हाल ही में समाजवादी पार्टी ने अपने तीन विधायकों को पार्टी से निकाल दिया था। ये तीन विधायक वही थी जिन्होंने पिछले साल राज्यसभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी और तब से ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ नजर आ रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह और मनोज कुमार पांडेय को पार्टी से बाहर निकालते हुए कहा था कि ये तीनों लोग पीडीए विरोधी विचारधारा का साथ दे रहे हैं। अब इसी मामले पर पूछे गए सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने कहा है कि उन लोगों के SP में रहते हुए मंत्री बनने में टेक्निकल इशू आ रहा था इसीलिए निकाल दिया गया है। अखिलेश यादव ने कंज कसते हुए कहा है कि जब ये तीनों मंत्री बन जाएंगे तो बाकी के 4 लोगों को भी निकाला जाएगा।
जिन विधायकों को निकाला गया है, उनमें अमेठी जिले की गौरीगंज सीट से विधायक राकेश प्रताप सिंह, अयोध्या की गोसाईगंज सीट से विधायक अभय सिंह और रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा सीट से विधायक मनोज कुमार पांडेय शामिल हैं। हाल ही में राकेश प्रताप सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह अखिलेश यादव पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं। वहीं, मनोज कुमार पांडेय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यसभा चुनाव में जो जहां चाहे, वहां वोट कर सकता हूं। मनोज पांडेय ने यह भी कहा है कि वह बागी नहीं हैं। चर्चाएं हैं कि जल्द ही मनोज पांडेय विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर उपचुनाव लड़ सकते हैं। SP से निकाले गए तीन विधायकों में से सिर्फ मनोज पांडेय ही ऐसे हैं जो बाकायदा बीजेपी की सदस्यता ले चुके हैं।
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विधायकों को निकालने पर क्या बोले अखिलेश यादव?
3 विधायकों के निकाले जाने पर अखिलेश यादव ने कहा, 'उसमें एक टेक्निकल इशू आ रहा था कि वे मंत्री नहीं बन पा रहे थे। उनको यह कहकर टाला जा रहा था कि अभी आप समाजवादी पार्टी के हैं और अगर अभी आप मंत्री बनाए जाते हैं तो आपको अपनी संस्था छोड़नी पड़ेगी और चुनाव दोबारा होगा। आप समझिए कि मैंने उनका टेक्निकल इशू खत्म कर दिया, अब वे मंत्री बन सकते हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'अब आप पूछोगे कि तीन ही क्यों निकाले, बाकियों को क्यों नहीं निकाला? मंत्री सबको बनना था, सबको आश्वासन था। पैकेज क्या मिला, उस पर मैं चर्चा नहीं करना चाहता हूं। किसी के नाम में ही पैकेज हो तो सोचो कितना पैकेज देगा! सेठ, जो सेठ हो, उस पर कुछ भी हो सकता है। नाम में ही पैकेज है तो सोचो कितना बड़ा पैकेज किसी को मिल सकता है। जब ये 3 मंत्री बन जाएंगे तो हम बाकियों का भी टेक्निकल इशू खत्म कर देंगे। इसके लिए हमने राय बनाई कि इनको निकाला जाए ताकि ये मंत्री बन सकें।'
क्यों निकाले गए थे ये विधायक?
SP ने इन तीनों को विधायकों को निकालते हुए लिखा था, 'समाजवादी सौहार्दपूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत साम्प्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता व किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का साथ देने के कारण, समाजवादी पार्टी जनहित में निम्नांकित विधायकों को पार्टी से निष्कासित करती है। इन लोगों को हृदय परिवर्तन के लिए दी गई ‘अनुग्रह-अवधि’ की समय-सीमा अब पूर्ण हुई, शेष की समय-सीमा अच्छे व्यवहार के कारण शेष है। भविष्य में भी ‘जन-विरोधी’ लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा और पार्टी के मूल विचार की विरोधी गतिविधियां सदैव अक्षम्य मानी जाएंगी।'
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दरअसल, फरवरी 2024 में उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हुए थे। तब संख्या के हिसाब से बीजेपी 7 सीटें जीत सकती थी लेकिन उसने आठवें उम्मीदवार के रूप में संजय सेठ को उतार दिया था। संजय सेठ पहले सपा में ही हुआ करते थे लेकिन बाद में वह भी बीजेपी में शामिल हो गए थे। बीजेपी के 8वां उम्मीदवार उतारते ही चर्चा शुरू हो गई थी कि क्रॉस वोटिंग हो सकती है। चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई थी और सपा के तीसरे उम्मीदवार यानी आलोक रंजन अपना चुनाव हार गए।
तब मनोज पांडेय, अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह के अलावा 4 और विधायकों ने स्पष्ट रूप से क्रॉस वोटिंग की थी। क्रॉस वोटिंग करने वालों में कालपी से विधायक विनोद चतुर्वेदी, बिसौली से विधायक आशुतोष मौर्य, चायल से विधायक पूजा पाल और जलालाबाद से विधायक राकेश पांडेय शामिल थे। अमेठी से विधायक महाराजी देवी वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रही थीं।