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बखरी विधानसभाः सीपीआई के गढ़ में क्या बीजेपी लगा पाएगी सेंध?

बखरी विधानसभा सीट सीपीआई का गढ़ रही है। हालांकि पिछले चुनाव में बीजेपी बहुत थोड़े ही अंतर से हारी। ऐसे में इस बार बीजेपी सीपीआई के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

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बखरी विधानसभा बेगूसराय जिले में आती है। बखरी बरौनी रिफाइनरी और गंगा नदी के बीच स्थित एक महत्वपूर्ण इलाका है। यह क्षेत्र गंगा के मैदानी भाग में आता है, जिसकी वजह से यहां की मिट्टी उपजाऊ है और खेती-किसानी इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यहां धान, गेहूं और मक्का जैसी फसलें मुख्य रूप से उगाई जाती हैं। बखरी का जिला मुख्यालय बेगूसराय से दूरी लगभग 23 किलोमीटर है। बखरी के उत्तर में समस्तीपुर, दक्षिण में गंगा नदी, पूर्व में खगड़िया और पश्चिम में बेगूसराय स्थित है। इलाके में काली मंदिर, हनुमान मंदिर और स्थानीय मेलों का विशेष महत्व है। हालांकि, बखरी में स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा ढांचे की कमी लंबे समय से महसूस की जाती रही है।

 

यह सीट बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। बखरी विधानसभा क्षेत्र में बखरी, डंडारी और गढ़पुरा प्रखंडों के साथ-साथ नवकोठी प्रखंड के पसराहा (पूर्व), नवकोठी, हसनपुरबागर, राजकपुर, विष्णुपुर, समसा और डफरपुर ग्राम पंचायतें शामिल हैं. बखरी में अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। यह सीट अभी भी वामपंथियों का एक मजबूत गढ़ मानी जाती है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने यहां से 11 बार जीत दर्ज की है, जिसमें 1967 से 1995 तक लगातार आठ बार जीत शामिल है। कांग्रेस ने यहां से तीन बार, 1952, 1957 और 1962 में विजय प्राप्त की है। वर्ष 2000 में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने CPI की लगातार जीत की श्रृंखला को तोड़ा, लेकिन CPI ने 2005 में हुए दोनों चुनावों में वापसी करते हुए जीत दर्ज की।

 

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मौजूदा समीकरण?

बखरी विधानसभा सीट वामपंथ का पारंपरिक गढ़ रही है। यहां वामपंथी दलों का मजबूत आधार है और वे कई बार जीत दर्ज कर चुके हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और जेडीयू ने भी यहां अपनी मौजूदगी को और ज्यादा मजबूत किया है। बखरी में अनुसूचित जाति और ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, इस सीट पर लगभग 18% अनुसूचित जाति, 14% कुशवाहा-कोयरी, 11% यादव, 7% मुस्लिम और साथ ही अच्छी-खासी संख्या में सवर्ण मतदाता हैं। यही वजह है कि यहां चुनावी समीकरण हर बार दिलचस्प हो जाते हैं।

2020 में क्या हुआ था?

बखरी सीट पर 2020 में सीपीआई ने जीत दर्ज की थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में सूर्यकांत पासवान ने 72,177 वोट हासिल कर जीत दर्ज की। हालांकि, बीजेपी उम्मीदवार राम शंकर पासवान को भी 71,400 वोट मिले और वह 777 वोटों से हार गए, लेकिन जीत का अंतर बहुत ही कम रहा।

विधायक का परिचय

मौजूदा विधायक सूर्यकांत पासवान सीपीआई से आते हैं और यह उनका पहला कार्यकाल है। वे वामपंथी छात्र राजनीति से सक्रिय रहे हैं और लंबे समय तक सामाजिक आंदोलनों में जुड़ाव रहा है। सूर्यकांत पासवान अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं, जिसकी इस सीट पर निर्णायक भूमिका है। उन्होंने अपनी शिक्षा बेगूसराय से पूरी की और स्नातक डिग्री हासिल की है। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी वेतन और कृषि है। उनके पास लगभग 80 लाख रुपये की संपत्ति दर्ज है।

 

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विधानसभा सीट का इतिहास

बखरी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट की संख्या 146 है। यहां अब तक कुल 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। बखरी विधानसभा क्षेत्र में बखरी, चकिया, मटिहानी और समीपवर्ती गांव शामिल हैं। यह है विधायकों की सूची-


1952 – शिवब्रत नारायण सिन्हा (कांग्रेस)

1957 – मेदनी पासवान (कांग्रेस)

1962 – युगल किशोर शर्मा (सीपीआई)

1967 – युगल किशोर शर्मा (सीपीआई)

1969 – रामचंद्र पासवान (सीपीआई)

1972 – रामचंद्र पासवान (सीपीआई)

1977 – रामचंद्र पासवान (सीपीआई)

1980 – रामचंद्र पासवान (सीपीआई)

1985 – रामबिनोद पासवान (सीपीआई)

1990 – रामबिनोद पासवान (सीपीआई)

1995 – रामबिनोद पासवान (सीपीआई)

2000 – रामानंद राम (आरजेडी)

2005 – रामबिनोद पासवान (सीपीआई)

2005 – रामबिनोद पासवान (सीपीआई)

2010 – रामानंद राम (बीजेपी)

2015 – उपेन्द्र पासवान (आरजेडी)

2020 – सूर्यकांत पासवान (सीपीआई)

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