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आपके क्रिप्टो खरीदने-बेचने से सरकार को 437 करोड़ का टैक्स मिल गया

क्रिप्टो के लेनदेन से हुए मुनाफे से सरकार को मिलने वाला टैक्स एक साल में 63% बढ़ गया है। सरकार को 2023-24 में 437 करोड़ रुपये का टैक्स मिला था।

crypto income tax

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: Canva)

क्रिप्टो करंसी से होने वाली कमाई पर सरकार ने कितना कमाया है? इसका पता चल गया है। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया है कि एक साल में क्रिप्टो से होने वाले मुनाफे पर मिलने वाला टैक्स 63% बढ़ गया है। क्रिप्टो का कानूनी तौर पर भारत में वर्चुअल डिजिटल असेट्स (VDA) कहा जाता है। 


सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि 2022-23 में सरकार को VDA पर हुए मुनाफे से 269.09 करोड़ रुपये का टैक्स मिला था। 2023-24 में यह टैक्स कलेक्शन बढ़कर 437.43 करोड़ रुपये हो गया। उन्होंने बताया कि 2024-25 के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि ITR दाखिल करने की तारीख अभी बीती नहीं है।

 

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क्रिप्टो पर कितना टैक्स लगता है?

क्रिप्टो को रेगुलेट करने के लिए कोई कानून नहीं है। हालांकि, क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर इनकम टैक्स देना होता है। अप्रैल 2022 में सरकार ने क्रिप्टो या VDA की बिक्री से होने वाले मुनाफे पर 30% का टैक्स लागू किया था। अगर किसी ने क्रिप्टो बेचकर मुनाफा कमाया, तो उस पर 30% टैक्स देना पड़ता है। जुलाई 2022 में केंद्र सरकार ने क्रिप्टो के लेनदेन पर 1% का TDS भी लगा दिया था।

 

इतना ही नहीं, अगर क्रिप्टो की बिक्री से नुकसान हुआ है तो उसे किसी अन्य इनकम के खिलाफ सेटऑफ या आगे के लिए कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता।

 

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टैक्स चोरी रोकने के लिए क्या कर रही सरकार?

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि VDA से जुड़े लेनदेन से टैक्स चोरी का पता लगाने के लिए सरकार डेटा एनालिटिक्स टूल का इस्तेमाल कर रही है। इसमें नॉन-फाइलर मॉनिटरिंग सिस्टम (NMS), प्रोजेक्ट इनसाइट और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के इंटरनल डेटाबेस का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि VDA लेनदेन को ITR रिटर्स में बताए गए लेनदेन से जोड़ा जा सके।

 

उन्होंने बताया कि अभी VDA से जुड़े लेनदेन को रियल टाइम में ITR और वर्चुअल असेट्स सर्विस प्रोवाइडर्स (VASPs) जैसे क्रिप्टो एक्सचेंज के डेटा से मिलाकर जांच नहीं की जा रही है। हालांकि, VASPs की तरफ से जमा किए गए TDS और टैक्सपेयर की ओर से दाखिल ITR की तुलना की जाती है, ताकि कोई गड़बड़ी न हो।

 

उन्होंने बताया कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने NUDGE यानी नॉन-इंट्रूसिव यूज ऑफ डेटा टू गाइड एंड इनेबल नाम का अभियान शुरू किया है। इसका मकसद उन लोगों को चेतावनी देना है, जिन्होंने अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में VDA लेनदेन को रिपोर्ट नहीं किया, भले ही VASPs ने उनके लिए टैक्स (TDS) काट लिया हो।

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