डॉलर के दम पर दुनिया में धाक जमाने वाले अमेरिका में 'चिल्लर' की किल्लत हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद सरकार ने पैसों की छपाई बंद करवा दी थी। इसका असर अब देशभर में दिखने लगा है। अब दुकानदारों के पास खुल्ले पैसे खत्म हो गए हैं। आलम यह हो गया है कि दुकानदार छुट्टे पैसे देने पर कस्टमर को ऑफर दे रहे हैं।
'शीट्ज' नाम का स्टोर पैसों के लिए इतना बेताब हो गया कि वह कुछ समय के लिए खास ऑफर लेकर आया है।     इसके तहत, अगर कोई ग्राहक छुट्टे 100 पेनी लेकर आता है तो उसे फ्री में सोडा मिलता है। एक दुकानदार का कहना है कि सिक्कों की कमी के कारण इस उसे लाखों का नुकसान होगा।
अमेरिका में 'पेनी' और 'निकल' के नाम से चिल्लर आती है। 1 पेनी का मतलब हुआ 0.01 डॉलर और 1 निकल का मतलब हुआ 0.05 डॉलर।
बताया जा रहा है कि खुल्ले पैसों की यह समस्या गर्मियों में शुरू हुई थी। सर्दियां बढ़ने के साथ खरीदारी भी बढ़ने लगी है और यह समस्या और गंभीर होती जा रही है। भारत में जिन्हें चिल्लर कहा जाता है, उन्हें अमेरिका में 'पेनी' कहते हैं। यह सिर्फ छुट्टे पैसे देने के काम आती हैं। दुकानदारों का कहना है कि यह फैसला अचानक ले लिया गया और कोई गाइडलाइंस भी नहीं आई। इससे दुकानों को ग्राहकों से छुट्टे पैसे देने की मांग कर रहे हैं।
 
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क्यों लिया गया यह फैसला?
अमेरिका में लंबे समय से पेनी बंद करने की मांग हो रही थी। क्योंकि यह काफी भारी होती हैं और इनकी छपाई का खर्चा बहुत है। नेशनल एसोसिएशन ऑफ कन्वीनियंस स्टोर्स के जेफ लेनार्ड ने कहा, 'हम 30 साल से पेनी को खत्म करने की वकालत कर रहे हैं लेकिन हम इसे इस तरह नहीं चाहते थे।'
ट्रंप ने इस साल 9 फरवरी को ज्यादा लागत का हवाला देते हुए एलान किया था कि अमेरिका में अब चिल्लर नहीं बनेंगी। ट्रंप ने कहा था, 'आइए अपने महान राष्ट्र के बजट से सारी बर्बादी निकाल दें, चाहे वह एक-एक पैसा ही क्यों न हो।'
 
ट्रेजरी विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में एक पेनी बनाने में 3.7 सेंट जबकि एक निकल के लिए 13.8 सेंटर का खर्च आया था।
 
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मई के बाद से नहीं बनीं चिल्लर
ट्रेजरी विभाग ने मई में आखिरी बार कॉपर-जिंक की प्लैंचेट का आखिरी ऑर्डर दिया था, जिनसे ये सिक्के ढाले जाते हैं। जून में आखिरी बार इन पैसों को ढाला गया था और अगस्त तक यह पूरे देशभर में बंट चुके थे।
लुइसियाना स्थित गारंटी बैंक एंड ट्रस्ट कंपनी के अध्यक्ष ट्रॉय रिचर्ड्स ने कहा कि उन्हें अगस्त से अपने ग्राहकों के लिए खुल्ले पैसे जुटाने में परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि बैंक के पास 1800 डॉलर की चिल्लर थी जो दो हफ्तों में ही खत्म हो गई।
अमेरिका ने 2024 में लगभग 3.23 अरब चिल्लर जारी की थी। अब दिक्कत यह होती है कि ज्यादातर जनता इन्हें जमा करके रख लेती है। सरकार को उम्मीद है कि चिल्लर न बनाने से 5.6 करोड़ डॉलर की बचत होगी। हालांकि, इससे रोजमर्रा के लेनदेन में दिक्कतें आने लगी हैं।