बिहार की बरारी विधानसभा सीट कटिहार जिले में पड़ती है। पिछले चुनाव में यहां जेडीयू ने जीत हासिल की थी। कोसी नदी क्षेत्र में पड़ने वाली यह विधानसभा सीट सामान्य श्रेणी में आती है। कुरसेला, समेली और बरारी सामुदायिक विकास खंड को मिलाकर यह विधानसभा सीट बनी है। बरारी की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। मानसून सीजन में कोसी नदी का प्रकोप विधानसभा क्षेत्र के लोगों को भी झेलना पड़ता है।
रोजगार के पर्याप्त साधन नहीं होने के कारण अधिकांश युवाओं को अन्य प्रदेश पलायन करना पड़ता है। हालांकि यह क्षेत्र कटिहार जिला मुख्यालय से लगभग 12 किमी दूर स्थित है। विधानसभा क्षेत्र की मिट्टी उपजाऊ है। यहां केले, धान और गेहूं की पैदावार खूब होती है। सड़क, बिजली, रोजगार के अलावा बाढ़ और पलायन सबसे अहम मुद्दे हैं।
यह भी पढ़ें: मनिहारी विधानसभा: यहां जनता को दल से ज्यादा चेहरों पर यकीन
मौजूदा समीकरण
बरारी विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की आबादी अच्छी-खासी है। यह समुदाय चुनाव का रुख बदलने की ताकत रखता है। 2020 के आंकड़ों के मुताबिक बरारी विधानसभा में मुस्लिम वोटर्स की आबादी 29.80 फीसदी है। ब्राह्मण, राजपूत, यादव और पासवान वोटर्स की भूमिका भी निर्णायक होती है। विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाता 8.75 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के वोटर्स 3.61 फीसदी हैं। बरारी में कुल मतदाताओं की संख्या 2,71,982 है।
2020 चुनाव का रिजल्ट
पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी बिजय सिंह ने 10,438 मतों से चुनाव जीता था। आरजेडी उम्मीदवार नीरज कुमार को 71,314 वोट मिले थे। कुल 14 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई, लेकिन 12 की जमानत जब्त हो गई। सबसे अधिक जेडीयू को 45.6 और उसके बाद आरजेडी को 39.8 फीसदी वोट मिले। इसके अलावा कोई भी प्रत्याशी 5 फीसदी का आंकड़ा पार नहीं कर पाया।
मौजूदा विधायक का परिचय
2020 में जेडीयू की टिकट पर चुनाव जीतने वाले बिजय सिंह 9 साल और सात महीने तक कटिहार नगर निगम के महापौर भी रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने महापौर के पद से इस्तीफा दिया था। उन्हें पहली बार 6 जून 2011 को मेयर चुना गया था। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक बिजय सिंह के पास 3 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और 80 लाख रुपये की देनदारी है। 1994 में कोलकाता के दमदम एयरपोर्ट हिंदी हायर स्कूल से 10वीं की परीक्षा पास की थी। उन्होंने खेती और मखाना को अपना व्यवसाय बता रखा है। विधायक बिजय सिंह के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।
विधानसभा सीट का इतिहास
1952 विधानसभा चुनाव में कहिटार-बरारी नाम से विधानसभा सीट थी। पहले चुनाव में सुखदेव नारायण सिंह ने जीत हासिल की। 1957 में बरारी नाम से अलग विधानसभा का गठन हुआ। 17 विधानसभा चुनाव में से कांग्रेस ने छह चुनाव में जीत हासिल की। बीजेपी और आरजेडी दो बार यहां बाजी मार चुकी है। जनता पार्टी, सीपीएम, निर्दलीय, जनता दल, लोकदल, एनसीपी और जेडीयू एक-एक विधानसभा चुनाव में विजय प्राप्त की।
यह भी पढ़ें: रुपौली विधानसभा: जेडीयू और आरजेडी के सामने निर्दलीय की चुनौती
बरारी विधानसभा: कब-कौन जीता?
वर्ष |
विजेता |
दल |
1952 |
सुखदेव नारायण सिंह |
कांग्रेस |
1957 |
वासुदेव प्रसाद सिंह |
कांग्रेस |
1962 |
वासुदेव प्रसाद सिंह |
कांग्रेस |
1967 |
वासुदेव प्रसाद सिंह |
कांग्रेस |
1969 |
सकूर |
सीपीएम |
1972 |
मोहम्मद सकूर |
कांग्रेस |
1977 |
वासुदेव प्रसाद सिंह |
जनता पार्टी |
1980 |
करुणेश्वर सिंह |
कांग्रेस (आई) |
1985 |
मंसूर आलम |
लोकदल |
1990 |
प्रेमनाथ जायसवाल |
निर्दलीय |
1995 |
मंसूर आलम |
जनता दल |
2000 |
मंसूर आलम |
आरजेडी |
2005 (फरवरी) |
मोहम्मद सकूर |
एनसीपी |
2005 (अक्टूबर) |
विभाष चंद चौधरी |
बीजेपी |
2010 |
विभाष चंद चौधरी |
बीजेपी |
2015 |
नीरज कुमार |
आरजेडी |
2020 |
बिजय सिंह |
जेडीयू |
नोट: आंकड़े भारत निर्वाचन आयोग