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हिमाचल को मिला पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा, किन पैमानों से तय होता है?

हिमाचल को पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा प्राप्त हो गया है। इससे पहले मिजोरम , लक्षद्वी और त्रिपुरा को पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा मिला है। जानिए कैसे मिलता है यह दर्जा।

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, Photo Credit: @SukhuSukhvinder

देश के पहाड़ी राज्य हिमाचल को पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा मिल गया है। राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस बात की जानकारी अपने एक्स अकाउंट पर शेयर की। पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा प्राप्त करने वाला हिमाचल तीसरा राज्य है और इसी के साथ उसकी एंट्री उस एलीट कल्ब में हो गई है जिसमें त्रिपुरा, मिजोरम और गोवा के साथ-साथ एक केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख भी शामिल है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि राज्य की साक्षरता दर 99.3 प्रतिशत तक पहुंच गई है। 

 

सुखविंदर सिंह सुक्खू  ने लिखा, 'जो निरक्षर थे, उन्होंने हमें साक्षर बनाया। मेरी माता 5वीं तक पढ़ी थी व पिता 7वीं पास थे। उन्होंने हमें पढ़ाया। उन्होंने मुझे पढ़ाया तब मैं सीएम बना। बेटियों ने प्रदेश को साक्षर बनाया है। पूर्ण साक्षर राज्य बनने पर बधाई।' हिमाचल के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि जितने भी पूर्ण साक्षर राज्य हैं उनमें हिमाचल की साक्षरता दर सबसे ज्यादा है। 

 

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किस राज्य में कितनी साक्षरता?

  • हिमाचल- 99.30 प्रतिशत
  • मिजोरम - 98.2 प्रतिशत
  • लक्षद्वीप - 97.3 प्रतिशत
  • त्रिपुरा  - 95.6 प्रतिशत 

क्या हैं पूर्ण साक्षर राज्य के पैमाने?

राज्य साक्षर है या नहीं यह अंडरस्टैंडिंग ऑफ लाइफ लर्निंग फॉर ऑल सोसाइटी यानी उल्लास प्रोग्राम के जरिए तय होता है। यह प्रोग्राम केंद्र सरकार चलाती है और इसकी शुरुआत राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत की गई है। इस योजना के तहत 15 साल से ऊपर के उन लोगों को साक्षर करना है जिनकी औपचारिक शिक्षा नहीं हुई है। इस योजना का उद्देश्य केवल साक्षरता प्रदान करना नहीं है बल्कि यह आजीवन शिक्षा, महत्वपूर्ण जीवन-कौशल और सामाजिक उत्तरदायित्व को भी बढ़ावा देती है। इस योजना के मुख्य घटक आधारभूत शिक्षा और नंबरों की नॉलेज, , महत्वपूर्ण जीवन कौशल, बुनियादी शिक्षा, व्यावसायिक कौशल और सतत शिक्षा शामिल है। इस योजना के तहत 20 मई 2025 को मिजोरम को पूर्ण साक्षर राज्य घोषित कर दिया है।

पूर्ण साक्षर राज्य तक का सफर

आजादी के बाद साल 1948 में हिमाचल में 61 प्राथमिक स्कूल, 52 माध्यमिक विद्यालय और 9  हाई स्कूल थे। राज्य की सरकारों ने स्कूलों की संख्या बढ़ाने पर लगातार काम किया। मौजूदा समय में प्रदेश में प्राइवेट और सरकारी 17,330 शिक्षण संस्थान हैं। इनमें 9,742 प्राथमिक, 1732 माध्यमिक, 962 उच्च, 1988 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं।

 

पूर्ण साक्षर राज्य बनने के पीछे सरकारों का केंद्र सरकार की योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करना भी रहा। साक्षरता दर बढ़ाने के लिए पहली से आठवीं कक्षा तक सबसे ज्यादा ध्यान दिया। हिमाचल में उच्च शिक्षा निदेशालय का अलग से गठन किया गया। शिक्षा का अधिकार अधिनियम को हिमाचल में प्राथमिकता से लागू किया गया।

 

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हिमाचल प्रदेश में साल 2017 में 67,500 निरक्षर लोग साक्षर हुए। पढ़ना लिखना अभियान के तहत 2022 तक 1,00,000 निरक्षर साक्षर हुए। उल्लास योजना के तहत 2022-23 और 2023-24 में 95,252 लोगों को चिह्नित किया गया। इनमें से 43885 निरक्षर साक्षर हुए हैं और अन्य निरक्षरों के लिए भी प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। 

केरल बना पहला डिजिटल साक्षर राज्य

केरल भारत का पहला डिजिटल साक्षर राज्य बन गया है। इस उपलब्धि के लिए डिजी केरलम पहल को श्रेय दिया जा रहा है। इस अभियान के तहत 21 लाख से ज्यादा डिजिटल रूप से निरक्षर नागरिकों को सफलतापूर्वक ट्रेनिंग दी गई। इनमें 90 साल से ज्यादा उम्र के 15,000 से ज्यादा बुजुर्ग भी शामिल थे। डिजिटल साक्षरता के मामले में केरल भारत के अन्य राज्यों से बहुत आगे है। डिजिटल साक्षरता के मामले में राष्ट्रीय साक्षरता की औसत 38 प्रतिशत है।

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