उत्तर प्रदेश के लखनऊ में ईरानी नस्ल का एक सफेद कीमती घोड़ा ऐसे लापता हुआ कि बवाल मच गया। घोड़ा शिया समुदाय की धार्मिक आस्था से जुड़ा था, इसलिए लोग भावुक हो गए थे। शिया समुदाय, 'जुल्जना' घोड़े को पवित्र समझता है। यही घोड़ा 24 दिसंबर को किसी ने लखनऊ के तालकटोरा करबला से चोरी कर लिया था। 
 
चोरी हुए घोड़े की शिकायत लेकर शिया समुदाय ने पुलिस में एक तहरीर दी, जिसके बाद जांच शुरू हुई। पुलिस ने जगह-जगह सीसीटीवी फुटेज खंगाला, लोगों से रेकी कराई, तब पता चला कि घोड़ा को उन्नाव के किसी शख्स ने चुरा लिया है। पुलिस ने घोड़े को मौरावां के एक इलाके से बरामद किया है। 

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घोड़ा को संभालने वाला ही घोड़ा ले उड़ा 

ईरानी नस्ल का यह घोड़ा, मुहर्रम के जुलूसों में आगे-आगे चलता है। यह शिया समुदाय की धार्मिक आस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है। शिया समुदाय के लोग इस घोड़े की चोरी से परेशान थे। कुछ लोग घोड़े की सलामती के लिए दुआएं पढ़ रहे थे। पुलिस ने बताया कि जिस शख्स के सिर घोड़े को संभालने की जिम्मेदारी थी, उसी ने घोड़े को चुरा लिया था।

 

 

पुलिस ने कहा है कि चोरी करने वाला आरोपी सलमान उर्फ छोटू पहले घोड़े की देखभाल करता था। घोड़ा कहां रखा है, घोड़े को कैसे संभालना है, यह उसे बेहतर पता था। उसने घोड़े को चुराया और 1.5 लाख रुपये में बेच दिया। 

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कितना महंगा था घोड़ा?

ईरानी नस्ल का यह सफेद घोड़ा, बेहद महंगा बिकता है। अनुमानित कीमत 5 लाख रुपये से ज्यादा है। जुल्जना घोड़ा चोरी होने के के बाद से लोग परेशान थे। मुतवल्ली सैय्यद फैजी ने कहा, 'मैं तालकटोरा पुलिस का शुक्रगुजार हूं। अगर पुलिस ढूंढती नहीं तो यह नहीं मिलता। इसको गांव में कहीं छिपा दिया था। चोर को गिरफ्तार कर लिया गया है।' 

क्यों खास था यह घोड़ा?

लापता हुआ घोड़ा, जुल्जना था। इस घोड़े को जुलजनाह या जुल्जना भी कहते हैं। शिया समुदाय में इस घोड़े की मान्यता पैगंबर से जुड़ी है। यह ईरानी नस्ल का सफेद घोड़ा है, जिसे दुलदुल भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इमाम हुसैन के घोड़े दुलदुल का प्रतीक है, जो कर्बला में शहीद हो गया था। 

मुहर्रम के जुलूसों में इसे ताजिए के साथ आगे रखा जाता है। लोग इसे चूमते हैं, पूजते हैं। यह घोड़ा बलिदान और आस्था का प्रतीक माना जाता है। ऐसे घोड़ों की देखभाल की जाती है, लाखों में इनकी कीमत होती है।