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भारत में कैसे बनते हैं जज? पढ़ाई से एलिजिबिलिटी, एग्जाम तक सब जानिए

भारत में जज बनना लाखों युवाओं का सपना होता है। जज बनने के कई तरीके हैं जिनमें ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम से लेकर वकील के रूप में काम करने तक कई तरीके शामिल हैं।

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जज, Photo Credit: PTI

फिल्मों में अदालतों में जज के सामने बहस करते कई सीन्स आपने देखे होंगे लेकिन क्या कभी सोचा है कि जज बनने के लिए क्या करना होता है? जज कौन बन सकता है और इसके लिए कौन सी परीक्षा पास करनी होगी? ऐसे सवाल हर उस युवा के मन में होंगे जो जज बनने की इच्छा रखता है। भारत में लाखों युवा जज बनने का सपना रखते हैं और इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं। भारत में जज बनने का सफर आसान नहीं है होता है। जज बनने के लिए हर साल लाखों स्टूडेंट्स लॉ की पढ़ाई करते हैं।

 

सिविल कोर्ट के जज से सुप्रीम कोर्ट के जजों तक कई जज काम करते हैं। जजों की नियुक्ति के दो तरीके हैं। एक तो आप राज्य स्तर पर होने वाली ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा जज बनने का दूसरा तरीका है कि आप पहले वकील बनें और उसके बाद जज बन सकते हैं। जज बनने के लिए आप 12वीं या ग्रेजुएशन करने के बाद लॉ की पढ़ाई शुरू करनी होती है।

 

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12वीं के बाद क्या करें?

अगर आप जज बनना चाहते हैं तो आपको 12वीं के बाद लॉ की पढ़ाई करनी होगी। 12वीं के बाद लॉ में ग्रेजुएशन करने के लिए आपके पास 2 विकल्प होते हैं। एक तो आप 12वीं के बाद किसी भी संस्थान में  पांच साल के LLB कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। इसमें आप BA LLB, BCom LLB जैसे कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा आप 12वीं के बाद किसी भी विषय में ग्रेजुएशन करने के बाद 3 साल की  LLB कर सकते हैं। दोनों ही तरह से प्राप्त की गई डिग्री से आप जज बनने के लिए अप्लाई कर सकते हैं। 

 LLB के बाद क्या करें?

अगर आपने बार काउंसिल से मान्यता प्राप्त संस्थान से  LLB की डिग्री हासिल कर ली है तो आप राज्य स्तर पर होने वाले ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम में शामिल हो सकते हैं। सभी राज्यों के स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन की ओर से ज्यूडिशियल सर्विस परीक्षा का आयोजन किया जाता है। अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तरह इसमें भी प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू होता है। इन सभी चरणों को पार करने के बाद मेरिट लिस्ट बनाई जाती है और जिन उम्मीदवारों का नाम अंतिम मेरिट लिस्ट में दर्ज होगा उनको इसके बाद जज बनने के लिए ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी। ट्रेनिंग प्राप्त करने के लिए सफल उम्मीदवारों को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्त किया जाता है।

वकील के बाद कैसे बनें जज?

जजों की नियुक्तियां अलग-अलग लेवल पर होती हैं। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट के पदों पर ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम के जरिए नियुक्ति की जाती है लेकिन जिला जज, एडिशनल डिस्ट्रिक जज, हाई कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के लिए वकील के रूप में प्रैक्टिस का अनुभव होना बहुत जरूरी है। जिला जज बनने के लिए वकील के रूप में कम से कम 7 साल का अनुभव होना जरूरी है। यह अनुभव किसी हाई कोर्ट या सबऑर्डिनेट कोर्ट में वकालत का होना चाहिए। इसके बाद हायर ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम देना होता है। 

 

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हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में कैसे बनें जज?

हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम के जरिए होती है। इसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के सीनियर जजों की सिफारिश शामिल होती है। हाई कोर्ट का जज बनने के लिए न्यूनतम 10 साल का लगातार वकालत का अनुभव जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट जज बनने के लिए उम्मीदवार को हाई कोर्ट में जज के रूप में 5 साल का अनुभव या हाई कोर्ट में 10 साल तक लगातार वकालत का अनुभव होना चाहिए।

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