एसएचजी की सुमन ने बाजरे से बने लड्डू बनाने का काम शुरू किया है। उन्होंने कहा, 'हरियाणा में बाजरा नहीं उगाया जाता है, इसलिए हम उत्तराखंड के किसानों से रागी मंगवाते हैं। इस तरह के मेले हमें बहुत जरूरी जानकारी देते हैं और दिल्ली जाने का मौका देते हैं।'

 

सूरजकुंड मेला जाने का सही समय क्या?

मेले का समय प्रतिदिन सुबह 10.30 बजे से शाम 8.30 बजे तक है। मेले में 1,000 से अधिक स्टॉल हैं, जिनमें हस्तशिल्प, वस्त्र और सांस्कृतिक कलाकृतियों की प्रस्तुत की गई है।

 

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टिकट कैसे खरीदें?

पहली बार, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने टिकट बिक्री को सरल बनाने के लिए मेला आयोजकों के साथ सहयोग किया है। आप ऑनलाइन के लिए DMRC मोबाइल ऐप के से टिकट खरीद सकते हैं। आप टिकट चुनिंदा दिल्ली मेट्रो स्टेशनों पर खरीद सकते हैं। इसके अलावा ऑन-साइट पर भी टिकट उपलब्ध है। ऑफलाइन टिकट शुक्रवार से 23 फरवरी तक सभी मेट्रो स्टेशनों पर सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे के बीच और मेला स्थल पर भी बेचे जाएंगे।