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दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए केजरीवाल ने क्या किया?

आम आदमी पार्टी और उसके मुखिया अरविंद केजरीवाल के सबसे बड़े एजेंडा में से एक है 'दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा' दिलाना। पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल ने दिल्ली के लिए 10 गारंटियां दी थीं। इन गारंटियों में से एक दिल्ली का पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की गारंटी भी थी।

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आम आदमी पार्टी के वादों का सच। (Photo Credit: Khabargaon)

वादा- दिल्ली को दिलाएंगे पूर्ण राज्य का दर्जा

'आम आदमी पार्टी अपने सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक अधिकारों का उपयोग करते हुए संवैधानिक ढांचे के भीतर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर जोर देती रहेगी। आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा लाए गए दिल्ली राज्य विधेयक 2016 के मसौदे में पूर्ण राज्य को परिभाषित किया गया है। मसौदा विधेयक का प्रस्ताव है कि नई दिल्ली क्षेत्र (नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के अधिकार क्षेत्र के तहत) जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व का है, केंद्र सरकार के दायरे में रखा जाना चाहिए। दिल्ली की केवल  प्रतिशत आबादी ही इस क्षेत्र में रहती है। बाकी क्षेत्र पूर्ण राज्य में परिवर्तित होना चाहिए। इससे राष्ट्रीय राजधानी में लोकतांत्रिक जवाबदेही और प्रशासनिक ढांचे को मजबूती मिलेगी। ये सीलिंग, बिगड़ती कानून व्यवस्था, नए स्कूलों, कॉलेजों, क्लीनिक, अस्पतालों आदि के निर्माण के लिए भूमि का प्रावधान नहीं करने जैसे मुद्दों के लिए एक दीर्घकालिक समाधान भी साबित होगा।'

क्यों चाहते हैं पूर्ण राज्य?

दिल्ली असल में बाकी राज्यों की तरह नहीं है। यहां चुनी हुई सरकार की शक्तियां और अधिकार सीमित हैं। दिल्ली की पुलिस, जमीन और कानून व्यवस्था पर फैसला उपराज्यपाल लेते हैं। दिल्ली सरकार कोई भी कानून तभी लागू कर सकती है, जब एलजी उसे मंजूरी दें। इतना ही नहीं, यहां की नौकरशाही भी एक तरह से उपराज्यपाल ही चलाते हैं। अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का फैसला एलजी का होता है। अगर दिल्ली को बाकी राज्यों की तरह पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाता है तो यहां के मुख्यमंत्री के पास भी वो सारी ताकतें और अधिकार मिल जाएंगे, जो बाकी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास हैं।

 

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क्या है इसकी जमीनी हकीकत?

2018 की 7 जून को केजरीवाल सरकार ने दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया। इस सत्र में सरकार ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पास किया। पूर्ण राज्य की मांग को लेकर केजरीवाल ने फरवरी 2019 में भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान भी किया था। हालांकि, बाद में उन्होंने ये फैसला वापस ले लिया था। 

 


पिछले साल मई में लोकसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र जारी करते वक्त केजरीवाल ने 10 गारंटियां दी थीं, जिनमें पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाने की मांग भी थी। 

 


पिछले साल 6 अक्टूबर को जनता अदालत में अरविंद केजरीवाल ने कहा था, 'मैं कसम खा रहा हूं कि मैं दिल्ली की जनता को उनके अधिकार दिलाकर रहूंगा। दिल्ली को पूर्ण राज्य बनवाकर रहूंगा। दिल्ली को एलजी से मुक्ति दिलाकर रहूंगा।' हालांकि, इस बार यह वादा लगभग खो गया है। 2025 के चुनाव में कोई भी पार्टी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की बात नहीं कर रहा है। पूर्व में बीजेपी भी अपने मैनिफेस्टो में लिखती रही है कि वह पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की कोशिश करेगी।

 

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क्या दिल्ली कभी बन सकता है पूर्ण राज्य?

केजरीवाल या आम आदमी पार्टी चाहे कितना भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग करते रहें लेकिन ऐसा हो पाना लगभग नामुमकिन लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली देश की राष्ट्रीय राजधानी है और संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत उसे राष्ट्रीय राजधानी का दर्जा मिला है। जानकार मानते हैं कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा इसलिए नहीं मिल सकता, क्योंकि ये देश की राजधानी है और उसे राज्य सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति भवन, संसद और दूतावासों भी दिल्ली में हैं और इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। इन्हीं कुछ कारणों के चलते दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की संभावना न के बराबर है।

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