बिहार के गोपालगंज जिले में पड़ने वाली भोरे विधानसभा का न सिर्फ चुनावी इतिहास काफी पुराना है, बल्कि इसका कनेक्शन महाभारत काल से भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह का नाम राजा भूरीश्रवा के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने कौरवों की तरफ से महाभारत की लड़ाई लड़ी थी। यह गंडक नदी की घाटी में स्थित है।
आजादी से अब तक भोरे सीट पर 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा आठ बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। यह बिहार की उन सीटों में से है, जहां हर बड़ी पार्टी जीत चुकी है।
मौजूदा समीकरण
यह उन सीटों में से एक है, जहां 2000 के बाद से हुए हर चुनाव में पार्टी बदल जाती है। 2015 में कांग्रेस यहां से जीती थी जबकि 2020 में जेडीयू ने यहां से जीत हासिल की थी। मुस्लिम वोटरों को यहां निर्णायक भूमिका में माना जाता है। फिलहाल यहां से जेडीयू के सुनील कुमार विधायक हैं, जो नीतीश सरकार में शिक्षा मंत्री हैं। पिछले चुनावों का ट्रेंड बताता है कि यहां हर बार पार्टी बदल जाती है। ऐसे में इस बार यहां उलटफेर देखने को मिल सकता है।
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2020 में क्या हुआ था?
पिछले चुनाव में यहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला था। 2020 में जेडीयू के सुनील कुमार ने भाकपा (माले) के जितेंद्र पासवान को सिर्फ 462 वोटों से हराया था। सुनील कुमार को 74,067 और जितेंद्र पासवान को 73,605 वोट मिले थे। पिछली बार लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के एनडीए से अलग होने का नुकसान हुआ था। एलजेपी की पुष्पा देवी को 4,520 वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
भोरे सीट से अभी जेडीयू के सुनील कुमार सिंह विधायक हैं। सुनील कुमार IPS अफसर रह चुके हैं। वह लगभग 6 साल तक पटना के एसएसपी थे। 2020 में बिहार के डीजीपी पद से रिटायर हुए थे।
सुनील कुमार ने 1984 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। सुनील कुमार राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके दिवंगत पिता चंद्रिका राम भी बिहार सरकार में मंत्री रह चुके थे। उनके भाई अनिल कुमार भी विधायक हैं।
2020 में डीजीपी के पद से रिटायर होने के बाद उन्होंने जेडीयू ज्वॉइन कर ली थी। पिछले चुनाव में उन्होंने अपने पास 6.28 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी।
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विधानसभा का इतिहास
भोरे सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए थे। तब से अब तक यहां 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें 8 बार कांग्रेस और जनता दल, बीजेपी और आरजेडी 2-2 बार जीत चुकी है।
- 1957: चंद्रिका राम (कांग्रेस)
- 1957 (उपचुनाव): रामबली पांडे (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
- 1962: राज मंगल मिश्रा (कांग्रेस)
- 1967: राज मंगल मिश्रा (कांग्रेस)
- 1969: राज मंगल मिश्रा (कांग्रेस)
- 1972: राज मंगल मिश्रा (कांग्रेस)
- 1977: जमुना राम (जनता पार्टी)
- 1980: अलागु राम (कांग्रेस)
- 1985: अनिल कुमार (कांग्रेस)
- 1990: इंद्रदेव मांझी (जनता दल)
- 1995: इंद्रदेव मांझी (जनता दल)
- 2000: आचार्य विश्वनाथ बैथा (बीजेपी)
- 2005: अनिल कुमार (आरजेडी)
- 2005: अनिल कुमार (आरजेडी)
- 2010: इंद्रदेव मांझी (बीजेपी)
- 2015: अनिल कुमार (आरजेडी)
- 2020: सुनील कुमार (जेडीयू)