नाइट लाइफ और पार्टी के लिए जाने जाने वाले गोवा में अब सख्ती की जा रही है। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कलेक्टरों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाने की खुली छूट दे दी है। गोवा सरकार ने राज्य के दोनों जिलों- साउथ गोवा और नॉर्थ गोवा के कलेक्टरों को अगले तीन महीने तक NSA लगाने का आदेश दे दिया है। इसे लेकर आदेश भी जारी कर दिया गया है।


गृह विभाग के अवर सचिव मनोज नाइक ने एक आदेश जारी कर दोनों जिलों के कलेक्टरों को 'मौजूदा परिस्थितियों' का हवाला देते हुए 3 महीने के लिए NSA लगाने का अधिकार दे दिया है।


आदेश में कहा गया है कि जिला कलेक्टर अपनी सीमाओं में NSA की धारा 3(2) के तहत मिली शक्तियों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह प्रावधान राज्य की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने और जरूरी सेवाओं के रखरखाव में खतरा माने जाने वाले व्यक्तियों को हिरासत में रखने की अनुमति देता है।

 

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क्या है सरकार का आदेश?

गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, 'गोवा सरकार मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए इस बात से संतुष्ट है कि ऐसा करना जरूरी है। इसलिए निर्देश दिया जाता है कि आदेश जारी होने की तारीख से तीन महीने तक कलेक्टर NSA का इस्तेमाल कर सकते हैं।'


इसके साथ ही गोवा सरकार ने एक NSA एडवाइजरी बोर्ड भी बनाया। इसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यूवी बाकरे और पूर्व जिला जज सायोनारा टेल्स लाड और वंदना तेंदुलकर शामिल हैं। 

 

 

इस बोर्ड के दो अहम काम होंगे। पहला- NSA के तहत जारी होने वाले हर डिटेंशन ऑर्डर का तीन हफ्ते के भीतर रिव्यू करना होगा। और दूसरा- हिरासत में लिए लोगों की ओर से दाखिल अपीलों पर विचार करना होगा।

 

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ऐसा क्यों किया गया?

गोवा में बढ़ते अपराध और गैंगवॉर को रोकने के मकसद से यह फैसला लिया गया है। सितंबर में गोवा के डीजीपी आलोक कुमार ने सरकार को पत्र लिखकर कलेक्टरों को NSA लगाने की अनुमति देने की मांग की थी।


डीजीपी आलोक कुमार ने गृह विभाग को लिखी चिट्ठी में कहा था कि 'उपद्रवियों को हिरासत में लेने के मौजूदा कानूनी प्रावधान बार-बार अपराध करने वालों पर नकेल कसने के लिए नाकाफी हैं।'


उन्होंने कहा था, '1 अगस्त 2025 से अब तक कई अपराधियों को हिरासत में लिाय गया है और मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया है लेकिन ये उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं। इन मौजूदा परिस्थितियों में यह जरूरी है कि कलेक्टर को एक निश्चित अवधि के लिए NSA लगाने की अनुमति दी जाए, ताकि कानून व्यवस्था बिगाड़ने वाली गतिविधियों को रोका जा सके।'

 

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पुलिस ने ऐसी मांग क्यों की थी?

18 सितंबर को सोशल एक्टिविस्ट रमा कंकोणकर पर जानलेवा हमला हुआ था। हमलावरों ने उन पर कथित तौर पर साइकिल की चेन से हमला किया था। उनकी शर्ट फाड़ दी थी और उनके चेहरे पर गोबर मल दिया था। जाने से पहले हमलावरों ने उनकी तस्वीरें भी खींची थीं।


रमा कंकोणकर पर हमले के बाद आरोपी बाइक पर बैठकर मौके से भाग गए थे। सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, यह पूरी घटना दो मिनट के अंदर हुई थी।


पुलिस ने बताया था कि जिन लोगों ने कंकोणकर पर हमला किया था, वे सभी आदतन अपराधी थे। इस मामले में पुलिस ने 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने जेनितो कार्डोजो, एंथनी नडार, फ्रांसिस नडार, मिंगुएल अराउजो, फ्रांको डी'कोस्टा, मनीष हाडफाड़कर, सुरेश नाइक और सिराज गोवेकर को गिरफ्तार किया गया था।


इसके अलावा, गोवा में हाल के महीनों में गैंग वॉर की घटनाएं भी काफी बढ़ गई हैं। पुलिस का कहना है कि वह अपराधियों को पकड़ती है लेकिन वह बाद में जमानत पर बाहर आ जाते हैं और फिर अपराध करते हैं।

 

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इसका असर क्या होगा?

NSA को नेशनल सिक्योरिटी ऐक्ट कहा जाता है। इसे 1980 में लाया गया था। इसकी धारा 3(2) के तहत, अगर कोई व्यक्ति राज्य या राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है तो कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उसे हिरासत में लिया जा सकता है।


NSA के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को 3 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। इसके बाद जरूरत पड़ने पर इसे 3-3 महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है, लेकिन किसी भी हालत में 12 महीने से ज्यादा जेल में नहीं रखा जा सकता है। इस कानून के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को 3 महीने तक बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है. जरूरत पड़ने पर इसकी अवधि 3-3 महीने के लिए बढ़ाई जा सकती है।


हिरासत में रखने के लिए संदिग्ध पर आरोप तय करने की जरूरत भी नहीं होती। हिरासत में लिया गया व्यक्ति सिर्फ एडवाइजरी बोर्ड के सामने अपील कर सकता है।