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लाल रंग के पीछे है खास वजह, एक मार्केटिंग स्ट्रैटजी ने सेंटा को कैसे बदल डाला?

सेंटा क्लॉज की छवि लाल रंग के कपड़े पहने एक बूढ़े की है। क्या आप जानते है कि सेंटा हमेशा से लाल रंगे के कपड़ो में नहीं दिखते थे?

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प्रतीकात्मक तस्वीर, AI Generated Image

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दुनिया भर में क्रिसमस का उत्साह छाया हुआ है। ऑफिस, दुकानें, मॉल और कैफे क्रिसमस ट्री, लाल टोपियों और सेंटा क्लॉज से सजे नजर आते हैं। न्यू ईयर तक यह नजारा हर जगह दिखाई देता है। क्रिसमस का नाम आते ही लाल सूट पहने वह व्यक्ति याद आता है, जो सबको तोहफे देकर खुश करता है। सेंटा क्लॉज की शुरुआत भले ही कहानियों से हुई हो लेकिन आज यह मार्केटिंग का अहम हिस्सा बन चुका है। दुनियाभर के बड़े ब्रांड ग्राहकों से जुड़ने और बिक्री बढ़ाने के लिए सेंटा की मुस्कुराती छवि का इस्तेमाल करते हैं। क्या आप जानते हैं कि सेंटा को एक आइकॉनिक मार्केटिंग चेहरा बनाने के पीछे किसी एक कंपनी का योगदान है। लाल सूट में दिखने वाला सेंटा क्लॉज कोका-कोला की मार्केटिंग रणनीति से जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं कैसे

 

यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि सेंटा क्लॉज का आविष्कार किसने किया। यह एक ऐसा किरदार है, जो अलग-अलग कहानियों से विकसित हुआ है। माना जाता है कि चौथी सदी के ईसाई संत और मायरा के बिशप सेंट निकोलस इस किरदार की प्रेरणा रहे हैं। शुरुआत में सेंटा क्लॉज की छवि गढ़ने का श्रेय जर्मन-अमेरिकी कार्टूनिस्ट थॉमस नास्ट को दिया जाता है।

 

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कोका-कोला की स्ट्रेटजी

लाल सूट में सेंटा क्लॉज की आइकॉनिक छवि कोका-कोला की मार्केटिंग रणनीति से गहराई से जुड़ी हुई है। यह पहचान कई दशकों तक चले मार्केटिंग कैंपेन की एक लंबी सीरीज के जरिए बनी। इस मशहूर साझेदारी की शुरुआत 1930 के दशक में हुई, जब कोका-कोला ने सेंटा की एक तयशुदा छवि को अपने ब्रांड से जोड़ने का फैसला किया। इसका मकसद सिर्फ प्रोडक्ट बेचना नहीं था, बल्कि ऐसी कहानी गढ़ना था जिससे कस्टमर्स पर्सनल लेवल पर जुड़ सकें।

 

कोका-कोला के कैंपेन से पहले सेंटा को अलग-अलग रूपों और रंगों में दिखाया जाता था जैसे कभी हरे, कभी नीले तो कभी बैंगनी कपड़ों में। 1931 में कोका-कोला ने अपने विज्ञापनों के लिए कार्टूनिस्ट हैडन संडब्लोम को सेंटा की छवियां बनाने की जिम्मेदारी दी। उन्होंने सेंटा को एक खुशमिजाज, गोल-मटोल किरदार के रूप में पेश किया, जिसने सफेद फर वाला लाल सूट पहना हुआ था। यह छवि लोगों को खूब पसंद आई और आगे चलकर सेंटा की पहचान को आकार देने में इसकी अहम भूमिका रही।

 

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कंपनी का विजन

कोका-कोला ने अपनी ब्रांडिंग के लिए सेंटा क्लॉज की छवि को अपनाया। कंपनी ने विज्ञापनों में इसका इस्तेमाल इस तरह किया कि लोग परिवार के साथ समय बिताने और छुट्टियों का आनंद लेने के लिए प्रेरित हों। जैसा कंपनी ने सोचा था, वैसा ही हुआ। लोगों ने इस किरदार से खुद को जोड़ा और उनके साथ वही भावनात्मक रिश्ता बना, जिसकी कंपनी को उम्मीद थी। धीरे-धीरे कोका-कोला हर घर में एक जाना-पहचाना नाम बन गया। यह अभियान सिर्फ विज्ञापनों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पॉपुलर कल्चर का हिस्सा बन गया।

 

यह साझेदारी बेहद सफल साबित हुई। साल-दर-साल कोका-कोला का सेंटा क्लॉज छुट्टियों के मौसम में एक पहचाना हुआ चेहरा बनता गया और ग्राहकों के साथ उसका जुड़ाव और मजबूत होता गया। समय के साथ कंपनी ने सेंटा क्लॉज की छवि को समझदारी से बदला ताकि वह नई पीढ़ी के लिए भी प्रासंगिक बनी रहे।


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