देश के नागरिकों को स्वस्थ रखने, बीमार पड़ने पर उनका इलाज करने या फिर प्राकृतिक आपदाओं के समय में इमरजेंसी मदद पहुंचाने में सबसे अहम भूमिका डॉक्टरों की होती है। भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था काफी हद तक सरकारी अस्पतालों के भरोसे रहती है। सरकार अपनी ओर से अस्पताल खोलती है, उनमें सुविधाएं देती है और डॉक्टरों की नियुक्ति भी करती है। इन डॉक्टरों का काम मरीजों का इलाज करने के साथ-साथ रिसर्च का भी होता है, ताकि वे संभावित नई बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक कर सकें। साथ ही, उन दवाओं को विकसित करने की दिशा में भी योगदान कर सकें जो आम लोगों के लिए फायदेमंद हों।
भारत में डॉक्टर बनने के लिए न्यूनतम योग्यता BAMS, BHMS और MBBS जैसी डिग्रियां हैं। ये डिग्रियां हासिल करने के साथ ही डॉक्टर विषय विशेषज्ञता भी हासिल करते हैं। जैसे कि कुछ डॉक्टर जनरल फिजीशियन होते हैं, कोई दांत का डॉक्टर होता है, कोई हड्डियों का डॉक्टर होता है तो कोई अन्य अंगों का विशेषज्ञ होता है। 12वीं के बाद MBBS या अन्य डिग्रियां हासिल करने के बाद एक साल की इंटर्नशिप करनी होती है।
कैसे बनें डॉक्टर?
डिग्री हासिल कर लेने के बाद भारत में डॉक्टरों को सर्टिफाइड होना जरूरी है। यह सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पास अपना इंटर्नशिप सर्टिफिकेट पेश करना होता है। स्टेट मेडिकल बोर्ड से भी आप यह सर्टिफिकेट हासिल कर सकते हैं। इसमें ध्यान रखना जरूरी है कि आपने जहां से मेडिकल की डिग्री ली हो, वह मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से सर्टिफिाइड हो।
सर्टिफिकेट मिलने के बाद आप अपनी प्रैक्टिस शुरू कर सकते हैं यानी आप मरीजों का इलाज कर सकते हैं। अब अगर आपको सरकारी डॉक्टर बनना है तो केंद्रीय स्तर पर इसके लिए UPSC की ओर से कम्बाइंड मेडिकल सर्विसेज एग्जामिनेशन (CMSE) पास करनी होगी। इस परीक्षा को देने के लिए न्यूनतम योग्यता MBBS है। इस परीक्षा के अलावा अलग-अलग राज्य अपनी प्रक्रियाओं के मुताबिक, सरकारी डॉक्टरों की भर्ती करते हैं। राज्यों की ओर से वैकेंसी निकलने पर आप तय प्रक्रिया को पूरी करके ही सरकारी डॉक्टर बन सकते हैं।