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'4 दिन दिल्ली में रहा लेकिन टिकट नहीं मिला', दशरथ मांझी के बेटे को मलाल

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने प्रत्याशी तय कर दिए हैं लेकिन कांग्रेस से टिकट न मिलने पर ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी ने नाराजगी जताई है।

Bhagirath Manjhi

भागीरथ मांझी, Photo Credit- ANI

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बिहार विधानसभा का चुनाव अगले महीने यानी नवंबर में होने वाला है। इसके लिए पार्टियों ने सभी सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर लिए हैं। प्रत्याशियों को टिकट भी मिल चुका है। सब कुछ फाइनल हो जाने के बाद भी कई लोगों को टिकट न मिलने का मलाल है। जिन्हें टिकट नहीं मिला है वे मीडिया के सामने आकर अपनी नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं। इस फेहरिस्त में एक नया नाम और जुड़ गया है। यह नाम है 'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी का। उन्होंने कांग्रेस की तरफ से टिकट न दिए जाने पर अपनी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि वह 4 दिन तक दिल्ली में रहे लेकिन राहुल गांधी से मिल नहीं पाए। भागीरथ को गयाजी जिले की बाराचट्टी सीट से टिकट चाहिए था

 

'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी ने कहा, 'मैं चार दिन दिल्ली में रहा लेकिन टिकट नहीं मिला। मैंने सारे कागजात जमा कर दिए थे। मैंने राहुल गांधी से टिकट मांगा था और उन्होंने कहा था कि वह टिकट देंगे। मुझे टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी। सबको टिकट दे दिया गया लेकिन हमें टिकट नहीं मिला। चार दिनों तक दिल्ली में रहने के बावजूद राहुल गांधी से नहीं मिल पाया।'

 

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राहुल गांधी से मिले थे भागीरथ

2025 की शुरूआत में जनवरी में भागीरथ मांझी जनता दल यूनाइटेड (JDU) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। कांग्रेस में आने से पहले उनकी मुलाकात पटना में राहुल गांधी से हुई थी। उसके बाद से ही उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। तब उन्होंने यह दावा किया था कि मुलाकात के समय राहुल गांधी ने उन्हें अपने पास बिठाकर अपने हाथों से पानी पिलाया था। उसी समय राहुल ने उन्हें विधायक बनाने का वादा किया था।

 

उन्होंने आगे कहा, 'उस दौरान जब राहुल गांधी राजगीर गए तो मुझे भी अपने साथ लेकर चले गए थे।' भागीरथ के अनुसार राहुल गांधी ने ही उनका घर बनवाया है।

 

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'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी

भगीरथ मांझी के पिता दशरथ मांझी बिहार के गयाजी (तब का गया) के पास गेहलौर गांव के रहने वाले थे। दशरथ ने अकेले ही एक हथौड़े और छेनी का इस्तेमाल कर के एक पहाड़ काटकर 110 मीटर लंबा (360 फीट), 9.1 मीटर चौड़ा (30 फीट) और 7.7 मीटर गहरा (25 फीट) रास्ता बना दिया था। इस रास्ते को बनाने में उन्हें 22 साल का समय लगा था। इस रास्ते के बनने से अत्री और वजीरगंज ब्लॉकों के बीच की दूरी 55 किमी से घटकर 15 किमी हो गई।

 

ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने यह रास्ता अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद बनाया था। गांव से आने-जाने का कोई साधन न होने के कारण उनकी पत्नी इलाज के अभाव में मर गई थी। दशरथ का 17 अगस्त 2007 को नई दिल्ली स्थित AIIMS में निधन हो गया। इनकी मृत्यु के बाद बिहार सरकार ने उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी थी।


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