साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने सीमांचल क्षेत्र में मजबूती से चुनाव लड़ा था। कुल 25 सीटों पर उतरी AIMIM ने 5 सीटें जीत ली थीं लेकिन उसके ज्यादातर विधायकों ने पार्टी ही छोड़ दी। अब असदुद्दीन ओवैसी फिर से इस क्षेत्र में अपनी संभावनाएं तलाशने वाले हैं। ओवैसी ने घोषणा की है कि वह 24 से 27 सितंबर तक 'सीमांचल न्याय यात्रा' शुरू करेंगे और बिहार में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे। इस यात्रा में वह सीमांचल की अलग-अलग विधानसभाओं में रोडशो और नुक्कड़ सभाएं करेंगे।
AIMIM की ओर से कहा गया है कि हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी विकास के लिए लोगों को एकजुट करने और सीमांचल क्षेत्र को न्याय दिलाने के लिए किशनगंज से 'सीमांचल न्याय यात्रा' शुरू करेंगे। पहले भी ओवैसी सीमांचल के पिछड़ेपन को उजागर करते रहे हैं। उन्होंने लोकसभा में एक निजी विधेयक भी पेश किया जिसमें संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत क्षेत्र के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए 'सीमांचल क्षेत्र विकास परिषद' की स्थापना की मांग की गई थी।
यह भी पढ़ें- हजारों करोड़ की घोषणाएं कर चुके नीतीश, बिहार झेल पाएगा आर्थिक बोझ?
पहले ही दिन ओवैसी कोचाधामन, किशनगंज, ठाकुरगंज और बहादुरगंज विधानसभा को मिलाकर कुल 11 सभाओं को संबोधित करेंगे। चर्चाएं हैं कि इस बार AIMIM पिछली बार की तुलना में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है और ऐसे संकेत हैं कि कई प्रभावशाली नेता और सामाजिक कार्यकर्ता AIMIM के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।
कितना अहम है सीमांचल?
बताते चलें कि बिहार के पूर्व और उत्तर पूर्व के चार जिलों को मिलाकर बनने वाले क्षेत्र को सीमांचल कहा जाता है। इसमें पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले आते हैं। किशनगंज में 4, कटिहार में 7, पूर्णिया में 7 और अररिया में 6 विधानसभा सीटें हैं। यानी कुल 24 सीटें इन्हीं चार जिलों में हैं। असदुद्दीन ओवैसी इन 4 जिलों के जरिए AIMIM को मजबूत करने में लगे हुए हैं। पिछली बार इन्हीं 4 जिलों में AIMIM ने धूम मचाई थी और उसके पांच विधायक जीते थे। हालांकि, 5 में से 4 विधायक बाद में आरजेडी में शामिल हो गए थे।
यह भी पढ़ें: बिहार: छोटी पार्टियां, बड़ी टेंशन, गठबंधन में BJP की मुश्किलें क्या?
किशगनंज में 68 प्रतिशत, पूर्णिया में 39 प्रतिशत, कटिहार में 45 प्रतिशत और अररिया में 43 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है। यही वजह है कि AIMIM लंबे समय से इस क्षेत्र में अपना भविष्य तलाश रही है। पिछले चुनाव की बात करें तो इन 24 में से 5 पर AIMIM जीती थी। सबसे ज्यादा 8 सीटें बीजेपी और 4 सीटें जेडीयू ने जीती थीं। यानी एनडीए के पास यहां की कुल 12 सीटें हैं। कांग्रेस ने यहां 5 और एक-एक सीट आरजेडी और सीपीआई (ML) ने जीती थी। AIMIM एक बड़ी वजह थी कि पिछले चुनाव में सीमांचल में विपक्षी गठबंधन को कम सीटें मिली थीं।
2024 के लोकसभा चुनाव में सीमांचल की 4 में दो पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय पप्पू यादव जीते थे। हालांकि, अब वह कांग्रेस के ही साथ हैं। सिर्फ अररिया की लोकसभा सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी। ऐसे में विपक्षी दलों को उम्मीद है कि वे सीमांचल क्षेत्र से खुद को मजबूत कर सकते हैं। ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन का गणित बिगाड़ सकती है। लोकसभा चुनाव में किशनगंज सीट पर AIMIM ने मजबूती से चुनाव लड़ा था और उसके अख्तरुल ईमान को 3 लाख से ज्यादा वोट मिले थे।