जेट एयरवेज का अस्तित्व आज पूरी तरह से खत्म हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (7 नवंबर) को जेट एयरवेज के एसेट्स या संपत्ति को बेचने का आदेश दिया है। इसके अलावा उच्च न्यायलय ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले को भी खारिज कर दिया है जिसमें जेट एयरवेज का मालिकाना हक जालान-कलरॉक कंसोर्टियम को देने का फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में तीन जजों की पीठ ने इस पर फैसला सुनाया।
इन शर्तों में विफल रहा जेकेसी
दरअसल, जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) महत्वपूर्ण शर्तों को पूरा करने में विफल रहा। एक लंबे कानूनी विवाद के बाद इस मामले में फैसला सुनाया गया है। बता दें कि वित्तीय संकट के कारण जेट एयरवेज 2019 से ही बंद है। कोर्ट ने पाया कि जेकेसी ने आवश्यक वित्तीय दायित्वों को पूरा नहीं किया, जिसमें एयरलाइन में 350 करोड़ रुपये डालना और कर्मचारियों के बकाया वेतन के रूप में 226 करोड़ रुपये का भुगतान करना शामिल था। यह धनराशि जेट एयरवेज की रिकवरी के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी।
जस्टिस पारदीवाला ने की NCLAT के फैसले की आलोचना
जस्टिस पारदीवाला ने दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के सख्त पालन और अपीलीय निर्णयों में स्पष्ट मानकों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, 'इस मुकदमे ने सभी की आंख खोल दी और हमें आईबीसी और एनसीएलएटी के कामकाज के बारे में कई सबक सिखाया हैं।' सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के फैसले की भी आलोचना की। दरअसल, NCLAT ने जेट एयरवेज की रिजॉल्यूशन आवेदक जालान-कालरॉक कंसोर्शियम से 350 करोड़ रुपये की इनफ्यूजन रिक्वायारमेंट में 150 करोड़ रुपये की परफोर्मेंस बैंक गारंटी के एडजस्टमेंट की अनुमति दी थी।
पांच साल के कानूनी पचड़े के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल मुंबई को लिक्विडेटर की नियुक्ति के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने लेंडर्स को 150 करोड़ रुपये की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी इनकैश करने की भी इजाजत दी है।