CBSE या ICSE किसमें करवाएं बच्चे का एडमिशन? 5 प्वाइंट में फर्क समझ लीजिए
CBSE या ICSE स्कूल एडमिशन के समय यह सवाल हर एक पैरेंट्स के मन में आता है। ये दोनों भारत में लोकप्रिय हैं लेकिन दोनों में काफी अंतर है।

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: CBSE
सोशल मीडिया पर इस तरह की कई रील्स वायरल होती हैं, जिनमें अलग-अलग एजुकेशन बोर्ड के बच्चों के बीच मजाकिया अंदाज में अंतर बताया जाता है। इन रील्स पर पैरेंट्स के कमेंट्स भी आ रहे हैं, जिन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे अपने बच्चों की एडमिशन किस बोर्ड में करवाएं। बच्चों की एडमिशन से पहले इन बोर्ड्स में अंतर समझ लेना बहुत जरूरी है। भारत में 70 से ज्यादा स्कूल एजुकेशन बोर्ड हैं। इनमें सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ही ऐसा बोर्ड है, जिसमें ज्यादातर बच्चे पढ़ते हैं। इसके अलावा इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (ICSE), काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) और अलग-अलग राज्यों के स्टेट बोर्ड के जरिए भी बच्चे स्कूल एजुकेशन पूरी करते हैं। इन बोर्ड्स में से किस बोर्ड में एडमिशन लेना सही रहेगा और इनमें अंतर क्या है यह प्रश्न एडमिशन से पहले हर किसी के मन में आता है। तीनों बोर्ड के सिलेब्स से लेकर स्टडी फॉर्मेट तक में काफी अंतर होता है।
सीबीएसई बोर्ड केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन काम करता है। देशभर में 27,000 से ज्यादा स्कूल इस बोर्ड के साथ जुड़े हुए हैं। इसके साथ ही विदेश में भी 28 देशों में सीबीएसई के 240 स्कूल हैं। इस बोर्ड के साथ सरकारी और प्राइवेट दोनों प्रकार के स्कूल एफिलिएटेड हैं। इस बोर्ड का मेन फोकस बच्चे की पर्सनालिटी और इंटलेक्ट पर काम करना होता है। इस बोर्ड का सिलेबस NCERT बनाती है और इसका मैनेजमेंट देखने की जिम्मेदारी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की होती है। यह बोर्ड स्कूली शिक्षा के अलावा भर्ती की परीक्षाएं भी करवाता है।
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CISCE और ICSE बोर्ड
CISCE की फुल फॉर्म काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन है। यह एक मान्यता प्राप्त प्राइवेट एजुकेशन बोर्ड है। ICSE इसी बोर्ड के साथ एफिलिएटेड है। इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन यानी ICSE इसी बोर्ड के जरिए 10वीं की परीक्षाएं आयोजित करवाता है। वहीं, 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट (ISC) करवाता है। यह एक प्राइवेट बोर्ड है और इसका मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित है। इन शॉर्ट हम कह सकते हैं कि CISCE वह काउंसिल है जो परीक्षाएं आयोजित करवाती है। ICSE बोर्ड की 10वीं की परीक्षाएं यही काउंसिल आयोजित करती है इसलिए जब हम ICSE बोर्ड कहते हैं तो इसका मतलब उस परीक्षा से है जिसका अयोजन CISCE करवाता है।
स्टेट बोर्ड
भारत की हर राज्य या फिर केंद्र शासित प्रदेश की सरकार अपने राज्य में एजुकेशन के लिए अलग बोर्ड चलाती है। यह बोर्ड CBSE की तर्ज पर ही काम करते हैं लेकिन यह सिर्फ एक राज्य की सीमा के भीतर काम करते हैं। इसमें राज्य के सरकारी और प्राइवेट स्कूल एफिलिएट होते हैं। यह बोर्ड राज्य के स्तर पर स्कूलों का सिलेबस, परीक्षाओं से जुड़ी नीतियां और सिलेबस निर्धारित करती हैं। इन बोर्डों का काम है कि यह अपने राज्य के हिसाब से उसकी जरूरतों और अन्य पहलुओं को देखते हुए सिलेबस तैयार करें।
CBSE और ICSE बोर्ड में पांच प्वाइंट्स में समझें अंतर
CBSE और ICSE बोर्ड को लेकर बहुत ज्यादा कंफ्यूजन रहता है। पैरेंट्स के मन में बच्चों की एडमिशन के समय यह सवाल जरूर आता है कि कौन सा बोर्ड बेहतर है। CBSE साइंस और मैथ्य पर ज्यादा फोकस करता है और ICSE बोर्ड लैंग्वेज, आर्ट्स और साइंस पर बराबर फोकस करता है। ICSE बोर्ड का सिलेब्स ज्यादा होता है और इसमें CBSE की तुलना में ज्यादा चीजें जोड़ी गई हैं। CBSE के सिलेबस को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बढ़िया माना जाता है।
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- किस बोर्ड में हैं ज्यादा छात्र - दोनों बोर्ड में सबसे ज्यादा अंतर छात्रों की संख्या में है। CBSE बोर्ड के साथ देश और विदेश में 27,000 से ज्यादा स्कूल एफिलिएटेड हैं। वहीं, ICSE बोर्ड के साथ इसकसे कहीं ज्यादा कम सिर्फ 2700 स्कूल एफिलिएटेड हैं। CBSE के साथ सभी केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय और कई प्राइवेट और सरकारी स्कूल भी एफिलिएटेड हैं। इन दोनों बोर्ड में एक बड़ा अंतर यह भी है कि CBSE एक सरकारी बोर्ड है और ICSE एक प्राइवेट बोर्ड है। ICSE बोर्ड का ज्यादा फोकस इंग्लिश पर रहता है। इसलिए आपने कभी ना कभी सोशल मीडिया पर CBSE VS ICSE इंग्लिश की वीडियो देखी होगी। इन दोनों में छात्रों के अंतर को इस तरह से भी समझा जा सकता है कि CBSE में एडमिशन लेने के बाद भारत की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में एडमिशन के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं दी जा सकती हैं। वहीं, ICSE में विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए बच्चों को तैयारी करना आसान हो जाता है।
- सिलेबस में फर्क- दोनों बोर्ड के सिलेबस में भी अंतर है। आमतौर पर ICSE के सिलेबस को ज्यादा मुश्किल माना जाता है। CBSE बोर्ड के सिलेबस में मैथ्स और साइंस पर ज्यादा जोर रहता है तो ICSE के सिलेबस में लैंग्वेज, इंग्लिश, एनालिटिकल और क्रिएटिव स्किल्स पर ज्यादा फोकस रहता है। ICSE का सिलेबस इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। वहीं, CBSE को सिलेबस भारत में होने वाली NEET, JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर बनाया जाता है।
- लैंग्वेज में अंतर- CBSE और ICSE बोर्ड में एक बड़ा अंतर लैंग्वेज में भी होता है। ICSE का सिलेबस CBSE से ज्यादा डिटेल्ड होता है। इसमें इंग्लिश लैंग्वेज पर शुरुआत से ही ज्यादा फोकस किया जाता है और बच्चों को लैंग्वेज ट्रेनिंग दी जाती है। ICSE बोर्ड में मोड ऑफ एजुकेशन सिर्फ इंग्लिश ही रहता है, जबकि CBSE में इंग्लिश और हिंदी दोनों मोड में पढ़ाई की जा सकती है। इसके अलावा ICSE बोर्ड से एफिलिएटेड स्कूलों में मोड ऑफ कम्युनिकेशन भी इंग्लिश ही है यानी किसी स्थानीय भाषा या हिंदी भाषा में बातचीत नहीं की जाती है। यही कारण है कि ICSE की इंग्लिश अन्य बोर्डों की तुलना में ज्यादा कठिन बताई जाती है।
- कॉलेज एडमिशन के लिए बेहतर विकल्प- स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद ज्यादातर बच्चे हायर एजुकेशन के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं देते हैं। भारत में JEE, NEET, NDA जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं होती हैं। इनकी तैयारी के लिए CBSE बोर्ड को ज्यादा बढ़िया माना जाता है। ICSE को सिलेबस प्रतियोगी परीक्षाओं के हिसाब से डिजाइन नहीं किया गया है। किसी भी यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए अगर आप एंट्रेस टेस्ट देते हैं तो उसमें NCERT का सिलेबस ही दिया जाता है यानी CBSE बोर्ड में पढ़ाया जाने वाला सिलेबस।
- फीस में अंतर- दोनों बोर्ड में जब एडमिशन लेने की बात आती है तो पैरेंट्स के लिए एक बड़ा फैक्टर फीस भी होता है। ICSE बोर्ड से एफिलिएटेड सभी स्कूल प्राइवेट स्कूल होते हैं और इनकी फीस भी अन्य बोर्डों के स्कूलों की तुलना में ज्यादा होती है। वहीं, CBSE बोर्ड में सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूल होते हैं। इसलिए आमतौर पर CBSE स्कूल की फीस कम होती है। हालांकि, स्कूल की फीस में कई अन्य फैक्टर भी काम करते हैं तो एडमिशन से पहले ही इन सभी बातों के बारे में पता कर लें।
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इन शॉर्ट समझिए कौन सा बोर्ड बेहतर
अगर आपके बच्चे को साइंस और मैथ्य में ज्यादा दिलचस्पी है तो आप CBSE बोर्ड में एडमिशन करवा सकते हैं। इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी CBSE ही बेहतर विकल्प है। अगर आप कोई ऐसी नौकरी करते हैं जिसमें आपको समय-समय पर अलग-अलग शहरों या राज्यों में जाना पड़े तो आप CBSE के स्कूल में ही बच्चे की एडमिशन करवाएं।
CBSE के स्कूलों की संख्या ज्यादा होने के कारण आपको आसानी से कहीं भी CBSE स्कूल मिल जाएगा, जिससे ट्रांसफर के बाद किसी अन्य शहर में आप अपने बच्चे की एडमिशन ट्रांसफर करवा सकते हैं।
अगर आप ICSE बोर्ड में एडमिशन के लिए सोच रहे हैं तो आपके बच्चे का इंग्लिश बैकग्राउंड मजबूत होना चाहिए। ICSE बोर्ड में इंग्लिश मीडियम में ही पढ़ाई और बातचीत होती है। ऐसे में पैरेंट्स के लिए भी यह जरूरी हो जाता है कि वह बच्चे को घर पर इंग्लिश लैंग्वेज की ट्रेनिंग दें। इससे बच्चे को स्कूल में आसानी होगी। इसके अलावा बच्चे का आर्ट में मन लगता है तो ICSE बेहतर विकल्प हो सकता है। अगर आप अपने बच्चे को भविष्य में पढ़ाई के लिए विदेश भेजना चाहते हैं तो भी आप इस बोर्ड को चुन सकते हैं। इसके अलावा अगर बच्चे का इंटरेस्ट किसी क्रिएटिव फील्ड में है तो भी आप उसका एडमिशन ICSE में करवा सकते हैं। हालांकि, पैरेंट्स को बच्चे की एडमिशन से पहले खर्च और अन्य चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। वहीं, अगर आप फैसला नहीं ले पा रहे हैं तो किसी एजुकेशन काउंसलर की मदद भी ले सकते हैं।
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