भारतीय स्टेट बैंक द्वारा आयोजित वार्षिक व्यापार और आर्थिक सम्मेलन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंक की ब्याज दरें कई लोगों के लिए बहुत तनावपूर्ण हो रही हैं, और जिन्हें सस्ता बनाने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है।
वार्षिक व्यापार और आर्थिक सम्मेलन में बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में भारत को आर्थिक विकास की जरूरत है, और इसके लिए उद्योगों को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी। ऐसे में, उधार लेने की लागत यानी बैंक ब्याज दरों को अधिक किफायती बनाना आवश्यक है।
वित्त मंत्री ने कहा, "कई अलग-अलग क्षेत्रों से यह आवाज उठ रही है कि उधार की लागत बहुत अधिक है। जब हम चाहते हैं कि उद्योग अपनी क्षमता बढ़ाएं, तो यह जरूरी है कि बैंक ब्याज दरें सस्ती और वहनीय हों।"
मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार घरेलू और वैश्विक चुनौतियों से पूरी तरह अवगत है और किसी ‘चिंता’ की जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बैंक अपने मुख्य कार्य, यानी ऋण देने पर ध्यान केंद्रित करें।
बीमा उत्पादों की 'गलत बिक्री' पर चिंता
सीतारमण ने बैंकों को बीमा उत्पादों की 'गलत बिक्री' (misselling) के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि कई बार यह गलत बिक्री उधार लेने वालों पर अतिरिक्त बोझ डालती है और उनकी लागत को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ा देती है। उन्होंने बैंकों को अपने ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ईमानदारी से काम करने की सलाह दी।
आर्थिक मंदी की चिंता पर प्रतिक्रिया
विश्व स्तर पर संभावित मंदी और धीमी आर्थिक वृद्धि को लेकर जारी चिंताओं पर वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को किसी भी प्रकार से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। सरकार नीतिगत बदलावों और वित्तीय निर्णयों के जरिए अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।