अगले साल से होने वाले एंट्रेंस एग्जाम में अब जांच और सख्ती से की जाएगी। इसके लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने तैयारी कर ली है। जनवरी 2026 में जेईई (मेंस) का एग्जाम होना है। एग्जाम देने आने वाले उम्मीदवारों की पहचान के लिए फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके साथ ही एप्लीकेशन स्टेज पर ही उम्मीदवारों की लाइव फोटोग्राफी भी होगी।
जेईई और नीट जैसे एग्जाम पहले अलग-अलग एजेंसियां करवाती थीं। लेकिन 2017 से NTA ही इन सभी एग्जाम को करवा रही है। ऐसी परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकने के लिए अब तकनीक की मदद ली जा रही है।
पिछले साल नीट एग्जाम में कई तरह की गड़बड़ियों के मामले सामने आए थे, जिसके बाद एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में फेस रिकग्निशन जैसे उपाय लागू करने की सिफारिश की थी। इसके बाद ही अब NTA ने एंट्रेंस एग्जाम में जांच को लेकर सख्ती बढ़ा दी है।
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इन उपायों से क्या होगा?
अधिकारियों ने बताया कि जेईई और नीट समेत कई एंट्रेंस एग्जाम देने वाले उम्मीदवारों का अब रियल टाइम वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसका मकसद परीक्षाओं में होने वाली नकल और गड़बड़ियों को रोकना है।
उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी ने कहा, 'परीक्षा के दौरान फेशियल रिकग्निशन सिस्टम और एप्लीकेशन फाइल करते समय लाइव फोटोग्राफी ली जाएगी।'
उन्होंने आगे कहा कि इन उपायों को जनवरी से ही लागू किया जाएगा। इसकी शुरुआत जेईई (मेंस) से होगी। जेईई (मेंस) की परीक्षा 21 से 30 जनवरी के बीच होगी।
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उम्मीदवारों को क्या करना होगा?
अब जेईई और नीट जैसी परीक्षा देने वाली उम्मीदवारों को एप्लीकेशन फाइल करते समय ही अपनी लाइव फोटो भी अपलोड करनी होगी।
इसके अलावा, एग्जाम सेंटर पर उम्मीदवारों की पहचान फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी से की जाएगी। इस तकनीक में किसी व्यक्ति की पहचान उसकी आंखों के बीच की दूरी या नाक के आकार जैसी खास विशेषताओं का एनालिसिस किया जाता है।
यह तकनीक व्यक्ति का एक डिजिटल टेम्प्लेट बना देती है। फिर इस टेम्प्लेट की तुलना स्टोर्ड डेटा से की जाती है। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग किया जाता है। इससे पहचाना जा सकता है कि जो उम्मीदवार परीक्षा देने आया है, वह असली है या डमी।