संजय सिंह,पटना। केंद्र सरकार ने मखाना बोर्ड के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। इससे बिहार के करीब 5 लाख मखाना किसानों की किस्मत बदलने वाली है। बिहार देश का करीब 85 प्रतिशत मखाना उत्पादित करता है। इस बोर्ड के गठन से मखाना प्रोसेसिंग और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। जिसका सीधा लाभ बिहार को मिलने जा रहा है।

 

मखाना बोर्ड के गठन से किसानों की आय में बढ़ोतरी के साथ-साथ कारोबार और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। बिहार सरकार के प्रयासों से पिछले 12 वर्षों में मखाना उत्पादन का रकबा बढ़ा है। 2019-20 में मखाना विकास योजना प्रारंभ की गई थी। इसमें दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र से विकसित स्वर्ण वैदेही और भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय से विकसित सबौर मखाना-1 के बीज को बढ़ावा दिया गया।

 

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10 जिलों तक हुआ मखाना की खेती का विस्तार

बिहार सरकार मखाना विकास योजना के जरिए राज्य में मखाना की खेती को बढ़ावा दे रही है। इस योजना के तहत बिहार के 10 जिलों में मखाना की खेती का विस्तार किया गया है। सरकार किसानों को अन्य वित्तीय सहायता भी दे रही है। जैसे - मखाना संग्रहण के लिए भंडार गृह निर्माण पर अनुदान, बिहार और बिहार से बाहर व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए मखाना महोत्सव का आयोजन।

तीन गुना बढ़ा मखाना का रकबा 

बिहार सरकार के प्रयासों से मखाना के उत्पादन में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले 10 वर्षों में मखाना की खेती के रकबे में व्यापक बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2012 तक बिहार में मखाना की खेती लगभग 13,000 हेक्टेयर में होती थी। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अन्तर्गत मखाना का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इससे मखाना की खेती का रकबा बढ़कर  35,224 हेक्टेयर हो गया है। 

 

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इन 10 जिलों में होता है मखाना

राज्य के 10 जिलों दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णियां, किशनगंज, सुपौल,  मधेपुरा, सहरसा और खगड़िया में मुख्य रूप से मखाना का उत्पादन होता है। इन जिलों में मखाना की खेती करने वाले किसानों को सरकार सहायता प्रदान करती है। मखाना की वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ने के बाद अब इसका उत्पादन कई अन्य जिलों में भी होने लगा है।

आय में हुई व्यापक बढ़ोत्तरी 

बिहार में मछली पालन के साथ ही मखाना की खेती में तेजी का लाभ राज्य के राजस्व में बढ़ोत्तरी के रूप में सामने आया है। मखाना कृषकों की आय में कई गुना हो चुकी है। उनके जीवन स्तर में सुधार आया है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2005 से पहले जहां मत्स्य/मखाना जलकरों से राजस्व प्राप्ति 3.83 करोड़ रुपये थी। वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गई है। यह लगभग 4.57 गुना की बढ़ोत्तरी है।