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B. Tech को बीच में छोड़ा तो मिलेगी B. Sc. की डिग्री, IIT मद्रास का प्लान समझिए

IIT मद्रास ने अपने छात्रों को BTech डिग्री को तीन साल में छोड़ने पर BSc डिग्री लेने का ऑप्शन दिया है। यह फैसला NEP 2020 के नियमों के तहत लिया गया है।

IIT Madras

IIT मद्रास, Photo Credit: Social Media

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भारत में हर साल लाखों स्टूडेंट्स चार साल के इंजीनियरिंग कोर्स BTech में एडमिशन लेते हैं। 12वीं के बाद स्टूडेंट जब कॉलेज में जाते हैं तो उन्हें एक्सपोजर मिलता है और कई बार स्टूडेंट्स अपनी डिग्री को छोड़कर किसी दूसरे फील्ड में चले जाते हैं। ऐसे स्टूडेंट्स के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का ऑप्शन दिया गया है। इस नियम के अनुसार, स्टूडेंट्स अगर अपनी डिग्री को बीच में छोड़ने का फैसला लेते हैं तो उन्होंने जितने समय तक पढ़ाई की है उसके हिसाब से सर्टिफिकेट या डिप्लोमा दिया जाएगा। अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मद्रास ने एक फैसला लिया है, जिसके अनुसार, BTech डिग्री कर रहे स्‍टूडेंट्स को 3 साल बाद BSc डिग्री लेकर कोर्स छोड़ने का ऑप्‍शन मिलेगा।

 

IIT मद्रास ने बताया कि यह ऑप्शन सिर्फ उन्हीं छात्रों को मिलेगा जो कुल 400 क्रेडिट में से 250 क्रेडिट पूरे कर लेंगे। इस फैसले के बाद में जानकारी देते हुए IIT मद्रास ने बताया कि 2024 में जिन स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है उन्हें इसका फायदा 2027 में मिलेगा। IIT मद्रास के इस फैसले से उन छात्रों को फायदा मिलेगा जो किसी कारण डिग्री पूरी करने के लिए चार साल नहीं दे पाते।

 

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क्या बोले अधिकारी?

IIT मद्रास के डीन प्रोफेसर प्रताप हरिदास ने इस फैसले की वजह भी बताई। उन्होंने कहा,  'BSc डिग्री छात्रों को हायर एजुकेशन, MBA और सिविल सर्विस परीक्षा में बैठने में मदद करेगी। जो छात्र कोर्स से बाहर निकलते हैं, वे बाद में हमारी ऑनलाइन BS डिग्री में भी शामिल हो सकते हैं।' उन्होंने छात्रों के डिग्री छोड़ने की कई वजहों को बताया। उन्होंने कहा कि IIT में आने के बाद कई छात्र अलग फील्ड में रुचि के कारण तो कई छात्र बिजनेस या स्टार्टअप के कारण अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाते। यह नया विकल्प ऐसे छात्रों को एक डिग्री हासिल करने में मदद करेगा।

 

प्रोफेसर प्रताप हरिदास ने बताया कि IIT मद्रास स्पेशलाइजेशन के साथ BSc डिग्री देने की भी योजना बना रहे हैं। हर विभाग यह तय करेगा कि स्‍पेशलाइजेशन के लिए कितने कोर क्रेडिट जरूरी होंगे। IIT मद्रास के इस फैसले से अब छात्रों को तीन साल बाद सरकारी नौकरी या विदेशों में पढ़ाई के लिए जाने में आसानी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि डिग्री कोर्सेज में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट की व्यवस्था राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरूरी पॉइंट्स में से एक है।

NEP के तहत पहले भी हुए हैं बदलाव

इससे पहले IIT मद्रास ने NEP 2020 के हिसाब से पहले भी कई बदलाव किए हैं। BTech कोर्सेज में 40% तक कोर्सेज को इलेक्टिव्‍स बना दिया है ताकि छात्र अपनी रुचि के विषय चुन सकें। साथ ही, छात्रों को अधिक विकल्प देने के लिए इंटरडिसिप्लिनरी डुअल डिग्री और माइनर डिग्री भी शुरू की गई हैं। ये सारे विकल्प NEP में किए गए बदलावों के अनुसार ही हैं। NEP के नियमों के अनुसार, अगर छात्र एक साल में डिग्री को छोड़ता है तो उसे सर्टिफिकेट मिलता है। दो साल पूरे करने पर छोड़ता है तो डिप्लोमा और अगर तीन साल पूरे करने पर छोड़ता है तो उसे डिग्री दी जाती है। IIT मद्रास ने इसी नियम के तहत तीन साल पूरे करने पर डिग्री देने का फैसला किया है। आने वाले समय में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा को भी लागू किया जाता सकता है। 

 

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क्या अन्य कोर्स में भी लागू होगा नियम?

IIT मद्रास ने चार साल के डिग्री कोर्स के लिए यह फैसला लिया है। इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि छात्र डिग्री लेने के बाद हायर एजुकेशन और नौकरी के लिए परीक्षाएं दे पाएं। पांच साल के इंटीग्रेटेड कोर्स जैसे BA.LLB, BTech-MBA, BBA-MBA में भी इस तरह के नियम लागू करने की मांग की जाती है। छात्र तीन साल पूरे करने के बाद ग्रेजुएशन की डिग्री चाहते हैं ताकि वे हायर एजुकेशन के लिए एंट्रेस टेस्ट या फिर सिविल सर्विस परीक्षा और अन्य सरकारी नौकरी की परीक्षाएं दे पाएं। IIT मद्रास के बाद अब अन्य संस्थान भी इस तरह का फैसला ले सकते हैं क्योंकि NEP में इस नियम के बारे में बताया गया है। 

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