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लोन EV के लिए, खर्च अपने शौक पर! BluSmart के मालिकों का खेल समझिए

कैब सर्विस देने वाली कंपनी ब्लू स्मार्ट के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी पर लोन के लिए पैसे का इस्तेमाल अपने शौक पूरे करने के लिए लगा है। SEBI ने इन पर ऐक्शन ले लिया है। ऐसे में समझते हैं कि यह पूरा मामला क्या है?

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अनमोल सिंह जग्गी। (Photo Credit: BlueSmart/X)

ओला-उबर की तरह की कैब सर्विस देने वाली एक कंपनी है- ब्लू स्मार्ट। यह एक स्टार्टअप है, जिसकी शुरुआत जनवरी 2019 में हुई थी। ब्लू स्मार्ट की खास बात यह है कि इसके बेड़े में सभी गाड़ियां इलेक्ट्रिक हैं। इस कंपनी को तीन लोगों- अनमोल सिंह जग्गी, पुनीत सिंह जग्गी और पुनीत गोयल ने मिलकर शुरू किया था। 


जाहिर है किसी भी स्टार्टअप को आगे बढ़ना है तो उसे पैसों की जरूरत पड़ेगी और यह पैसा आएगा लोन से। ब्लू स्मार्ट के फाउंडर में से दो- अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने भी ऐसा ही किया। इन्होंने भी लोन लिया लेकिन इससे इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने की बजाय अपने शौक पूरे किए। आरोप है कि जग्गी ब्रदर्स ने मिलकर 262 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। इसे स्टार्टअप सिस्टम का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। इसलिए सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इन पर ऐक्शन लिया है। SEBI ने जग्गी भाइयों पर शेयर मार्केट में ट्रांजेक्शन करने पर रोक लगा दी है। साथ ही यह भी रोक लगाई है कि इन दोनों को किसी भी कंपनी में मैनेजमेंट के रोल में नहीं रखा जाएगा। इन्होंने यह सारा खेल कैसे किया? समझते हैं।

इस कहानी के किरदार कौन?

इस पूरी कहानी के तीन अहम किरदार हैं। पहला- अनमोल सिंह जग्गी। दूसरा- पुनीत सिंह जग्गी। और तीसरा- जेनसोल इंजीनियरिंग। अनमोल और पुनीत जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटर हैं।

 

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इन्होंने किया क्या?

इन्होंने सरकारी एजेंसियों से लोन लिया और अपने शौक पूरे किए। SEBI ने बताया कि कोविड के दौरान जेनसोल ने ब्लू स्मार्ट के लिए 6,400 इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने का फैसला लिया। अब इसके लिए इन्होंने दो सरकारी एजेंसियों- इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (IREDA) और पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) से लोन लिया।


जग्गी भाइयों ने जेनसोल के जरिए IREDA और PFC से 977.75 करोड़ का लोन लिया। यह लोन 2021 से 2024 के बीच 11 किश्तों में लिया गया। इसमें से 829.86 करोड़ रुपये में 6,400 इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदी जानी थीं। अब इस 829.86 करोड़ रुपये में 663.89 करोड़ IREDA और PFC से मिला था। बाकी 20% पैसा जेनसोल का था।


SEBI ने बताया है कि 14 फरवरी 2025 तक जेनसोल ने 4,704 इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही खरीदीं। इस पर 567.73 करोड़ रुपये खर्च हुए। इस तरह से 262.13 करोड़ (829.86- 567.73) का कोई हिसाब-किताब नहीं है।

 

पैसों की जबरदस्त हेराफेरी!

30 सितंबर 2022 को जेनसोल को IREDA से 71.41 करोड़ रुपये का लोन मिला। इसमें 26.06 करोड़ रुपये जेनसोल ने अपनी जेब से लगाए। कुल मिलाकर 97.46 करोड़ रुपये हो गए। 


3 अक्टूबर 2022 को जेनसोल ने 93.88 करोड़ रुपये गो-ऑटो में ट्रांसफर किए। गो-ऑटो दिल्ली की एक कंपनी है, जो EV सप्लाई करती है। उसी दिन गो-ऑटो ने 50 करोड़ रुपये कैपब्रिज को ट्रांसफर किए। कैपब्रिज में जग्गी भाई पार्टनर हैं। 6 अक्टूबर को कैपब्रिज ने 42.94 करोड़ रुपये DLF को भेजे। कैपब्रिज ने DLF को यह पैसा गुरुग्राम में चल रहे 'The Camellias' प्रोजेक्ट में एक अपार्टमेंट के लिए दिए थे। इस फ्लैट को पहले अनमोल और पुनीत की मां जसविंदर कौर ने बुक किया था, जिसके लिए उन्होंने 5 करोड़ रुपये भी एडवांस में जमा कराए थे।


अब हुआ यह कि 6 अक्टूबर को DLF ने उस फ्लैट को कैपब्रिज के नाम पर ट्रांसफर कर दिया। कैपब्रिज की 99% हिस्सेदारी ललित सोलंकी के पास है। ललित पहले जेनसोल में मैनेजर थे। कैपब्रिज के नाम पर फ्लैट ट्रांसफर करने के साथ ही जसविंदर कौर को उनके 5 करोड़ रुपये लौटा दिए गए। 

 

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आगे भी चलता रहा खेल!

ब्लू स्मार्ट और जेनसोल ने जो 262 करोड़ रुपये का खेल किया है, उसमें एक खिलाड़ी वेलरे कंपनी भी है। वेलरे में 99% हिस्सेदारी ललित सोलंकी के पास है। ललित पहले जेनसोन से ही जुड़ा था। सरकारी एजेंसियों से लिए गए लोन की कुछ रकम वेलरे को भी भेजी गई थी। वेलरे ने बाद में इसमें से 39 करोड़ रुपये अनमोल और पुनीत जग्गी को भेजी। अनमोल को 25.76 करोड़ और पुनीत को 13.55 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए।


SEBI ने बताया है कि बैंक स्टेटमेंट से पता चलता है कि जेनसोल ने 462.14 करोड़ रुपये वेलरे को ट्रांसफर किए थे। इसमें से 382.84 करोड़ रुपये वेलरे ने दूसरी कंपनियों को भेज दिए।

 

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क्या हुआ इस पैसे का?

वेलरे ने करीब 40 करोड़ की जो रकम अनमोल और पुनीत को ट्रांसफर की थी, उससे उन्होंने अपने शौक पूरे किए। अनमोल ने 6.20 करोड़ मां और 2.98 करोड़ पत्नी को भेज दिए। इतना ही नहीं, 1.86 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खरीदी। 26 लाख रुपये टेलरमेड से गोल्फ सेट खरीदा। 


इसके अलावा, 17.28 लाख टाइटन और 11.75 लाख DLF को दे दिए। करीब 10 लाख रुपये का क्रेडिट कार्ड का बिल भर दिया। बाकी की रकम कुछ और कंपनियों को दे दी। 50 लाख रुपये में अश्नीर ग्रोवर की कंपनी थर्ड यूनिकॉर्न के शेयर खरीद लिए।


वहीं, पुनीत जग्गी ने 1.13 करोड़ रुपये अपनी पत्नी शल्मली कौर और 87.52 लाख मां जसमिंदर कौर को दे दिए। 66 लाख रुपये से ज्यादा की विदेशी करंसी खरीदी। 49 लाख रुपये का क्रेडिट कार्ड का बिल दिया। तीन लाख रुपये अनमोल की पत्नी मुग्धा को भी ट्रांसफर कर दिए।

SEBI ने क्या लिया ऐक्शन?

SEBI ने बताया है कि जेनसोल इंजीनियरिंग ने IREDA और PFC से लिए लोन के डिफॉल्ट को छिपाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए। 31 दिसंबर 2024 को लोन डिफॉल्ट हुआ तो कंपनी ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को इसकी गलत जानकारी दी।

 


SEBI ने कहा, 'यह फाइनेंशियल मिसमैनेजमेंट नहीं, बल्कि पब्लिक ट्रस्ट के साथ धोखा है। एक पब्लिक कंपनी को प्राइवेट कंपनी के तौर पर इस्तेमाल किया गया। प्रमोटर्स ने कंपनी को पर्सनल पिगी बैंक की तरह इस्तेमाल किया।' सारी हेराफेरी का खेल सामने आने के बाद SEBI ने अनमोल और पुनीत पर शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने पर रोक लगा दी है। 

 

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नियम क्या कहते हैं?

नियम कहते हैं कि आपने जिस चीज के लिए लोन लिया है, पैसा वहीं पर खर्च कर सकते हैं। कंपनीज एक्ट और RBI की गाइडलाइंस के मुताबिक, स्टार्टअप या बिजनेस के लिए लोन पर लिए पैसे को उसी काम में खर्च किया जा सकता है। कंपनीज एक्ट कहता है कि कोई भी व्यक्ति जिसने स्टार्टअप या बिजनेस के लिए लोन लिया है, वह उसे दूसरी कंपनी या अपने रिश्तेदारों को ट्रांसफर नहीं कर सकता।


RBI की गाइडलाइंस भी इसे लेकर साफ है। RBI की गाइडलाइंस कहती हैं कि लोन का पैसा सिर्फ उसी पर खर्च होगा, जिसके लिए यह लिया गया है। इतना ही नहीं, SEBI के नियम भी कहते हैं कि हर लिस्टेड कंपनी को अपने सारे ट्रांजेक्शन की जानकारी देनी होगी। इसे छिपाया नहीं जा सकता।


अगर कोई भी व्यक्ति लोन के पैसे को अपने शौक पूरे करने के लिए खर्च करता है तो SEBI उस पर बैन लगा सकता है। उसकी कंपनी को भी मार्केट से अनलिस्ट किया जा सकता है। ऐसे मामलों में धोखाधड़ी का केस बनता है, जिसमें 7 साल की जेल हो सकती है। कई बार मामला मनी लॉन्ड्रिंग का भी बन जाता है।

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