बिहार के खगड़िया जिले में आने वाली बेलदौर विधानसभा सीट का इतिहास राजनीतिक उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है। यह सीट 1952 से अस्तित्व में है और यहां अब तक कई बार सियासी समीकरण बदल चुके हैं। कभी कांग्रेस का गढ़ रही यह सीट धीरे-धीरे वामपंथी दलों, फिर आरजेडी और उसके बाद जेडीयू के प्रभाव में आती गई। बेलदौर का इलाका पूरी तरह ग्रामीण और पिछड़ा माना जाता है। यहां कृषि और मजदूरी ही लोगों की आजीविका का मुख्य साधन हैं। गंगा के मैदानों में स्थित बेलदौर क्षेत्र के पास से कोसी नदी बहती है, जो यहां की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालती है. गोड़गाई जमालपुर, जो कि बेलदौर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है, इस क्षेत्र का प्रमुख आर्थिक केंद्र है।
यही कारण है कि जातीय समीकरण और सामाजिक समीकरण बेलदौर की सियासत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यादव, मुसलमान और दलित वर्ग की बड़ी आबादी यहां आरजेडी को मजबूत बनाती रही है, वहीं एनडीए खासकर जेडीयू ने अपने संगठन और नीतीश कुमार की लोकप्रियता के बल पर इस क्षेत्र में पैठ बनाई है। बेलदौर सीट पर हर चुनाव में बेहद कड़ा मुकाबला होता है और यही वजह है कि यह सीट हमेशा चर्चा में रहती है।
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मौजूदा समीकरण
बेलदौर विधानसभा सीट पर इस समय सीधा मुकाबला जेडीयू और आरजेडी के बीच है। कांग्रेस और वामपंथी दल यहां हाशिए पर पहुंच चुके हैं। बेलदौर की जातीय बनावट आरजेडी को यादव-मुस्लिम समीकरण के कारण मजबूती देती है, जबकि जेडीयू को अति पिछड़ा वर्ग, दलित और सवर्ण वर्ग से सहयोग मिलता है। पिछली बार भी मुकाबला इन्हीं दो दलों के बीच हुआ था और परिणाम मामूली अंतर से तय हुआ। 2025 के चुनाव में भी तस्वीर लगभग वैसी ही नजर आ रही है, जिसमें दोनों दल अपनी पूरी ताकत झोंकेंगे।
2020 में क्या हुआ था?
2020 के विधानसभा चुनाव में बेलदौर सीट से जेडीयू के पन्ना लाल सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को लगभग 5,000 वोटों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में पन्ना लाल सिंह को लगभग 56,000 वोट मिले, जबकि आरजेडी उम्मीदवार को करीब 51,000 वोट मिले। इस मुकाबले में तीसरे स्थान पर एलजेपी के उम्मीदवार रहे, जिसे लगभग 14,000 वोट मिले। इस तरह जेडीयू ने मामूली बढ़त से बेलदौर सीट पर कब्जा जमाया।
विधायक का परिचय
पन्ना लाल सिंह बेलदौर विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक हैं और जेडीयू के उभरते हुए नेताओं में गिने जाते हैं। उनका राजनीतिक सफर स्थानीय स्तर से शुरू होकर विधानसभा तक पहुंचा है। वे लंबे समय तक पंचायत और संगठनात्मक राजनीति से जुड़े रहे और 2020 में पहली बार जेडीयू के टिकट पर बेलदौर से चुनाव जीतकर विधायक बने।
शैक्षणिक योग्यता के लिहाज से पन्ना लाल सिंह ने स्नातक तक की पढ़ाई की है। राजनीति में आने से पहले उनका परिवार सीधे तौर पर किसी बड़े राजनीतिक पद पर नहीं रहा, इसलिए उन्हें किसी खास राजनीतिक विरासत का लाभ नहीं मिला। वे पूरी तरह अपने संगठन और जनसंपर्क के बल पर राजनीति में स्थापित हुए।
2020 के विधानसभा चुनाव के समय दाखिल किए गए हलफनामे के मुताबिक पन्ना लाल सिंह के पास लगभग 2.8 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति है। हलफनामे में यह भी उल्लेख है कि उनके खिलाफ कुछ आपराधिक मामले दर्ज हैं, हालांकि इनमें से ज्यादातर स्थानीय स्तर पर हुए विवादों और जनआंदोलनों से जुड़े रहे हैं, कोई गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं है।
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विधानसभा का इतिहास
बेलदौर विधानसभा सीट पर अब तक कई बड़े नेताओं ने अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है। शुरुआती दौर में यह सीट कांग्रेस के पास थी। इसके बाद लंबे समय तक यहां वामपंथी दलों और आरजेडी का दबदबा रहा। 2000 के दशक में जेडीयू ने धीरे-धीरे यहां अपनी पकड़ मजबूत की और अब यह सीट जेडीयू के लिए अहम मानी जाती है।
1977- सिमोन मरांडी (निर्दलीय)
1980- सिमोन मरांडी (निर्दलीय)
1985- सिमोन मरांडी (जेएमएम)
1990- सुशीला हसदा (जेएमएम)
1995- सुशीला हसदा (जेएमएम)
2000- सुशीला हसदा (जेएमएम)
2005- अश्वनी कुमार चौबे (बीजेपी)
2010- पन्ना लाल सिंह पटेल (जेडीयू)
2015- पन्ना लाल सिंह पटेल (जेडीयू)
2020- पन्ना लाल सिंह पटेल (जेडीयू)